अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 31) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“माॅं, मामा जी के आगमन की बेला हो रही है और आप अभी तक सोई हैं।” सूरज की किरणों से प्रतिस्पर्धा लगाती विनया किरणों को मात देकर बालकनी में उसके स्वागत के लिए काफी देर से खड़ी थी, तभी उसे अहसास हुआ कि अंजना जो अब तक किचन में माना जी के नाश्ते को लेकर … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 30) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“रातों रात ऐसा क्या कर दिया भाभी आपने कि भैया के सुर बदले बदले हैं, जो भैया बुआ को किसी से बांटना नहीं चाहते थे, संभव भैया से भी नहीं। संभव भैया तो इस बात से काफी दिन नाराज भी रहे थे और आज मेरे भैया पर इस जादू की पुड़िया ने ऐसा क्या जादू … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 29) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“वो माॅं, पूछ रही हैं कि कुछ चाहिए था क्या आपको।” मनीष के पीछे पीछे कमरे में प्रवेश करती विनया पूछती है। “तुम्हें एक बार बता तो देती कि तुम मम्मी के कमरे में हो।तुम्हारी प्रतीक्षा में यही सोफे पर सिर टिकाए सो गया था मैं। अब गर्दन भी अकड़ गई है।” मनीष बिना मुड़े … Read more

आशीर्वाद की कीमत – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“सुप्रिया बेटा, वो एरिया सही नहीं है। उधर मत जाया करो।” सुभाष अपने मित्र और पड़ोसी कृष्णचंद्र की पीओ बेटी नंदनी से उनके घर में बैठे चाय पीते हुए चिंतित भाव से कह रहे थे। “अंकल आप काम से काम रखिए। मैं पढ़ी लिखी कमाई कर रही हूॅं, लोग तो मेरी जूती की नोक पर … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 28) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“ये तुम क्या कह रही हो बेटा, ये सही नहीं है। घर के सारे लोग परेशान हो जाएंगे बेटा फिर कोयल और संभव भी यही हैं। अच्छा नहीं लगेगा ये सब।” विनया की बात सुनते ही लेटी हुई अंजना उठ कर बैठ गई। “इसमें बुराई क्या है माॅं। हम सब तो होंगे ही यहाॅं, कोई … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 27) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“हह..हह..हह”…. विनया को अंजना के गले लगते देख और अंजना को उसकी पीठ सहलाते देख बड़ी बुआ के मुॅंह में धरा निवाला गले में जाकर अटक गया था क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि अभी अंजना विनया को खुद से अलग करके रसोई की ओर बढ़ जाएगी। लेकिन ये क्या अंजना तो उसे और जोर से … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 26) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

एक और अलसाई सुबह, अंगराई लेती हुई विनया मोबाइल में समय देखकर ऑंख मिचमिचा कर खोलने के बदले फिर से बंद कर लेती है। बिस्तर छोड़ने की उसकी इच्छा नहीं हो रही थी। दिल दिमाग बोझिल सा हो रहा था, आजकल उसकी रातें घर के हालातों को सोचती गुजर जाती हैं और जब तक दिमाग … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 25) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“हाहाहा भाभी, बुआ को इस तरह हड़बड़ाते देख एक कहावत याद आ रही है।” विनया के दोनों कंधे को पकड़ झूलती हुई संपदा हॅंसी से दुहरी हुई जा रही थी। “ननद रानी कौन सी कहावत है वो, जो हमारी प्रिय बुआ जी के लिए आप सोच रही हैं।” विनया परांठे सेंकती हुई कहती है। “भागते … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 24) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“क्या बात है मनीष, तुम्हारे और विनया के बीच कोई दिक्कत है क्या?” संभव बालकनी में मनीष के साथ बैठा हुआ पूछता है। “नहीं भैया, कोई दिक्कत नहीं है।” मनीष संभव की ओर देखे बिना ही कहता है। “तुम दोनों को देखकर ऐसा क्यों लगता है, जैसे एक दूसरे से खींचें खींचें से रहते हो।” … Read more

गंवार कौन – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

short story in hindi

पूरे गाॅंव में ढ़ोल नगाड़े बज रहे थे। क्यूं नहीं होता, रंजन गाॅंव का पहला युवा था, जिसका देश की प्रतिष्ठित प्रशासनिक सेवा में चयन हुआ था। माता–पिता, भाई–बहन के पाॅंव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ था, फोन की घंटी चुप होने का नाम नहीं ले रही … Read more

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