लोग क्या कहेंगे – विनती झुंझुनवाला  : Moral stories in hindi

आज रमन अपने दो महीने की विदेश यात्रा से वापस आ रहा था, वैदेही बहुत खुश थी। रमन ने उसे देखते ही अपनी बाहों में कस कर भींच लिया, शादी के बाद पहली बार दोनों इतने दिनों के लिए एक दूसरे से दूर रहे थे।

कितना कुछ हो गया था इन दो महीनों में ,वैदेही सब कुछ रमन को बताना चाहती थी, चाहती थी कि अब उसका बोझ कम हो जाए,  रमन पर भरोसा था कि आगे की जिम्मेदारी वो संभाल लेगा ,पर उसे लगा रमन अभी तो आया है दो दिन आराम से सैटल हो जाए फिर बता देगी

आते ही क्यों परेशान करे,रमन ने उसे अपने प्यार से सरोबार दिया था, एक पल भी उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहता था, इतने दिनों के बाद पति का साथ पा कर उसे लगा वो दुनिया में सबसे खुशनसीब है।

आखिर दो तीन दिन बाद वैदेही ने रमन को बताया कि कैसे गांव से रमन के माता-पिता आये थे, और अचानक माता जी की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें हस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, चूंकि रमन अपना प्रोजेक्ट बीच में छोड़ कर नहीं आ सकता था इसलिए उसे नहीं बताया, वैदेही पढ़ी लिखी नौकरी पेशा युवती थी घर बाहर की जिम्मेदारी अच्छे से निभाना जानती थी

लेकिन घर, होस्पिटल और नौकरी में अकेले तालमेल बिठाना मुश्किल हो रहा था इसलिए कभी-कभी रमन के दोस्त अखिल की मदद ले लेती थी, एक सप्ताह के बाद माताजी घर वापस आ गई थी लेकिन अखिल फिर भी अक्सर हालचाल पूछने आ जाता,  कुछ एक दिनों से वैदेही को अखिल की नीयत ठीक नहीं लग रही थी

बात करने के बहाने इधर उधर छूने लगता, शुरू में तो वैदेही ने नजर अंदाज किया पर इससे उसकी हिम्मत और बढ़ गई,एक दिन उसे अकेले पा कर गलत तरीके से छूने लगा, वैदेही ने खींच कर चांटा जड़ दिया, आवाज सुनकर पिताजी बाहर आये तो वैदेही ने सब सच बता दिया, पिताजी ने उसे धक्के मार कर घर से निकाल दिया, कुछ दिनों बाद गांव की आबोहवा में जल्दी ठीक होने की बात बोलकर माता-पिता वापस चले गए ।

सारी बातें सुनकर रमन कुछ देर तक खामोश रहा फिर बोला माना मैं बीच में वापस नहीं आ सकता था पर तुम लोगों को मुझे बताना तो चाहिए था, वैदेही ने कहा तुम वहां से कुछ कर तो नहीं पाते लेकिन यहां का सोच कर परेशान ही होते इसलिए नहीं बताया लेकिन रमन संतुष्ट नहीं लग रहा था,रमन ने आफिस वापस जाना शुरू कर दिया था, कुछ दिनों से वैदेही रमन के स्वभाव में अंतर महसूस कर रही थी अक्सर छोटी छोटी बातों पर चिढ़ जाता।

एक दिन अचानक वो बोला मां पापा से मिलने गांव जाकर आना है, वैदेही ने सास की बीमारी में बहुत छुट्टी ले ली थी तो अब छुट्टी नहीं मिल रही थी इसलिए बोली अगले महीने चलते हैं लेकिन रमन अकेले ही चला गया, पूरे एक सप्ताह के बाद वापस आया लेकिन उसका रवैया वैदेही के प्रति थोड़ा रूखा ही था,

इसी बीच  वैदेही की तबीयत भी थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी लेकिन उसने सोचा शारीरिक और मानसिक थकावट के कारण लग रहा है आराम करने से ठीक हो जायेगा, कुछ दिन यूं ही निकल गये , दोनों में एक तरह का अबोलापन आ गया था इधर वैदेही की तबीयत ठीक नहीं हुई तो डॉक्टर को दिखाया चेक अप के बाद पता चला कि वो मां बनने वाली है,

वैदेही बहुत खुश थी उसे लगा ये खुशखबरी उसके वैवाहिक जीवन में नई शुरुआत ले कर आई है, उसके और रमन के बीच बढ़ती दूरियां बच्चे के आने से कम हो जायेंगी इसी ख्याल के साथ डॉक्टर के यहां से सीधे घर आ गयी और अच्छे से तैयार हो रमन का इंतजार करने लगी,

रमन आया तो उसके मनपसंद खाने के साथ खुशखबरी सुनाई लेकिन ये क्या रमन ने बिना कुछ बोले कपड़े बदले और घर से बाहर निकल गया ,वैदेही आंखों में आंसू लिए खड़ी रह गई, उसे समझ ही नहीं आया ये क्या हो गया।

                घंटों बाद रमन नशे में धुत्त होकर घर वापस आया, वैदेही उसका दरवाजे पर ही इंतजार कर रही थी, उससे बात करना चाहती थी पर रमन आंखें चुरा कर अंदर जाने लगा वैसे भी दोनों में इन दिनों बातें ना के बराबर ही होती थी लेकिन आज वैदेही के सब्र का बांध टूट गया था

वो आगे बढ़कर रमन के सामने खड़ी हो गई और पूछा कि क्या बदल गया है और रमन उसे नजरंदाज क्यों कर रहा है, रमन नशे में था गुस्से में वैदेही को उल्टा सीधा बोलने लगा, वैदेही ने समझाना चाहा तो उसे धक्का मार दिया वैदेही ने खुद को संभाला और रमन को पकड़ कर बोली क्या उसे अपने बच्चे की भी परवाह नहीं है

इसपर रमन बोला कौन जाने कि ये मेरा बच्चा है या किसी और का वैदेही सन्न रह गई ,उसी पल कुछ उसके अंदर छन् से टूट गया फिर भी हिम्मत करके पूछा कि रमन  पागलों जैसी बातें क्यों कर रहा है, रमन ने उसे बहुत बुरी बुरी गालियां दीं, वैदेही को समझ नहीं आ रहा था कि उसका कसूर क्या है और उसका प्यार करने वाला पति कहां खो गया ,

रमन नशे में था चिल्ला कर बोला बाहर जा कर देख लोग तेरे बारे में क्या बोल रहे हैं मेरे पीछे से तूने कितने गुलछर्रे उड़ाये हैं, मुझे तो तुम्हारी शक्ल से भी नफरत है,वैदेही को समझ आ गया कि ये आग अखिल की लगाई हुई है लेकिन ये कानों में जलते शीशे जैसे शब्द अखिल नहीं रमन बोल रहा था वो रमन जिस पर उसे पूरा भरोसा था,

लेकिन वो कोई कमजोर अबला नहीं थी और ना ही ये खुद को कमजोर पड़ने देने का समय था और अब तो उसके बच्चे का भी सवाल था अपनी आंखों से आंसू पोंछ कर मन ही मन एक निर्णय लिया और कमरे में जाकर अपनी जरूरत का थोड़ा सामान एक बैग में डाल कर बाहर निकल गई, रमन उसे जाते हुए देखता रह गया, वैदेही ने वो रात एक सहेली के घर बिताई।

        अगले दिन अपना  रहने का इंतजाम किया और एक वकील का इंतजाम किया। कुछ दिन बाद रमन को तलाक़ का नोटिस मिल गया साथ ही मुआवजा और फ्लैट का आधा हिस्सा मांगा गया था, रमन के पैरों तले जमीन खिसक गई, उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि वैदेही इतना बड़ा कदम उठा लेगी, परिवार और दोस्तों के समझाने का वैदेही पर कोई असर नहीं हुआ और ना ही रमन तलाक़ के लिए राजी हुआ मामला फैमिली कोर्ट में चला गया, दोनों पक्षों की मौजूदगी में वैदेही ने अपनी बात रखने की आज्ञा मांगी जो जज साहब ने उसे दे दी

वैदेही ने बोलना शुरू किया :

मैं वैदेही शायद मेरी किस्मत मेरे नाम से ही जुड़ी है, युगों युगों से  सीतायें मूक होकर “#लोग क्या कहेंगे” के कारण अपने ही घरों से बाहर निकाली जाती हैं,अग्नि परीक्षा देने के बाद भी सीता को न्याय नहीं मिला बल्कि मिला मिथ्या आरोपण, किसी ने भी राम के चरित्र पर संदेह नहीं जताया ,क्यों? क्योंकि नारी कमजोर होती है ? 

लेकिन सीता तब भी कमजोर नहीं थी और सीता आज भी कमजोर नहीं है तब भी सीता ने अकेले दम पर अपने बच्चों को पाला था, सीता ने कभी ना राम की मदद मांगी  और ना अपने पिता से ही मदद मांगी अकेले सब कष्ट सहे और आज भी मैं अकेली अपने बच्चे को संभाल सकती हूं ,अब आप कहेंगे फिर मुआवजा क्यों मांगा ?

उसके दो कारण हैं रमन ने मेरे बच्चे के अस्तित्व और मेरे चरित्र पर उंगली उठाई है, तो सुनो रमन मेरे साथ तुम्हारे दोस्त ने जो किया मैंने तुम्हें बताया था , थोड़ा सा भरोसा ही तो मांगा था लेकिन तुम्हें मुझसे ज्यादा लोगों की बातें  सही लगी बावजूद इसके कि तुम्हारे मां पिताजी भी  जानते हैं मेरा चरित्र कैसा है। 

                                          #कैरेक्टर सर्टिफिकेट मेरा नहीं चाहिए बल्कि मुझे तुम्हारा चाहिए, मैं तो तुम्हारे परिवार के साथ थी लेकिन तुम दूर देस में अकेले थे ,वहां तुमने क्या-क्या गुलछर्रे उड़ाये ?साबित करो तुमने मुझे धोखा नहीं दिया , तब तुम्हें अपने बच्चे को देखने दूंगी और हां अदालत के आदेश पर बनने वाली डी•न•ए•रिपोर्ट आसानी से साबित कर देगी कि मेरे बच्चे का बाप कौन है। मेरा बच्चा समाज में सम्मान से जीएगा ये ही मेरा मुआवजा है ।

दूसरी बात यह है कि मैंने अपना पैसा ही मांगा है उस फ्लैट में हम दोनों ने इन्वेस्ट किया था वो मेरी मेहनत की कमाई है वो मुझे वापस चाहिए।

रमन आगे बढ़कर कर बोला वैदेही एक झगड़े के कारण तलाक़ मत लो मैं नशे में था मुझे माफ़ कर दो प्लीज़ याद करो हम एक-दूसरे से कितना प्यार करते थे, एक ग़लती हो गई मुझसे इतनी बड़ी सजा मत दो वैदेही ने कहा इंसान नशे की आड़ में अपने  मन की बात कह देता है ,

तुम्हारे मन में मेरे लिए क्या है तुमने बता दिया, रमन जरा सी आंच आई थी लेकिन तुमने तो हमारा घरौंदा ही जला दिया,बात एक झगड़े की या एक ग़लती की नहीं है बल्कि मेरे और मेरे बच्चे के सम्मान की है,आज तुम मुझसे एक ग़लती की माफी मांग रहे हो लेकिन उस दिन तुमने बिना किसी ग़लती के मुझे गुनहगार मान लिया था,

रमन जहां इज्जत नहीं जहां भरोसा नहीं वहां प्यार तो हो ही नहीं सकता है और बिना इन सबके साथ रहने का कोई मतलब नहीं है अब तुम अपना कैरेक्टर सर्टिफिकेट ला कर ही मुझसे और मेरे बच्चे से मिलना

विनती झुंझुनवाला 

#तनाव

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!