धिक्कार – माधुरी गुप्ता : Moral stories in hindi

होली का त्यौहार नजदीक आ रहा था,पर मन में त्यौहार बाली उमंग नहीं आ पा रही थी,कारण दोनों बच्चे बेटा बेटी विदेश में जा बसे थे। कयोंकि शाय़द आजकल का यही चलन है।बैसे भी त्यौहार की रौनक तो बच्चो से ही होती है।बच्चे फरमाइश करें तो मां के मन में उर्जा आ ही जाती है ।उनकी फरमाइश पूरी करके मां को जो खुशी मिलती है वह सिर्फ एक मां ही समझ सकती है।खैर जो भी है समय व परिस्थितियों से समझौता करना ही पड़ता है,चाहे खुशी से करो या मुंह लटका कर।

सीमा को हमेशा हर हाल में खुश रहने की आदत है,ऐसे में भाई, भाभी का फोन आया,दीदी इस बार आप होली हम लोगों के साथ मना रही हैं। अतः अपनी सुबिधानुसार प्रोग्राम बना कर पहुंचना है होली से पहले।

उम्र चाहे कितनी भी होजाय लेकिन मायके जाने का लोभ लालच छूटता कहां है।

होली कीछुट्टियां होने के कारण कैब कोई अरेंज नहीं हो पा रही थी,सोचा इस बार बस से ही यात्रा की जाय।बैसे भी दिल्ली से आगरा का सफर सिर्फ तीन घंटे का ही तो है।बस में सहयात्रियों से बोलते वतियाते सफर के तीन घंटे आराम से बीत जाते हैं

आनंदविहार से बस लेकर यात्रा शुरू की ,बस चलने ही बाली थीकि एक आधुनिक सी दिखने वाली लड़की जो जींस टॉप पहने थी,बस में दाख़िल हुई,चूंकि मैं लेडीज सीट पर बैठी थी ,और मेरी बगल की सीट खाली थी,सो वह लड़की मेरी बगल में आकर बैठ गई।हां बैठने से पहले उसने मुझसे पूछा, कैन आई सीट विद यू।

,मैंने हां की मुद्रा में सिर हिलाया। बैठते ही उसका बोलना चालू हो गया। यूं,ने आंटी दिल्ली का ट्रैफिक, सो मच टाइम वेस्ट इन दिस ट्रैफिक।माई सैल्फ ट्रैवलिंग फर्स्ट टाइम इन बस,विकौज माई मॉम-डैड टोल्ड मी ट्रैवल इन द बस यूं विल फील सेफ।

जव से बस में बैठी थी,वस सिर्फ अंग्रेजी में ही बात किए जारहीथी।

मैंने मन में सोचा कैसी लड़की है, हिन्दी में भी तो बात कर सकती है।ऐसे बात कररहाी है मानो हिन्दी जानती हीनहो।

उसने मुझे बताया कि वह आगरा में अपने ग्रांड पेरेंट्स के पास जारही है होली मनाने।विकॉज माई पेरेंट्स इज आउट ऑफ इंडिया,सो दे टोल्ड मी सेलीब्रेट होली फेस्टीवल विद दैम। दे विल वी हैपी।

उसकी तावडतोड अंग्रेजी सुन कर मन में बहुत खीज होने लगी।

आखिर जव मुझसे नहीं रहा गया तो मैने पूछा, क्या तुम विदेश में पैदा हुई थी, क्या तुमको अपनी भाषा हिन्दी बोलना नहीं आती?

यूं नो , आंटी आई नो हिन्दी ,बट आई हेट हिन्दी।

मैंने तुरंत कहा #धिककार है तुमको जो अपनी भाषा को हेट कर रहीं हों और अंग्रेजी भाषा से प्यार।

जब तुम रहती यहां हो तो तुमको अपनी भाषा ही बोलनी चाहिए।

कया तुम्हारे दादी ,दादा अंग्रेजी बोलते हैं।

नेोआंटी इट्स से बिग प्रोब्लम ,ऐनी हाऊ आई बिल स्पेंड टू डेज बिंद दैम।

लेकिन बेटा तुमको हिन्दी बोलने में इतनी झिझक कयों है , हिन्दी तो अपने देश की मात्र भाषा है,तुमको हिन्दी सीखनी चाहिए और बोलनी भी चाहिए।

बट आंटी अंग्रेजी बोलने से बहुत अच्छा इम्प्रैशन पड़ता है स्पेशली हॉस्पिटल बगैरह में।

बह सब तो ठीक है बेटा लेकिन हिन्दुस्तान में रहते हुए तुम अंग्रेजी की वकालात कररहीं हों ,यह ठीक नहीं है।

देखा जाय तो यह शर्मनाक बात है।

ओके आंटी ,आई बिल ट्राई।

खैर बस आगरा पंहुच चुकी थी वह लड़की जिसका नाम रोमा था,हम दोनों ही बस से उतर कर अपने अपने गंतव्य मंजिल की ओर बढ़ गए।

इत्तेफाक से होली के बाद बापस लौटते समय फिर बस में ही उससे मुलाकात हुई।तपाक से दोनों हाथों को जोड़कर उसने मुझे नमस्ते कहा ,और मेरी बगल में आकर बैठ गई।

लेकिन इस बार बह हिन्दी भाषा में ही बात कर रही थी मुझसे,उसने बताया कि किस तरह उसके दादा दादी उसको देख कर खुश हो गए और अपने त्यौहार के बारे में सब कुछ बताया कि हम लोग होली क्यों मनाते हैं।इस त्योहार का क्या महत्व है हमारे जीवन में,साथ ही इस त्योहार पर बनने वाले पकवानों का भी आनंद लिया रोमा ने ।

इस बार रोमा से बात करने में मुझे भी बहुत आनंद आया, क्योंकि अब वह हिन्दी में ही बात कर रही थी।

बस अपनी अपनी समझ की बात है अपने देश में रह कर अपनी ही भाषा न बोलना सच में धिक्कार है ऐसे लोगों पर। अंग्रेजी जानना बुरी बात नहीं है लेकिन हिन्दी न बोलना बहुत ही शर्मनाक बात है।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता

नईदिल्ली

 

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