पापा की मूंछ-नेकराम Moral stories in hindi

बात बचपन की है जब मैं 10 वर्ष का था

आज मैं 42 वर्ष का हो चुका हूं यह घटना आज से 32 वर्ष पुरानी है।

       अम्मा ने चीखते हुए कहा,, नेकराम घड़ी में सुबह के 9:00 बज चुके हैं और कितना सोएगा

दिन पर दिन तेरी आदत बिगड़ती जा रही है रात भर टीवी देखता है और सुबह सूरज उगने के बाद तक भी सोता रहता है कई बार तो तू बिस्तर पर पेशाब भी कर चुका है इस बात का तेरे पापा को पता नहीं अगर उन्हें पता चले तो मुझे और तुझे दोनों को ही बीच में से चीर देंगे पता नहीं तू कब सुधरेगा गलतियां तू करें और तेरे पापा की डांट मुझे सुनने को मिलती है।

मां की चीखें सुन सुनकर आखिरकार मुझे उठना ही पड़ता था मेरे बिस्तर से चिपक कर ही मां पीट कर के बैठी रहती क्योंकि फर्श पर ही मां चूल्हा चौका करती थी।

जब भी मेरी आंख खुलती मां के हाथ में  रोटी पकड़ने वाला एक चिमटा रहता बगल में रोटियां सेंक कर एक थाली में रखने का रिवाज था उन दिनों जिनके घर स्टॉप होता था वह मोहल्ले में सबसे अमीर माने जाते थे।

अम्मा हमेशा मुझे बताती थी बहुत पहले जब तू पैदा नहीं हुआ था मोहल्ले के सभी घरों के आंगन में मिट्टी का चूल्हा बना रहता मुझे सारा दिन भैंसों के पीछे पीछे चलना पड़ता था और गोबर इकट्ठा करना पड़ता था।

इकट्ठा किया हुआ गोबर घर के आंगन में सुखा कर उनके उपले बना दिए जाते थे फिर वही उपले चूल्हे में जलते और रोटियां सबके घरों में पकती थी लेकिन एक दिन मैंने तेरे पापा से साफ – साफ कह दिया मोहल्ले में सबके घरों में स्टॉप आते जा रहे हैं मोहल्ले में बस हमारा ही एक घर बचा है जहां अभी तक चूल्हा जल रहा है सारा चूल्हे का धुआं घर में भर जाता है आंखें मलते मलते रोटी पकानी पड़ती है बस उसी दिन तेरे पापा शाम को एक नया स्टॉप ले आए।

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रोज-रोज भैंसों के पीछे भागने का काम खत्म हुआ गोबर इकट्ठा करने का काम भी खत्म हो गया लेकिन दूसरा काम शुरू हो गया स्टॉप का मिट्टी का तेल खत्म हो जाए तो मिट्टी का तेल मोहल्ले में ही राशन कार्ड दिखाकर लाना होता था

उस काम के लिए मां ने मुझे ही चुन रखा था

बड़े भाई पर तो अम्मा का हुकुम नहीं चलता था बड़ी बहन को अम्मा बाहर नहीं भेजती थी।

,, बचा मैं,,  मुझे ही दबोच लेती और आंखें दिखाते हुए कहती स्कूल तेरा दोपहर का है अभी घड़ी में 11:00 बजे हैं जा मिट्टी के तेल की लाइन में लग जा थोड़ी देर में मैं पहुंच जाऊंगी घर का काम निपटा के।

क्या करूं मां तो आखिर मां है अम्मा मुझे जब भी किसी भी काम के लिए कहती तो हाथ में हमेशा एक टूटी से झाड़ू लेकर ही कहती क्योंकि अम्मा को पता था यह बिना पिटे कोई काम नहीं करता

रोज सुबह आंख खुलते ही कमरे के गेट पर पापा छोटा सा शीशा लेकर बैठे हुए मिलते एक पुरानी सी छोटी सी कैची जिससे अपनी नाक के भीतर उगे लंबे बाल काटते रहते।

और घंटो घंटो मूंछों की सेटिंग बनाने में लगे रहते

कभी-कभी तो अम्मा पापा पर ही बरस जाती   ,,   ,,कितनी देर हो चुकी है तुम्हें,,

   तुम्हारी अभी तक मूंछे नहीं बनी

लेकिन पापा को समझाने का कोई फायदा नहीं होता था पापा एक कान से सुनते और दूसरे कान से अम्मा की बात को निकाल देते हैं थे।

कभी-कभी तो पापा मुझे ही पकड़ लेते और कहते नेकराम इधर आ कहां जा रहा है मैं मासूमियत से कहता ,,, पापा अभी अभी सोकर बिस्तर से उठा हूं ब्रश करने जा रहा हूं पतीले में चाय ठंडी हो गई है अम्मा ने चाय मेरे लिए गर्म कर दी है अगर ठंडी हो गई तो दोबारा नहीं करेगी चाय गर्म।

पापा कहते कोई बात नहीं तेरे लिए दूसरी चाय बनवा दूंगा इधर आ मैं ड्यूटी जाने के लिए लेट हो रहा हूं।

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मेरे सर में जहां-जहां सफेद सफेद बाल दिखे वहां वहां यह गोदरेज की काली मेहंदी लगा दे।

मैं पापा की पूरी खोपड़ी में काली मेहंदी लगा देता

5 मिनट में ही पापा जवान दिखने लगते पापा शीशे में देख कर मुस्कुराते और अम्मा से कहते जब मेरी शादी हुई थी तुझसे तब मैं ऐसे ही तो था लेकिन अब ना जाने अचानक यह सफेद बाल धीरे-धीरे कहां से उग आए मेरी खोपड़ी में,, अम्मा दूर से ही रोटी पकाते हुए कहती 10 साल और रुक जाओ जब नेकराम 20 साल का होगा तब तुम्हारी खोपड़ी में एक भी काले बाल नहीं बचेंगे।

पापा आधे घंटे तक गली में टहलते रहते फिर बाहर सरकारी नल से एक दो बाल्टी पानी भर कर ले आते और नहा लेते।

तब तक अम्मा खाना पापा के लिए टिफिन में पैक कर देती पापा अपनी पुरानी सी साईकिल लिए ड्यूटी चले जाते थे पापा के ड्यूटी जाते ही घर के बिखरे हुए कपड़ों की तह लगाने में अक्सर अम्मा मुझे ही बुला लेती मैं घर में छोटा था।

मैं कई बार बोल चुका अम्मा बड़े भैया से तुम घर का काम क्यों नहीं करवाती हो वह तो बाहर सुबह सुबह चले जाते हैं गली में घूमने के लिए

तब अम्मा मुझे समझाने लगती तेरा बड़ा भाई गली में घूमने नहीं ट्यूशन पढ़ने गया है अभी तू छोटा है चौथी क्लास में है तेरा बड़ा भाई छठी क्लास में है उसका अंग्रेजी का ट्यूशन लगवाया है जब तू बड़ा हो जाएगा छठी क्लास में पहुंच जाएगा तो तेरा भी अंग्रेजी का ट्यूशन लगवा दूंगी अभी मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि तुझे भी ट्यूशन भेज सकूं अभी तू मेरे साथ कपड़ों की तय लगवा।

मैं चपटा सा मुंह बनाता और गुस्से में तकिया उठा कर जोर से रखने लगता तब भी अम्मा मुझे डांटती थी और कहती तकिया आराम से रख तू जानता नहीं तकिया के अंदर क्या है।

तुझे मालूम है तेरे पापा की तनख्वाह कम है घर में बड़ी मुश्किल से घर चलता है जब तुम बहन भाई छोटे थे दो तीन साल के तब तुम आपस में लड़ते थे क्योंकि हमारे घर में केवल एक ही तकिया था।

जो तेरे नाना ने मेरी शादी में मुझे ही दिया था

लेकिन वह तकिया तुम तीनों बच्चों ने मिलकर बचपन में ही खींचातानी में फाड़ दिया मेरी वजह से पापा ने तुम्हारी पिटाई नहीं की।

कई सालों तक तो हमें बिना तकिया के ही रहना पड़ा

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रुई के लिए पैसे नहीं थे। कि मैं नया तकिया बना सकूं

जब तुम धीरे-धीरे बड़े हुए तब मैंने तुम सबके छोटे छोटे कपड़े इकट्ठा करके उनकी पोटली बना दी और फिर उन्हें एक तकिए का रूप दे दिया अब इन तकियो के अंदर तुम्हारे छोटे छोटे कपड़े हैं जब तुम 1 साल के थे तेरी बहन के छोटे-छोटे सूट सलवार तेरे बड़े भाई के छोटे-छोटे कोट पैंट और तेरे कमीज पैंट और निक्कर।

धीरे-धीरे साल बीतते गए इसी नोक झोंक में धीरे-धीरे मैं 20 साल का हो चुका था अब मेरी भी मूंछें पापा की तरह निकल आई थी।

लेकिन अम्मा के सामने आने पर मुझे लज्जा आती थी।

और रात को ही गुसल खाने में जाकर पापा के रखे कैची ब्लेड और सामानों को छेड़छाड़ करता रहता।

और कांपते हाथों से कोई देख ना ले जल्दी से अपनी मूंछें पापा के लेजर  से हटा लेता।

दो-चार दिन में मूंछें फिर चेहरे पर दिखने लगती

अम्मा हमेशा मुझे यही कहती सबके सामने अभी तो नेकराम छोटा है बच्चा है छोटा है बच्चा है

पापा को भी शक हो चुका था कि मेरी दाढ़ी बनाने का लेजर कौन इस्तेमाल कर रहा है उसकी ब्लेड की धार खत्म कैसे हो जाती है।

पापा ने कुछ दिनों के लिए बाहर गली के चौराहे से ही ढाड़ी बनवाने का काम शुरू करवा दिया

अब दिन पर दिन मेरी मूंछें चेहरे पर साफ दिखने लगी मुझे बड़ी शर्म आए अब मेरे पास पैसे भी नहीं थे कि मैं बाहर दुकान से अपनी मूंछे साफ करवा लू

इधर घर में पापा ने शेविंग का सारा सामान ना जाने कहां छुपा दिया था ।

कुछ दिनों बाद

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गली में एक पड़ोसन ने मुझे देख कर कह दिया अरे नेकराम की तो मूंछें भी निकल आई नेकराम अब बड़ा हो चुका है।

अब यह बात धीरे-धीरे मोहल्ले में तेजी से फैल गई कि नेकराम बड़ा हो चुका है उसकी मूंछें भी आ चुकी है।

घर में बड़े भाई तो पहले से ही मूंछें रखते थे और मोहल्ले वालों को पता था घर में सबको पता था आज मेरी भी पोल घर में खुलनेवाली थी

शाम का वक्त था पापा घर जल्दी आ गए शाम का खाना पक चुका था हम सब साथ बैठकर खाना खा रहे थे।

बड़ी बहन की शादी की बातें चल रही थी।

पापा ने मेरी मूंछों पर शायद ध्यान नहीं दिया या शायद उन्हें समझ आ चुकी हो कि अब नेकराम बड़ा हो चुका है 20 साल का हो चुका है अब मूंछ नहीं आएगी तो कब आएगी।

धीरे धीरे मेरी शर्म जाती रही अब तो मैं बेझिझक अपनी अम्मा के सामने आ जाता अम्मा मेरे चेहरे पर बड़ी-बड़ी मूंछें देखकर हमेशा यही कहती तेरे पापा बिल्कुल तेरे ही जैसे थे जब तेरे पापा कुंवारे थे और शादी के लिए मुझे देखने आए थे।

2 सालों के बाद बड़ी बहन की शादी हो गई

जीजा जी की भी चेहरे पर बड़ी-बड़ी मूंछें थी

बहन की शादी के एक साल बाद ही अम्मा ने बड़े भैया की शादी कर दी।

अम्मा अब मेरे लिए लड़की खोजने की तैयारी में लग गई।

मेरी मूंछ उगने से अम्मा को फिक्र हो चुकी थी कि नेकराम भी अब बड़ा हो चुका है शादी के लायक हो चुका है।

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हमारा घर दिल्ली में ही था और दिल्ली से ही एक लड़की वालों का रिश्ता हमारे घर चल कर आया

शादी की तारीख फिक्स हो गई सगाई हो चुकी थी लड़की ने मेरा मोबाइल नंबर मांगा उस समय हमारे घर में बटन वाला एक छोटा सा मोबाइल फोन नया नया पापा ने खरीदा था।

तो पापा ने लड़की से बात करने के लिए वह फोन मुझे ही दे दिया

शादी के 3 दिन शेष रह चुके थे स्कूल की पढ़ाई की इधर उधर की मोहल्ले की घर की खूब बातें होती लेकिन एक जगह बात मूंछों पर अटक गई

लड़की ने साफ कह दिया तुमने पहले क्यों नहीं बताया कि तुम्हारी मूंछें हैं।

मेरे माता पिता ने तुमसे मिलने भी नहीं दिया और रिश्ता पक्का कर दिया मैंने कई बार फोन करके तुम्हें बुलाया भी लेकिन तुम नहीं आए और अब तुम कह रहे हो कि ,,,,,

शादी के 3 दिन रह चुके हैं अपनी  बड़ी बड़ी मूंछें हटा लेना तब तुमसे मैं शादी करूंगी वरना बारात लेकर मत आना।

मैंने यह बात अम्मा को बताई ,,भैया और भाभी को बताई,, दीदी और अपने जीजा जी को बताई पापा को बताई।

उस दिन

सबने बैठकर मीटिंग मैं एक फैसला निकाला जीजा बोले देख  नेकराम लड़की तो अच्छी है

अगर उसने शर्त रखी है तो तुझे उस की शर्त माननी चाहिए

तब बड़े भाई बोले अरे पगले  नेकराम मूंछे तो 10 दिन में उग जाती है।

मूछें काट ले शादी हो जाने दे उसके बाद फिर मूंछें रख लेना। यह तो अपनी खेती है जब मर्जी उगा लो।

मेंने शादी के लिए मना किया तो अम्मा झाड़ू लेकर खड़ी हो गई और आंखें लाल करते हुए बोली लगता है बचपन की पिटाई भूल गया है।

एक मूंछ की वजह से इतनी अच्छी लड़की हमारे घर की बहू बनते बनते रह जाएगी

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और मेरे जीजा मेरे भाई मेरे पापा मुझे पकड़ कर मोहल्ले की एक नाई की दुकान पर ले गए और मुझे एक ऊंची सी कुर्सी पर बिठा दिया और बोले सबसे पहले इसकी मूंछें चेहरे पर दिखनी नहीं चाहिए और चेहरा एकदम क्लीन कर दो-

   तीन दिन बाद इसकी शादी है इसे दूल्हा बनना है।

नाई ने मेरे सामने मेरी मूंछें काटकर मेरे हाथ में रख दी।

3 दिन बाद मैं दूल्हा बना घोड़ी पर चढ़ा बारात लेकर ससुराल पहुंचा।

वरमाला की रस्म शुरू हो चुकी थी दुल्हन ने मेरे गले में गुलाब के फूलों का हार जिसे हम जयमाला कहते हैं मेरे गले में डाल दी मैंने भी जयमाला उसके गले में डाल दी फिर फोटो और वीडियो बनने की रसम शुरू हो चुकी थी।

गली में ही एक छोटा सा टेंट लगा हुआ था घर के आंगन में मंडप सजा हुआ था।

गली में चांदनी बिछी हुई थी।

रात भर मंत्र पैर पूजन और पंडित जी के मंत्र चलते रहे अग्नि के सात फेरे लेते लेते सुबह हो चुकी थी।

सुबह विदाई हुई और मैं दुल्हन को लेकर घर चला आया

1 सप्ताह कैसे बीता पता ही ना चला अचानक बीवी ने मेरे चेहरे को गौर से देखा और बोली तुम्हारे चेहरे पर मूंछें क्यों उग रही है इसे साफ कौन करेगा।

मैंने विनम्रता से कहा तुम्हें मेरी मूंछों से क्या लेना देना शादी हो चुकी है तुम्हारी अब तो रहम खाओ

वह तो मैंने अपने जीजा जी के कहने पर मूंछे कटवा ली थी वरना मुझे अपनी मूंछें जान से भी ज्यादा प्यारी थी।

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दुल्हन ने अलमारी से कपड़े निकाले और बैग में भरने शुरू किए और बोली इस घर में तुम्हारी मूंछ रहेगी या मैं रहूंगी तुम्हें दोनों में से क्या चाहिए जल्दी बोलो।

मैं मजबूर और बेबस हो चुका था कर्जा करके मेरी अम्मा ने मेरी शादी करवाई थी और उसी कर्ज को चुकाने के लिए मुझे नौकरी के लिए पापा के साथ काम पर जाना पड़ रहा था।

मेरी शादी को 13 बर्ष हो चुके हैं मैंने इन 13 वर्षों में कई बार अपने चेहरे पर मूंछ उगाने की कोशिश की लेकिन असफल रहा

आज मैं 42 वर्ष का हो चुका हूं जब कभी मेरी बीवी मेरे चेहरे पर मेरे मुंछे देख लेती है तो उस दिन मुझे जली हुई रोटी और गंदे कपड़े पहनने को मिलते हैं।

रात भर मुझे जागना पड़ता है

बीवी बच्चों को लेकर मायके निकल लेती है

जिस दिन मैं मूंछें चेहरे से हटा लेता हूं उस दिन मेरी बीवी मुझे पेट भर कर खाना खिलाती है मुझसे खूब हंस हंस कर बातें करती है और बड़ी खुश रहती है।

अब धीरे-धीरे मैंने भी मूंछ उगाने का फैसला खत्म कर दिया है।

वरना कभी मेरा भी सपना था कि पापा की तरह मैं भी मूंछें रखूं

नेकराम

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