सिलसिला – गीतांजलि गुप्ता

मंजूषा कुछ दिनों पहले ही हमारे पड़ोस वाले फ़्लैट में आई थी। पतली दुबली स्मार्ट दिखने वाली कुछ चालीस वर्ष की आयु होगी उसकी। परिवार के नाम पर वो और उसकी माँ ही थे। घर के बाहर एक कार खड़ी रहती पर वो उसे कभी कभार ही निकालती, तब जब माँ बेटी साथ में कहीं … Read more

आखिर मुखौटा उतर ही गया – शुभ्रा बैनर्जी

नंदिनी काफी दिनों से विवेक को तलाश रही थी।बहुत मुश्किल से जब पता मिला तो नंदिनी मिलने के लिए पहुंची आफिस।आलीशान बिल्डिंग थी ।नंदिनी आफिस से उनकी व्यक्तिगत जिंदगी की खुशहाली देख सकती थी।दूर से देखकर नंदिनी ने विवेक को पहचान लिया था।बस अब उससे मिलने की जरूरत नहीं। विवेक को देखते ही नंदिनी अपने … Read more

दीदी तेरा देवर दिवाना !! – स्वाती जैंन

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शिवानी को कॉलेज से घर लौटते वक्त यह एहसास हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है, जैसे ही उसने पीछे देखा एक लड़का उसके पीछे से आया और बोला हेलो क्या आप मुझसे दोस्ती करोगी ?? शिवानी को बहुत गुस्सा आया वैसे भी वह ऐसे मनचले लड़कों से बहुत परेशान थी जो मुंह उठाए … Read more

तू नौकरी क्यों करना चाहती हैं?? – मनीषा भरतिया 

रोमा बचपन से ही आत्मनिर्भर बनना चाहती थी| उसे पुरुष पर निर्भर रहना पसंद नहीं था| वह अपने माता पिता ज्ञानचंद जी और माता तारामणि जी की इकलौती संतान थी| उसके पिता ज्ञानचंद जी बहुत बड़ी रियासत के मालिक थे, घर में दूध की नदियां बहती थीं| यूँ कहो तो घर में पैसों की रेलम … Read more

मेरे स्वाभिमान की कमाई  – रोनिता कुंडु 

सुनिए जी..! आज रवि का बोर्ड का रिजल्ट आया है… और वह बहुत अच्छे नंबरों से पास हुआ है…. आशिमा ने ऑफिस से लौटे अपने पति कपिल से अपने भाई रवि के बारे में कहा.. कपिल:  हम्म….अच्छा…. कहकर बाथरूम में घुस गया… जब कपिल बाथरूम से बाहर निकलता है… आशिमा:   वह मैंने उससे कहा … Read more

सहारे की बैसाखी – मंजू तिवारी

मम्मी ये ऐसे वैसे कपड़े नहीं पहनते हैं इनको तो ब्रांडेड कपड़े चाहिए मम्मी पापा भी बड़े खुश होकर अपनी बेटी के कहे अनुसार दमाद को बेटी को और उसके बच्चों को अच्छे अच्छे कपड़े दिलाते कभी पैसे देते बेटी जब भी आती एक गाड़ी भर कर सामान के साथ उसकी विदा की जाती,,, बेटी … Read more

वर्ना… वर्ना क्या कर लेंगीं आप?? – सविता गोयल

नीलम एक मध्यमवर्गीय परिवार की पढ़ी लिखी, सर्वगुण संपन्न लड़की थी। उसके पिता उसके लिए रिश्ता देख हीं रहे थे कि नीलम की बुआ एक बड़े घर का रिश्ता लेकर आ गई। देखने सुनने में सब अच्छा लगा तो नीलम के पापा ने नीलम की रजामंदी से उसका रिश्ता वहीं तय कर दिया।    नीलम भी … Read more

रिश्तों की अहमियत – शिखा जैन

“भाभी,आप भैया को छोड़कर अपने घर चली जाओ।मैं भी हमेशा के लिए यहाँ रहने आ गई हूँ।” आरती के यह कहने पर रीना भाभी जोर जोर से हंसने लगी जैसे आरती ने कोई चुटकुला सुनाया हो। “क्या भाभी,आप भी?इतनी सीरियस बात पर भी कोई हंसता है क्या” आरती झुँझला पड़ी। “अभी-अभी भैया आप से लड़कर … Read more

पत्नी के आने से मां की उम्मीदें खत्म नहीं होती.. – निधि शर्मा 

“मां मैं दफ्तर के लिए जा रहा हूं घर का और अपना ध्यान रखना। आपको कुछ चाहिए तो मुझे फोन कर देना, मैं वापस आते समय लेता आऊंगा चलता हूं। सुमन मैं जा रहा हूं मुझे गाड़ी की चाबी दे दो और गेट बंद कर लो।” राजीव अपनी मां कावेरी देवी और पत्नी सुमन से … Read more

सही राह – लतिका श्रीवास्तव

वृद्धाश्रम के दरवाजे पर ही पिता रमानाथ जी को उतार कर राजन चलने लगा तो वृद्ध अशक्त पिता ने कोई शिकायत नहीं की बस आंसू भरी आंखों और रुंधे गले से हमेशा की तरह सदा खुश रहो बेटा का आशीष जरूर दिया जिसे सुनने के लिए बेटा राजन रुका ही नहीं….तुरंत कार स्टार्ट करके घर … Read more

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