औलाद की खुशी के लिये : Moral stories in hindi

   ” बेटा…लड़की या उसके परिवार में किसी को कोई बीमारी तो नहीं…।” गंभीरता-से शिवचरण बाबू ने सुनील से पूछा।

” नहीं अंकल….ऐसी कोई बात नहीं है…मैं उस परिवार को बहुत पहले से जानता हूँ।वे लोग बहुत सरल और शांत स्वभाव के हैं और नमिता तो मेरे ही कॉलेज़ में पढ़ती है।आप निश्चिंत होकर सुमित भैया का विवाह उसके साथ कर दीजिये।” कहकर तरुण अपने घर चला आया।

      डिनर के बाद तरुण ने अपने पिता से पूछा,” पापा… शिवचरण अंकल इतनी छान-बीन क्यों कर रहें थें…बेटे की शादी के लिये कौन इतना गिन-गिन कर पैर रखता है। ऐसा तो लोग अपनी बेटी की शादी में करता है कि कहीं धोखा न हो जाये।बेटे के लिये तो…।”

” करना पड़ता है बेटा।” कहते हुए उसके पिता कुछ सोचने लगे।

  तरुण को कारण जानने की जिज्ञासा थी, सो उसने पूछ लिया,” क्यों पापा…प्लीज़ बताइये ना..।”

 उसके पिता बोले,” पाँच साल पहले शिवचरण ने अपने बड़े बेटे अमित का विवाह एक एमए पास लड़की के साथ किया था।शिवचरण का पहला अनुभव था।लड़की और परिवार दोनों बहुत अच्छे थे।शादी पक्की होने के बाद कुछ दिनों पहले लड़की ने शादी से इंकार कर दिया।फिर दस दिनों के बाद लड़की और उसके पिता ने अमित से माफ़ी माँगकर शादी जल्दी करने के लिये कहा।शिवचरण छल-कपट नहीं जानते थें, बेटी के पिता का मर्म समझते थे, इसलिए पंद्रह दिनों के अंदर ही मुहूर्त निकलवा कर अमित का ब्याह कर दिया।एक सप्ताह बाद दोनों मुंबई चले गये…।” इतना कहकर तरुण के पिता चुप हो गये।

 ” फिर पापा…।” तरुण ने पूछा।

पिता बोले,” कुछ दिनों तक तो सब अच्छा था, फिर अचानक अमित की पत्नी उस पर चिल्लाने लगी…सामान फेंकने लगी।अमित कुछ समझ नहीं पा रहा था…उसने सोचा, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा,पर ऐसा हुआ नहीं।लोगों के सामने तो उसका व्यवहार बहुत अच्छा होता लेकिन अमित के साथ…जानवरों से भी बदतर।

    पिता को दुख होगा, यह सोचकर अमित ने कुछ नहीं बताया लेकिन बेटे से मिलने जब शिवचरण मुंबई गये और तब बहू का जो रूप देखा तो दंग रह गये।उसके माता-पिता बोले,” हमारे साथ भी करती है पर आप चिंता न करें..वो ठीक हो जायेगी।अमित ने डाॅक्टर से परामर्श किया तब पता चला कि उसकी पत्नी मानसिक रोग से ग्रसित है।मुश्किल यह था कि सबके सामने वह इतना अच्छा रहती कि अमित ही गलत साबित हो जाता था।किसी तरह से दो साल बीते…अमित का स्वास्थ्य गिरने लगा तब शिवचरण ने बेटे को तलाक दिलवाने के लिये अदालत का दरवाज़ा खटखटाया।इस कार्य में शिवचरण का पैसा पानी की तरह बहा…अमित को मानसिक कष्ट से भी गुज़रना पड़ा।दो साल आठ महीने तक अदालतों के चक्कर लगाने के बाद अमित को तलाक मिला।कई महीनों तक शिवचरण का परिवार इस सदमे से उबर नहीं पाया था।कुछ महीनों के पश्चात अमित नार्मल हुआ…उसने नयी कंपनी ज्वाइन की पर शादी न करने का फ़ैसला कर लिया।इसीलिये सुमित के विवाह में तुम्हारे अंकल इतनी पूछताछ- जाँच-पड़ताल कर रहें हैं ताकि फिर से कहीं …..।बेटा, वैवाहिक धोखा सिर्फ़ लड़की वालों को ही नहीं होता…लड़के वाले भी छले जाते हैं। बेटी हो या बेटा…औलाद की खुशी के लिये माँ-बाप को गिन-गिनकर पैर रखना ही पड़ता है।” कहते हुए उन्होंने तरुण के सिर पर प्यार-से हाथ फेरा।

   ” तब तो पापा…आप मेरी शादी में भी…।”

  ” क्यों नहीं…..।बाप-बेटा दोनों मुस्कुराने लगे।

                                       विभा गुप्ता

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