छोटू का घर – नेकराम : Moral stories in hindi

बात बचपन की है जब मैं कक्षा तीसरी में पढ़ता था हमारा स्कूल घर से 1 किलोमीटर की दूरी पर था उस दिन पिताजी ने दफ्तर से छुट्टी ले रखी थी पिताजी मुझे स्कूल छोड़ने चल दिए रास्ते में फिर मुझें सीमेंट के बने हुए बड़े-बड़े पाइप दिखाई दिए तो मैंने पापा से कहा ,,,पापा जी मैं इन पाइपों के भीतर खेलना चाहता हूं

मां मुझे इन पाइपों से हमेशा दूर रखती है पापा जी ने मुझे खेलने की इजाजत देते हुए कहा यह पाइप पानी की सप्लाई और गंदे पानी के निकास के लिए जमीन के भीतर दबा दिए जाते हैं मैं उछल कूद करता हुआ आखिरी वाले पाइप के भीतर पहुंचा तो वहां एक पुरानी फटी सी चादर लपेटे एक लड़का एक किताब लिए बैठा था मैंने उसे अजीब निगाहों से देखा तो उसने भी अजीब निगाहों से मुझे देखा ,,

इतने में पापा जी भी मेरे पीछे-पीछे आ गए ,,तब मैंने उस लड़के से पूछा तुम कौन हो ,,यहां इन पाइपों के भीतर क्या कर रहे हो,, तब उसने बताया मेरा नाम छोटू है यह मेरा घर है ,,

यह तो पाइप है मैंने आश्चर्य से कहा तब उसने आंखें बड़ी करते हुए कहा यह तुम्हारे लिए पाइप है मगर मेरे लिए तो मेरा घर है मैं इसी पाइप में सोता हूं भूख लगने पर पास के मंदिर से कुछ ना कुछ खाने को मिल जाता है आज सड़क पर मुझे कक्षा तीसरी की यह हिंदी की किताब पड़ी मिली तो मैंने उठा ली उसे ही पढ़ने की कोशिश कर रहा था,,

तब मैंने पापा से कहा ,,पापा जी इस छोटू का हमारी तरह घर क्यों नहीं है,, यह मोहल्ले से दूर यहां पाइपों के भीतर क्यों रहता है और इसके माता-पिता कहां हैं इस बात का पापा के पास कोई उत्तर न था,,

लेकिन पापा ने कहा अभी तुम स्कूल के लिए लेट हो रहे हो शाम को जब हम स्कूल से लौटेंगे तब छोटू को अपने घर ले चलेंगे पापा की बात सुनकर मैं बड़ा खुश हुआ पापा मुझे स्कूल छोड़कर पास की सैलून की दुकान में चले गए शाम को जब मेरी छुट्टी हुई तो पापा सैलून की दुकान के बाहर ही खड़े थे कटिंग ,,शेविंग और मसाज के बाद पापा एकदम युवा लड़के की तरह लग रहे थे पापा मुझे उंगली पकड़कर घर की और चल पड़े,,

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मैं बहुत खुश था पापा को बताने लगा ,,आज अपने नए दोस्त को अपने घर ले जाऊंगा मेरे पास कई जोड़ी कपड़े हैं जो अलमारी में बेकार पड़े हैं सब छोटू को दे दूंगा खिलौने का ढेर लगा हुआ है वह भी छोटू को खेलने के लिए दे दूंगा ,,और अपने स्कूल में छोटू का नाम भी लिखवाऊंगा घर में एक कमरा खाली रहता है वह कमरा भी छोटू को दे दूंगा पापा मेरी बात सुनकर खूब मुस्कुराए बोले तुम्हारे पास एक छोटी सी साइकिल भी तो है क्या तुम अपनी साइकिल छोटू को नहीं दोगे,

हां हां साइकिल भी दे दूंगा बातें करते-करते हम उसी जगह पहुंचे जहां दोपहर को छोटू से मुलाकात हुई थी वहां बड़ी-बड़ी क्रेन खड़ी थी मगर एक भी पाइप नजर नहीं आ रहा था पापा ने क्रेन वालों से पूछा अभी दोपहर को यहां बड़े-बड़े चार-पांच पाइप पड़े थे वह सारे पाइप कहां गए तब एक क्रेन वाले ने बताया ,,साहब,, कुछ दूरी पर सड़क की खुदाई चल रही है सारे पाइप हमने सड़क के गड्ढे में दबा दिए हैं ऊपर से मिट्टी डाल दी अब तो वहां सड़क बनने का कार्य भी शुरू हो चुका है,,

तब मैंने क्रेन वाले अंकल से कहा क्या तुमने छोटू को भी सड़क में दबा दिया,, तब पापा ने कहा मेरा बेटा यह कहना चाहता है आज दोपहर को पाइपों के भीतर 8 साल की उम्र का बच्चा जो फटे पुराने कपड़े पहने था क्या तुमने उसे देखा है तब क्रेन वाला व्यक्ति बोला जब हमने पाइप क्रेन से उठाए तब हमें यहां कोई बच्चा नहीं दिखाई दिया,,

मैं रोते हुए घर आया 2 दिन तक खाना नहीं खाया ,,पापा ने छोटू की तलाश में आसपास के मोहल्ले छान मारे,, किंतु छोटू ना मिला छोटू मेरी ही उम्र का था बहुत साल बीतने के बाद मैं पढ़ लिखकर अफसर बन चुका था मुझे ख्याल आया छोटू भी अब बड़ा हो चुका होगा उसे नौकरी मिली होगी या नहीं समाज के लोगों ने उसके साथ क्या सलूक किया होगा ,,कुछ पता नहीं,,

फिर मेरी शादी हो गई तब भी मुझे छोटू का ख्याल आया क्या छोटू की भी शादी हुई होगी ,,या नहीं ,,कुछ सालों बाद मेरे घर दो बच्चे हो चुके थे मैं बच्चों को स्कूल छोड़ने जाता,, एक दिन रास्ते में सड़क किनारे मुझे बहुत से पाइप दिखाई दिए मैं पाइपों को देखकर रुक गया मेरा 8 साल का बेटा कमल बोला पापा तुम पाइपों के भीतर क्या झांक रहे हो तब मैंने कमल को बताया,, 

बेटा चलो पाइपों के भीतर चलते हैं मैंने पाइपों के भीतर नजरे दौड़ाई मगर पाइप सब खाली पड़े थे धूल के अलावा वहां कुछ ना था कई और साल बीते आज मैं 43 साल का हूं छोटू भी 43 साल का,, हो गया होगा ,,वह इस दुनिया में है या नहीं,, कुछ पता नहीं,,

अगर वह जीवित रहा होगा तो उसने अपना इतना लंबा जीवन कैसे बिताया होगा वह अपराधी तो नहीं बन गया होगा ,,या फिर पुलिस मगर वह पुलिस कैसे बन सकता है वह तो स्कूल नहीं जाता था,उसने अपना जीवन बिताने के लिए अपना पेट भरने के लिए क्या-क्या काम किया होगा अगर वह मेरे साथ होता तो मेरी तरह अफसर होता समाज में उसकी भी बीवी होती दो बच्चे होते उसका भी परिवार होता,,

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अक्सर मैं खाली समय में बैठे-बैठे छोटू के बारे में ही सोचता रहता ,, उस दिन अचानक मेरी सोच भंग हुई पत्नी का कॉल आया ,,मैं बाजार में हूं ,,सुनो जी ,, जो अपनी सफेद वाली गाड़ी है उसके ₹300 रूपए और काली वाली कार के ₹400 रूपए कुल मिलाकर ₹700 रूपए हो चुके हैं वह कार साफ करने वाला गेट पर खड़ा होगा आज उसका महीना पूरा हो गया है,,

उसे ₹700 रूपए दे देना मुझे बाजार से आने में समय लगेगा

तब मैंने अपनी पत्नी से कहा उसका नाम क्या है ,, तब बीवी बोली नाम ,,मुझे क्या पता 10 सालों से हमारी कार की सफाई कर रहा है सुबह 5:00 बजे आता है,, चला जाता है ,,नाम पूछने की जरूरत ही नहीं पड़ी ,,

मैं गेट पर पहुंचा तो एक बूढ़ा आदमी पुराने कपड़े पहने हाथ में कपड़ा लिए खड़ा था बगल में उसके बाल्टी पानी से भरी थी मैंने पास जाकर पूछा तुम इतने सालों से हमारे यहां कार साफ कर रहे हो तुमने अपना नाम नहीं बताया,, यहां के लोगों को,,

तब उसने कहा साहब किसी ने मेरा नाम पूछा ही नहीं मोहल्ले के लोग यही कहते हैं,,,  कार साफ करने वाला आ गया,,

ठीक है हमसे गलती हुई है ,, अब तो अपना नाम बता दो

,, साहब मेरा नाम छोटू है,,

छोटू नाम सुनकर मैं एकदम चौंक गया,, सच बताओ ,,

जी साहब मैं सच बता रहा हूं मैं आपसे झूठ क्यों बोलूंगा मैने जेब से पांच-पांच सौ के दो नोट निकालते हुए कहा यह को ₹1000 रूपए रख लो,,  तब छोटू ने कहा साहब दो गाड़ियों के ₹700 रूपए बनते हैं ,,मैं ₹1000 रूपए आपसे कैसे ले सकता हूं ,,

तब मैंने जबरदस्ती उसके हाथ में हजार रुपए थमाते हुए पूछा,, कहां रहते हो तब उसने बताया साहब मंदिर के पीछे खाली जगह पड़ी है वहां कोई नहीं आता-  जाता,,बस उसी जगह को मैंने रहने का स्थान बना रखा है,,

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,, तुम्हें वहां रहने की कोई जरूरत नहीं है छत पर हमारा एक छोटा सा कमरा है वहीं रहो और पत्नी और बच्चे हैं तुम्हारे,,

मैंने फिर एक बार उससे पूछा,,

तब वह चुप हो गया फिर आंखों से पानी टपकाते हुए बोला साहब मैं तो लावारिस हूं भला मुझसे कोई लड़की क्यों शादी करेगी ना रहने का ठिकाना ना नौकरी बस पेट भरने लायक आप लोगों से रुपए मिल जाते हैं,,

,,मैंने एक गहरी सांस लेते हुए कहा,,

मैं तुम्हारे लिए किताबें खरीद कर लाऊंगा ,,तुम्हें पढ़ना होगा,, क्या तुम पढ़ोगे ,, पढ़ाई का नाम सुनकर उसके चेहरे पर चमक आ गई उस दिन के बाद से वह हमारे घर ही रहने लगा मैं समझ चुका था यह वही छोटू है जो बचपन में गुम हो गया था ।।

नेकराम सिक्योरिटी गार्ड

मुखर्जी नगर दिल्ली से

स्वरचित रचना

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