वाह री किस्मत – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

शिवांगी ने बेटी से साफ -साफ कह दिया था,कि अब शादी के लिए मन बना लें।नौकरी करते हुए दो साल हो गए थे।ईश्वर की कृपा थी कि वह मान गई। मैट्रिमोनियल पर ढुंढ़ाई शुरू हुई।सजातीय लड़का मिल रहा था ,तो नौकरी अच्छी नहीं थी उसकी।नौकरी अच्छी -खासी थी तो,दिखने में सुपुरुष नहीं। खोज-बीन करते-करते ही … Read more

देश ही भाग्य विधाता – शुभ्रा बैनर्जी: Moral Stories in hindi

प्रतीक को आई आई टी से पास आउट होते ही मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी मिल गई थी।प्रतीक अपनी सहपाठी नित्या से प्रेम करता था।अपने मम्मी -पापा को नित्या के बारे में बताया,जो कि सजातीय नहीं थी।सुलभा(प्रतीक की मां)ने एक ही बात कही”हमें तो कोई परेशानी नहीं इस विवाह से।तुम्हारे पापा भी मान … Read more

मां होने की मुसीबत – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज अपनी बेटी के मुंह से नानी की तारीफ सुनकर अंजू अवाक रह गई।बेटियां कितने अच्छे से विश्लेषण कर पातीं हैं,अपनी मां के मायके का।कभी किसी बात पर रोक -टोक ना करके भी ,अपने मन का करवा लेने वाली “मां” की उपाधि दी थी बेटी ने उसे।परंपराओं को स्वेच्छा से … Read more

रति – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : उर्मि की शादी की दसवीं सालगिरह थी।विवेक ने सरप्राइज पार्टी प्लान की थी।सुबह से उर्मि के कान तरस रहे थे,विवेक के मुंह से हैप्पी एनिवर्सरी सुनने के लिए।ऐसा पिछले नौ सालों में कभी नहीं हुआ कि विवेक अपनी शादी की सालगिरह भूले हों। बच्चों का जन्मदिन, उर्मि का जन्मदिन हमेशा … Read more

 मोह पाश से मुक्ति (भाग 2)- शुभ्रा बैनर्जी

मानसी और मानव ने एक दूसरे को आश्वासन दिया था कि इस रिश्ते का असर दोनों परिवारों पर कभी नहीं पड़ेगा।समय बीतने के साथ-साथ यह रिश्ता और मजबूत होने लगा था।दोनों ने मिलकर बहुत सारी योजनाएं बनाईं थीं।कब मिलेंगे,कैसे मिलेंगे,कहां मिलेंगे? आज उसने आखिरकार तय कर ही लिया कि दोनों बनारस में मिलेंगे,उसके घर से … Read more

 मोह पाश से मुक्ति (भाग 1)- शुभ्रा बैनर्जी

मानसी ने कभी सोचा भी नहीं था, कि इतनी कमजोर पड़ जाएगी वह उसके सामने।कितनी दलीलें दे डाली उसने इस बेमेल रिश्ते के बारे में,पर वह तो कुछ सुनना ही नहीं चाहता था।अपनी ज़िद पर अड़ा रहा मानव।मानसी ने कितनी लड़ाई की,हर तरीके से समझाया,पर हार गई उसके प्रेम के आगे।एक पत्रिका में छपी कविता … Read more

बहू की मां (भाग 2)- शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : प्रज्ञा ने भी चिढ़ाते हुए कहा”अच्छा ,तुम तो होशियार निकली,मैं तो सीधी-सादी समझ रही थी तुम्हें।”शादी के बाद से ही उनकी यही कोशिश रहती कि मैं और उनका बेटा रोज़ बाहर जाएं,घूमें,मंदिर जाएं,और बच्चों को‌ वे बड़े प्यार से संभाल लेतीं थीं। देखते-देखते बच्चे भी बड़े हो गए।नातिन दादा की … Read more

बहू की मां (भाग 1)- शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : तीस वर्षों से साथ रहते-रहते कब मेरी शक्ल भी उनके जैसी हो गई पता ही नहीं चला।ब्याह भी तो उन्हें ही पसंद कर किया था।मां को तो लड़के को देखकर उसमें अपने दामाद बनने लायक कोई गुण नहीं मिले थे।साफ -साफ कह दिया था उन्होंने मुझसे,कि शादी ना करूं मैं।मुझे … Read more

नियति का खेल- शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : कट्टर कन्नड़  ब्राह्मण परिवार के थे मिस्टर सदानंदन।दो बेटे थे उनके-भारद्वाज और वशिष्ठ।बड़ा बेटा भारद्वाज पांचवीं में और छोटा वशिष्ठ तीसरी में पढ़ते थे।मिस्टर सदानंदन जी एम ऑफिस में फाइनैंस डिपार्टमेंट में थे।कोल इंडिया की साउथ ईस्टर्न लिमिटेड कंपनी है इस क्षेत्र में। कहीं से पता चला उन्हें कि मैं … Read more

कैसी मां हो तुम : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : शनिवार के साप्ताहिक बाजार से सरिता अपनी सास की मनमसंद सब्जियां खरीद लाई थी।क्रिसमस की इस बार लंबी छुट्टी पड़ी थी।सासू मां की खुराक बहुत ही कम थी,जीभ पर भी लगाम लगा कर रखतीं थीं वह।रोज़ तो सरिता सुबह बनाकर जाती थी और काम वाली दीदी समय पर गर्म करके … Read more

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