दहलीज – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

यहीं वो दहलीज हैं, जो बरसों पहले मैंने छोड़ दी थी ..।बरसों की मेहनत ने उसे आज इस दहलीज को पार करने का हक़ दिला दिया.। अनूप के साथ खड़ी मै, और सामने आरती का थाल लिए माँ जी..। सिर्फ सपना ही देखा था.. यथार्थ तो आज देख़ रही हूँ.। मै यानि नेहा… एक साधारण … Read more

वे शिकायतें जो कभी कही न गई – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“क्या मम्मी, आजकल घर कितना फैला रहता, आप ध्यान नहीं रखतीं “बेटे जलज ने सुनीति से शिकायत की।सुनते ही पति कमल भी चालू हो गये,”तुम्हारी माँ को सहेलियों, किट्टी से फुर्सत मिले तब न ध्यान देंगी..”। उधर सासू माँ भी कहाँ पीछे रहने वाली,”आजकल की बहुओं के नखरे भी ज्यादा हैं, सारा दिन घर में … Read more

गुड़ न्यूज़ – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आधी रात बीत गई लेकिन लता की आँखों में नींद का नामों -निशान नहीं था..। कल क्या होगा यही सोच -सोच कर परेशान थी। सुबह चार बजे बिस्तर से उठ, नहा -धो कर मंदिर में दिया जला हाथ जोड़ कर बैठी थी, आँखों बंद जरूर थी लेकिन आँखों से बहते आँसू उसकी खराब मनोदशा को … Read more

गुरुर – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

ऑफिस में नये साल पर मॉल में खुले नये रेस्टोरेंट में लंच होना तय किया गया,सुबह सबको मुबारकवाद देने में गुजरा, दोपहर में लंच के लिये सहकर्मी वर्मा जी के साथ सुधाकर जी मॉल पहुँचे, सीढ़ियों पर बैठे एक स्कूली लड़के और लड़की को देख, वर्मा जी बोले, “क्या जमाना आ गया, स्कूल बंक कर … Read more

किसी बात का एक पहलू ही नहीं दूसरा पहलू भी होता है….- संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“मैं तुम्हारी माँ के साथ नहीं रह सकती, बहुत टोका -टाकी करती हैं, जब तुम उन्हें गांव छोड़ आओगे, तभी मैं आऊंगी “कह मिली अपना सामान पैक करने लगी। मिहिर सर पर हाथ रखे बैठा था। सास -बहू की रोज की लड़ाईयों से तंग आ गया। किसको समझाये, किसको छोड़े, दोनों ही तो दिल में … Read more

एक रिश्ता ऐसा भी – संगीता त्रिपाठी । Moral stories in hindi

 ” गलती इंसान के जीवन का एक हिस्सा हैं…. निधि, कुछ तुम से हुई और कुछ मुझसे “। मयंक दुखी स्वर में बोला। “हमें उसी समय हिम्मत दिखानी थी। तुम तो कमजोर पड़ी, पर मै क्यों नहीं मजबूत रह पाया अपने निर्णय पर “…    कॉफी के कड़वे घूंट लेती हुई निधि ने कहा -“अब जो … Read more

धिक्कार – संगीता त्रिपाठी   : Moral stories in hindi

माता -पिता के जीवन में बच्चे हिस्सा नहीं बल्कि जीवन होते है लेकिन बच्चों के जीवन में माता -पिता हिस्सा होते है।राम बाबू और यशोदा जी को एक बेटा और दो बेटियाँ थी। बेटा कैलाश छोटा था, दोनों लड़कियों की समयनुसार शादी कर राम बाबू और यशोदा जी गंगा नहा लिये। बेटा कैलाश पढ़ रहा … Read more

मुक्ति – संगीता त्रिपाठी : Moral stories in hindi

“आपकी पत्नी को जो भी पसंद है, वो सामग्री दान करें।” पंडित जी की गंभीर आवाज कमरे में गूंज उठी। सब एक दूसरे का मुँह देख रहे थे। माँ की पसंद….. बहुत याद करने पर सतीश जी को याद आया एक बार इला ने आइसक्रीम खाने की इच्छा प्रकट की थी।”बेटा माँ को आइसक्रीम बहुत … Read more

अन्याय के खिलाफ – संगीता त्रिपाठी : Moral stories in hindi

सायरन बजाती एम्बुलेंन्स दूर चली गई।वसुधा छोटे बेबी को गोद में लिये कांप रही थी।उसकी तरफ उठी हर ऊँगली उसे ही दोषी मान रही थी। बेटा और बेटी उससे लिपट कर डरे -सहमे से खड़े थे। एक बारगी उसका मन भी विचलित हो गया, क्या उसने गलत किया…? पर आखिर वो कितने ज़ख्म, जो नासूर … Read more

मन की गांठ – संगीता त्रिपाठी   : Moral stories in hindi

 सुबह की खटर -पटर नहीं सुनाई देने से  सुहास की नींद देर से टूटी घड़ी आठ बजा रही, हेमा पर गुस्सा करने वाला था, देखा बगल में हेमा अभी तक सोई पड़ी है। हेमा को हिलाते हुये सुहास बोले “हेमा उठो आज अलार्म नहीं लगाया था क्या…? मुझे ऑफिस को लेट हो रहा “। तभी … Read more

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