मन का अन्तर्द्वन्द – सुषमा यादव : Moral stories in hindi

एक एक करके शिवानी के परिवार ने अंतिम विदाई ले ली थी। पहले सास, फिर पति और अब ससुर जी ने भी। मायके में भी दो भाई, मां और अब पिता जी भी उसे छोड़ कर चले गए।

इतना बड़ा घर। शिवानी को बहुत अकेलापन महसूस होता है।। नौकरी से भी रिटायर्ड हो गई है।। वैसे वो पार्क में अपनी सहेलियों के साथ योगा करती है, कालोनी में सुबह-शाम सबके साथ घूमती भी है। सबके साथ पिकनिक, पिक्चर,किटी पार्टी भी जाती है,पर कभी कभी घर काटने को दौड़ता है। सबकी याद आती है।

अकेलापन महसूस होता है।

उसकी दो बेटियां हैं जो विदेश में उच्च पदों पर आसीन हैं।

दोनों बेटियों को मां की चिंता बहुत सताती है। मां की बीमारियों से वे बहुत दुःखी रहती हैं।

शिवानी उनके पास महीने दो महीने के लिए आती जाती है। उसके बड़े दामाद और बच्चे उसे बहुत मानते हैं। वापस इंडिया आने ही नहीं देते।

बहुत सोच विचार करने के बाद बड़ी बेटी ने यह निर्णय लिया कि मैं अपनी मां का यहां रहने के लिए लंबे समय का वीजा करवातीं हूं। ताकि अब मम्मी मेरे पास हमेशा के लिए रहेंगी। उनका इलाज भी यहां मैं बेहतरीन तरीके से करवाऊंगी। सब लोग यह सुनकर बहुत खुश हुए। हां हां, जल्दी करवा दो अब मम्मी को बार-बार इंडिया नहीं जाना पड़ेगा।

शिवानी को पूरे पेपर तैयार करने को कहा जा रहा है। जो जो वीजा के लिए लगता है। बड़े जोर-शोर से पूरी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

पर शिवानी के मन में अन्तर्द्वंद चल रहा है। वह बहुत तनाव में है।क्या मैं अपना देश छोड़कर विदेश में बेटी के परिवार के साथ हमेशा के लिए रह सकूंगी ? क्या वह उनके साथ एडजस्ट हो पायेगी ?क्या उसे अपना देश,अपना शहर याद नहीं आयेगा।? वह कैसे अपनी सहेलियों को छोड़कर रह पायेगी ?कौन है जो उसके मन की अन्तर्वेदना को समझेगा। कैसे वह अपनी किटी पार्टी को भूल पायेगी  ? 

इस तरह तो उसे घुट घुट कर जीना पड़ेगा। 

मन में बहुत उथल पुथल मची हुई है। समझ में नहीं आ रहा है क्या करे क्या ना करे।

बच्चे तो उसे अपने पास बुला कर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाएंगे।पर उसका क्या।

मन में रात दिन अन्तर्द्वन्द मचा हुआ है। तनाव के कारण उसे रात भर नींद नहीं आती है।

आखिर में शिवानी ने एक ठोस निर्णय लिया। उसने कहा कि वो अपना देश,अपना घर छोड़कर नहीं आ सकती। कुछ समय के लिए आने की और बात है,पर पूरे समय के लिए। नहीं हरगिज़ नहीं। 

ये सुनकर बेटी ने हंसते हुए कहा, मम्मी,हम समझ सकते हैं आपके लिए बहुत मुश्किल होगा। इसलिए आप जब चाहें इंडिया जा सकती हैं। ये तो इसलिए करवा रहें हैं कि आपके साथ समय सीमा की बाध्यता ना रहे। वीजा एक बार बन जाएगा तो आपको बार-बार वीजा बनवाने के लिए दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा।

आप यहां दो माह,चार माह जब तक रहना चाहें रह सकतीं हैं। आप दो तीन महीने में इंडिया जाकर सबके साथ मनोरंजन भी कर सकतीं हैं।  आप अपनी जिंदगी अपने तरीके से बिता सकतीं हैं।

यह सुनकर शिवानी का अन्तर्द्वन्द खत्म हो गया और वो खुशी खुशी लंबे समय के वीजा के लिए दिल्ली जाने की तैयारी करने लगी। बेटी ने उसे मानसिक तनाव से मुक्ति दे दी थी।

सुषमा यादव प्रतापगढ़

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित।

 

#तनाव

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