मालिनी और भुवन जी को अचानक किसी कार्य के लिए मुंबई आना पड़ा था…होटल ताज़ में तीन दिनों के लिए बेटे ने बुकिंग भी करा दी थी…सब कुछ बहुत जल्दबाजी में हुआ था…वो लोग जब ताज़ में पहुँचे ….उनको लाउंज में थोड़ा वेट करने को कहा गया… वो एकदम आपा खो बैठी,”ये क्या नॉनसेंस है…अभी तो एक बज रहा है…चैक ऑउट तो बारह बजे हो जाता है”
मैनेजर साहब बहुत विनम्रता से बोले,”आपकी बात बहुत उचित है पर एक बुजुर्ग दम्पत्ति हैं…आंटी जी की तबीयत आज कुछ खराब हो गई थी…इसलिए थोडा़ विलंब हो रहा है”
ऊपर से वो चुप हो गई पर मन ही मन बड़बड़ाती रही…भुवन जी ने टोका भी था…इतना गुस्सा करना ठीक नही… क्या पता वो लोग कितनी परेशानी में होंगे”
वो हूँ हाँ करके रह गई… तभी छड़ी के सहारे से वो बुजुर्ग दम्पत्ति आते दिखाई दिए…उसके पास आकर उस महिला ने बड़े ही प्यार से उसके सिर पर हाथ रख कर कहा था,”बिटिया को थोड़ी तकलीफ़ हो गई ना”
उनके चेहरे की सौम्यता और वाणी की मधुरता ने उसको पानी पानी कर दिया था…वो झट से उठ कर खड़ी हो गई थी…उनके माथे पर दमकती उस बड़ी सी गोल बिंदी ने उसका मन बाँध लिया था…ना जाने क्यों …उनमें उसे अपनी मम्मी की झलक दिखी थी…वो तो धीरे धीरे आगे बढ़ गई …पर उनका वो माँ सरीखा सौम्य चेहरा उसकी आँखों के आगे से हट ही नहीं रहा था…वो अपने पिछले व्यवहार को याद करके दुखी हो गई… तभी स्टाफ़ ब्वॉय ने आकर कमरे में चलने का आग्रह किया।
वो कमरे में पहुँच कर परदे हटा कर मुंबई का सौंदर्य निहार ही रही थी…तभी भुवनजी ने जल्दी तैयार होने के लिए कहा…वो झट से सूटकेस खोल कर कपड़े निकालने लगी…बिंदियों का पैकेट नदारद था…वो झल्ला पड़ी,”हाय राम!जल्दबाजी में वो बिंदियों का पैकेट तो घर पर ही छूट गया… माथे पर लगी बिंदी भी कहीं गिर गई थी”
भुवन ने समझाया था,”अरे तैयार तो हो जाओ…बाहर निकलेंगे… तो ले लेना”
उसके लिए बिंदी हिंदुस्तानी औरत का बहुत बड़ा श्रंगार है…वो बाथरूम में गई… क्या देखती है…वहाँ शीशे पर खूब सारी रंगबिरंगी बिंदियाँ लगी थीं… ओह तो वो आंटी भी उसकी मम्मी की तरह बिंदियाँ शीशे पर चिपकाती थीं…वो स्नेह से उन पर हाथ फिराने लगी थी…तभी भुवन की जल्दी करने की पुकार सुनाई दी…उसने झट से एक बड़ी सी बिंदी निकाल कर अपने माथे पर सजा ली…सच में उस समय अपनी मम्मी के टच वाली फीलिंग आई थी…वो धीरे से बुदबुदाई… थैंक्यू आंटी।
नीरजा कृष्णा
पटना