नब्बे रुपए -नेकराम Moral Stories in Hindi

घिस घिसकर जूते का नीचे वाला तला गल कर खत्म हो गया चलने पर मेरे पैरों की दोनों एड़ियां जमीन से टकराने लगी है दो साल से इन्हीं जूतों को रगड़ रगड़ कर पहन रहा हूं स्कूल के लड़के भी अब मुझें चिढ़ाने लगे हैं अगर तुम मेरे लिए नए जूते खरीद कर नहीं लाओगी … Read more

अलिफ लैला -नेकराम Moral Stories in Hindi

मां रात हो गई अलिफ लैला शुरू हो गया मैं शब्बो आंटी के घर जा रहा हूं आकर खाना खाऊंगा मां को बताकर मैं मोहल्ले की बड़ी सी टेलीविजन की दुकान की तरफ चल पड़ा पिछली सप्ताह शब्बो आंटी के घर गया था तो उनके बच्चों ने मुझे देखते ही टेलीविजन बंद कर दिया था … Read more

महालक्ष्मी बिल्डर्स -नेकराम Moral Stories in Hindi

अजी सुनते हो तुम मुंह लटकाए क्यों बैठे हो आज क्या ड्यूटी नहीं जाना पत्नी ने मेरे उदास चेहरे की तरफ देखते हुए कहा मैंने पत्नी को उदासी का कारण बताते हुए कहा तुम तो जानती ही हो मैं महालक्ष्मी बिल्डर्स के पास काम करता हूं महालक्ष्मी बिल्डर्स के मालिक गोपाल दास एक लंबी बीमारी … Read more

अमरजीत के पांच रुपए- नेकराम: Moral Stories in Hindi

अमरजीत अपने परिवार के साथ शहर में रहता है पिता रिक्शा चलाते हैं किराए का एक छोटा सा कमरा है अमरजीत 12 वीं कक्षा पास कर चुका था ,,,, आगे की पढ़ाई के लिए वह पिता पर अधिक बोंझ नहीं डालना चाहता था इसलिए उसने शहर में नौकरी करने का मन बना लिया था — … Read more

नेकराम की मोटरसाइकिल- नेकराम : Moral Stories in Hindi

दिल्ली के एक कारखाने में काम करते हुए मुझे तीन बर्ष हो चुके थे अम्मा को महीने की सैलरी देने के बाद जो ओवर टाइम लगाता था उन रूपयों को मैं कारखाने के मालिक जगत शर्मा के पास जमा के तौर पर उन्हें दे देता था एक दिन जगत शर्मा जी ने पूछ लिया नेकराम … Read more

मानवता जिंदा है-नेकराम Moral stories in hindi

साड़ी वाला,,,  साड़ी ले लो रंग ,,, रंग बिरंगी सुंदर सुंदर साड़ी ले लो,,,आ गया हूं आपके मोहल्ले में आप की गली में लेकर चलती फिरती साड़ियों की दुकान – विमला रसोई घर में खाना पका रही थी रंग बिरंगी साड़ी का नाम जब कानों में गूंज  ,,तो ,, रहा नहीं गया मन करने लगा … Read more

पापा की मूंछ-नेकराम Moral stories in hindi

बात बचपन की है जब मैं 10 वर्ष का था आज मैं 42 वर्ष का हो चुका हूं यह घटना आज से 32 वर्ष पुरानी है।        अम्मा ने चीखते हुए कहा,, नेकराम घड़ी में सुबह के 9:00 बज चुके हैं और कितना सोएगा दिन पर दिन तेरी आदत बिगड़ती जा रही है रात भर टीवी … Read more

मायका ही देखा ससुराल नहीं – नेकराम : Moral stories in hindi

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जब मैं आठ वर्ष का था तो मैंने देखा मां कमरे के भीतर रो रही थी मैंने मां से पूछा ,,,अम्मा तुम रो क्यों रही हो ,,क्या बात है ,,मुझें बताओ,, तब मां ने कहा नेकराम अब तुझे क्या बताऊं तू तो अभी छोटा है ,, तब मैंने कहा अम्मा अब मैं बड़ा हो चुका … Read more

छोटू का घर – नेकराम : Moral stories in hindi

बात बचपन की है जब मैं कक्षा तीसरी में पढ़ता था हमारा स्कूल घर से 1 किलोमीटर की दूरी पर था उस दिन पिताजी ने दफ्तर से छुट्टी ले रखी थी पिताजी मुझे स्कूल छोड़ने चल दिए रास्ते में फिर मुझें सीमेंट के बने हुए बड़े-बड़े पाइप दिखाई दिए तो मैंने पापा से कहा ,,,पापा … Read more

ईश्वर जो करता है अच्छा करता है – नेकराम: Moral stories in hindi

रात के 8:00 बज चुके थे सोहनलाल कारखाने से छुट्टी करके घर चल पड़ा वह हमेशा पैदल ही घर जाता था ,,सड़क किनारे उसे हमेशा की तरह छोले भटूरे की दुकान दिखाई थी सोहनलाल ने अपनी पैंट की जेब टटोली तो दस का नोट पैंट में पड़ा मिला,, सोहनलाल छोले भटूरे की रेहड़ी के पास … Read more

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