अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 14) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“संपदा कुछ बोलोगी।” संपदा बिना कुछ उत्तर दिए अपने कमरे की ओर बढ़ ही रही थी कि मनीष फिर से गरज उठा था। “वो भैया भाभी ने जिद्द की थी इसीलिए”…. हड़बड़ाती हुई संपदा बोल गई। “मैं जानता था, ये इसकी ही सिखाई–पकाई है।” उंगली से विनया की ओर प्वाइंट करता हुआ मनीष कहता है। … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 13) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“दीदी, एक बात तो अधूरी ही रह गई।” कैब के घर के समीप आते ही अचानक विनया को कुछ याद आया। “क्या भाभी।” संपदा विनया की ओर मुड़ती हुई पुछती है। “आप सुबह किसी बात से परेशान थी और इस कारण माॅं,से भी नाराज दिख रही थी। क्या बात रही दीदी।”” विनया संपदा को सुबह … Read more

संस्कार – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : “देखो तो दोनों भाई बहन को कैसे बाइक निकाल कर चल पड़ते हैं पूरे शहर में फर्राटा मारने के लिए।” ये बात हो रही थी कुछ दिन पहले ही ट्रांसफर होकर आई छोटे से शहर के छोटे से मुहल्ले में रहने वाली सिंगल मदर गीता दत्त की बेटी मानवी और … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 12) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“तो मिस संपदा, आपकी भाभी गेम में आपसे आगे चल रही हैं। क्या आप इस गेम को जीतना चाहेंगी और बताना चाहेंगी कि आपकी भाभी मिसेज विनया को खाने में क्या–क्या पसंद है।” टेबल पर रखे अखबार को रोल कर माइक की तरह बनाती दीपिका संपदा के सामने करती हुई कहती है। “उस दिन रात … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 11) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“हूं तो अब बताइए ऐसे ही घर पर भी आप दोनों गुटर गूं करती रहती हैं क्या?” दीपिका कॉफी के सिप के साथ पूछती है। “क्यों जलन हो रही है क्या भाभी।” विनया चुटकी लेती हुई दीपिका से कहती है। “जलन क्यों होगी भला, कभी हम ननद–भाभी भी इसी तरह गुटर गूं करती थीं, फिर … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 10) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“अच्छा दीदी, वो अखबार वाले अंकल का क्या सीन है। माॅं उन्हें दादाकहती हैं और अंकल उन्हें बहन।” कुछ देर चुप रहने के बाद विनया पूछती है। “क्या है ना भाभी कि दो तीन साल पहले मम्मी सुबह सुबह सब्जी लेने नीचे गई थी और उन्हें चक्कर आ गया था। मम्मी ने हम सभी को … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 9 ) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

विनया जो कि कमरे से निकल कर सम्पदा के पीछे–पीछे बैठक में आकर बैठक की साफ सफाई में लग गई थी लेकिन उसके कान अंजना और संपदा की बातों पर ही लगे थे और चोर नज़रों से रसोई में खड़ी अंजना और संपदा के हाव–भाव के साथ साथ क्रियाकलाप भी देखना चाह रही थी। यूॅं … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 8 ) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“चाय गिरने कालीन खराब होने की चिंता है। एक बार भूले भी ये नहीं पूछ सकते कि कहीं तुम्हारे हाथ में जलन तो नहीं आ रही।” अचानक ही विनया की ऑंखों में ऑंसू आ गए। जिसे बमुश्किल उसने बहने से संभाला और एक नजर मोबाइल में नजर टिकाए मनीष पर डाल कर चाय पीने लगी। … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 7 ) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“घर में बहू का पदार्पण होते ही सास और बहू दोनों ही घर वालों के लिए एक बाॅंध की तरह बन जाती हैं। बहू के आते ही अपनी ढलती आयु में भी सास एक जिजीविषा महसूस करती है क्योंकि उन्हें इस घर के रीति रिवाज, रस्मों की जानकारी बहू को देनी होती है। लेकिन हाय … Read more

जैसी करनी वैसी भरनी – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज फिर ऑफिस में रूमा के बॉस ने उसे गलत तरीके से छूने की कोशिश की। काम में मगन रूमा हाथ पर कुछ रेंगता हुआ महसूस कर जैसे ही चिहुँक कर अपना हाथ हटाया तो देखती है कि उसका बॉस उसके बगल में खड़ा धूर्तता से मुस्कुरा रहा था। रूमा … Read more

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