बदलती सोच – माधुरी गुप्ता : Moral stories in hindi

राजन व मीरा ने पूरे पांच साल की कोर्ट शिप के बाद लव कम अरेंज मैरिज कीं थी। लव-मैरिज तो थी ही लेकिन राजन की मां ने बहुत समय लगाया मीरा को अपनी बहू मानने में,कयोंकि राजन व मीरा की जाति में अलग-अलग थी।आखिर राजन ने भी अपनी मां को मना ही लिया था।राजन के पापा को तो कोई एतराज़ नहीं था उनका मानना था कि हम बड़ों को अपने बच्चों की खुशी में ही खुश रहना चाहिए।

मीरा योंतो पढ़ी लिखी थी समझदार व मिलनसार नेचर की थी जिससे सामने बाले कोको दो चार मुलाकातों में अपना बना लेने का गुण था। अपने काम के प्रति भी उसका डेडीकेशन गहरा था जो भी प्रोजेक्ट हाथ में लेती उसे पूरा करने में जी-जान लगा देती।उसका काम देख और लोग भी उसी से अपना इन्टीरियर कराने को उत्सुक रहते।

उसके इन्हीं सारे गुणों के कारण ही राजन उसको अपना दिल दे बैठा था। मीरा से अपनी दिल की बात

कहने के लिए किसी उचित मौके की तलाश में था। साथ में काम करते करते पसंद तो मीरा भी राजन को करने लगी थी,लेकिन वही जात-पात की उच नीच को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ कर कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।

कहते हैं न यदि किसी को सच्चे दिल से चाहो तो पूरी कायनात उन लोगों को मिलाने में सहयोग करती है।

मीरा व राजन के मामले में भी ऐसा ही हुआ। मुम्बई में वन बी एचके फ्लैट में भी लोग आर्किटेक्ट व इन्टीरियर डेकोरेशन टीम से काम करबा के फ्लैट को बढ़िया बना लेते है।

एक फ्लैट ओनर ने जहां राजन से अपने फ्लैट का आर्किटेक्ट का काम करवाया वही मीरा को इन्टीरियर डेकोरेशन का काम सौंपा।उन लोगों को फ्लैट में जल्दी ही शिफ्ट करना था,सो राजन व मीरा दोनों ही देर देर तक रूक कर काम पूरा करने में लगे रहते।

जब काम करते समय अधिक देर हो जाती तो राजन मीरा को अपनी कार से उसके घर छोड़ देता।ऐसे ही एक दिन जब राजन मीरा को उसके घर छोड़ कर बाहर जाने लगा तो मीरा ने रोक लिया,एक कप चाय तो पीते जाइए,इतनी भी क्या जल्दी है।

मीरा के आग्रह को राजन टाल न सका।चाय के साथ ढेर सारी बातों का सिलसिला चल निकला।राजन ने मीरा से अपनी चाहता इजहार कर तो दिया था लेकिन मीरा ने अभी तक कोई जबाव न दिया था।जिससे राजन के दिल की बेचैनी बढ़ती जारही थी।

इस फ्लैट का कामखत्म होने बाला था,पता नही फिर कब मिलना हो यह सोच कर राजन ने स्पष्ट शब्दों में कहा मीरा क्या तुम मेरे साथ अपना पूरा जीवन बिताना पसंद करोगी।

राजन की बात सुन कर मीरा ने लजाकर अपनी नजरें नीची करली थी,और उसका चेहरा लाल होगया था।

दोनों परिवारों की सहमति से यह शादी सम्पन्न हो गई थी

शादी के कुछ दिनों बाद राजन के पेरेंट्स वापस अपने शहर लखनऊ चले गए थे।लेकिन बीच बीच में जब भी कोई त्योहार होता राजन के पेरेंट्स आजाते।राजन की मां मीरा को किसी न किसी बात से उसकी जाति के बारे में बात करके मीरा को नीचा दिखाने की कोशिश करतीं,उसके काम में मीन-मेख। निकालती जिससे उनके आने से मीरा # तनाव में आजाती और उससे घर के काम में कुछ न कुछ गड़बड़ी हो जाती।

राजन के घर आने पर उसकी मां बढ़ा चढ़ा कर मीरा की कमियां बताती,लेकिन राजन सब कुछ सुन कर चुप लगा जाता।

मीरा को तनाव में देखकर वह कहता बस कुछ दिन चुप रह कर सह लो फिर तो मां अपनें घर लखनऊ जाने ही बाली हैं

जानता हूं ,उनके आने से तुम #तनावमेंआजातीहो। परंतु उनकी नेचर को इतनी जल्दी तो नही बदला जा सकता,लेकिन एक नएक दिन तुम अप ने मिलनसार स्वभाव से उनको अपना जरूर बना लोगी।

दिपावली का त्यौहार आने बाला था,जैसे ही मीरा को पता लगा उसके सास ससुर आरहे हैं ,उसने एक सप्ताह की छुट्टी लेली,और मन ही मन सोचने लगी कि इस बार अपने व्यवहार से मां को जरूर खुश करके रहूंगाी।

इत्तेफाक से राजन को कुछ दिनों के लिए किसी जरूरी काम से मुंबई से बाहर जाना पड़ा।जाने से पहले राजन ने मीरा को समझाया कि मां की किसी बात का बुरा मत मानना प्लीज़।मन की बहुत अच्छी हैं मेरी मां।दूसरी तरफ मां को भी समझाया,मां मीरा जैसी भी है अब आपकी बहू है।आपको उसके साथ प्यार से व्यवहार करना चाहिए।मां ने राजन से परतप्रत्यक्ष में कहा तो कुछ नही परंतु फुसफुसा कर यह ज़रूर कहा ,जोरू का गुलाम।

कल की आईं इसकी सब कुछ हो गई और जिस मां ने जन्म दिया उसी को समझारहा है,जोरू का गुलाम , हालांकि मां ने कहा तो फुसफुसा कर ही था। लेकिन राजन ने सुन लिया था।बस कुछ न कह घर सिर्फ मुस्कुरा कर रह गया।

एक दिन मां नहाने गई हुई थीं और मीरा मां की पसंद का नाश्ता तैयार घर रही थी रसोई में ,तभी मीरा के कान में अपने नाम की आबाज सुनाई पड़ी, आबाज बाथरूम की तरफ से आरही थी,जाने पर देखा कि मां गिरी पड़ी थी,टकराने से उनका सिर पर चोट लगी थी खून बराबर वह रहा थापर रहा था।

मीरा ने तुरंत अपने ससुरजी को बुलाया,दोनो ने मिल कर उठाया फिर सिर नीचे व पैर ऊपर करके लिटाया सिर पर तुरंत आइस पैक रखा जिससे खून निकलने की तीव्रता काफी कम हो गई थी।

मीरा मां को लेकर तुरंत हॉस्पिटल के लिए निकल गई। हॉस्पिटल पर पहुंच ने पर डॉक्टर ने कहा आपने सही समय पर आइस पैक रख कर बहुत समझदारी कापरिचय दिया है ब्लड बहुत निकल चुका है,कुछ ब्लड और चढ़ाना पड़ेगा। डाक्टर ने माजी का ब्लड चैक किया और बताया कि इनका ब्लड ओ पॉजिटिव है सो आप एक बॉटल ब्लड इसी गुरप का अरेंज घर लीजिये तब तक प्राथमिक उपचार देदेते हैं।

मीरा ने कहा डॉक्टर साहब मेरा ब्लड गुरप भी ओ पॉजिटिव है , प्लीज़ आप मेरा ब्लड लेकरमांको देदीजिए।

डॉक्टर ने मीरा काब्लड लेकर मां को चढ़ा दिया,अब मां पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही थी।डॉक्टर ने कहाआप इनको एक दो दिन के बाद घर ले जासकते है।

घर आने पर राजन की मां ,मीरा से आंखें नहीं मिला पा रही थी,नीम बेहोशी की हालत में उन्होंने यह सुन लियाथाकि उनको ब्लड मीरा ने दिया है।

उनके मन में बहुत ही आत्मग्लानि हो रही थी कि जिस बहू को वे हमेशा खराखोटा कहती रही,वही आज अपनी जान की परबाह न करतेहुए उनकी जान बचा कर लाई हैं

सच में बेकार में ही ऊंची जाति व नीचा जाति काबहम अपने मन में पाल कर बैठी थी।जवकि भगवान ने तो सवके शरीर मेंएक ही तरह का खून भरा है यह तो हम इन्सानों के दिमाग़ की खुरापाती समझ है जो एक-दूसरे में भेदभाव करते हैं , मैं आजही मीरा से माफी मांग लूंगी,बेटे यह सब मेरी छोटी सोच कानतीजा है जो मैने तेरे बारे में गलत सोचा।सबसे ऊंची जातितो उस इंसान की होती है जो किसी कीजानबचाए।

धन्य है बेटा मीरा बहू। मां की सोच मिलाके बारे में पूरी तरह बदल चुकी थीं।

मां के मुंह से अपने लिए इतने प्यार भरे शब्द सुन करमीराका# तनाव तो छूमंतर हो गया था।

सास बहू दोनों एक-दूसरे से गले मिल कर मुस्कुरा रही थी।और ससुर जी तो यहसब देखकर बहुत खुश थे।उनका मन कह रहा था कि सुबह का भूला हुआ यदि शाम को वापस आजए तो उसे भूला नहीं कहते।

सब खुश थे यही सबसे बड़ी बात ,थी।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता

नईदिल्ली

 

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