मेरी प्यारी डायरी – सुषमा यादव

एक दिन आलमारी साफ़ करते हुए मेरे हाथ बहुत सारी डायरियां लगी,, मैंने चौंक कर देखा, इतनी सारी ,,,, यहां,कब कैसे,,, मैंने साफ़ करते हुए अपनी  सबसे प्यारी डायरी को उठाया और खुश हो कर उसे माथे से लगाया ,, *** ये मेरी डायरी, तुझको देखा है पहले कभी,, ,,, डायरी ने पलकें झपकाई,, और … Read more

परिवर्तन – गीता वाधवानी

सेठ रायचंद मुंबई के बहुत बड़े हीरा व्यापारी थे। उनकी दो संताने थी। पुत्र अक्षय और पुत्री काजल। सेठ जी का बेटा अक्षय अपने पिता से कुछ अलग व्यापार करना चाहता था और काजल अभी पढ़ाई कर रही थी।      सेठ जी अपने बेटे के कारखाने के लिए शहर से बाहर किसी गांव में जमीन देखने … Read more

प्रीतिभोज – ऋतु अग्रवाल

   मेरे पापा मूलत: राजस्थानी है पर चूंकि लगभग 100 वर्ष पहले उनके दादाजी व्यापार के सिलसिले में दिल्ली आ गए थे तो हमें राजस्थानी व्यवहार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। जन्म से लेकर शिक्षा दीक्षा सब दिल्ली में ही हुई और पापा के बहुत सारे रिश्तेदार भी दिल्ली ही आ गए थे तो … Read more

जीने की राह – सुषमा यादव

,,, मैं अपनी बेटी के पास इस समय दिल्ली में हूं ,,, मैं खाना बनाना अपने हाथ से ही पसंद करती हूं,,पर इस समय मैं कोई काम नहीं कर सकती,, इसलिए खाना बनाने वाली को रखा गया है,,, मैंने देखा कि,, वो अक्सर ही काले, सफ़ेद,सूट पहन कर आती है ,उसका नाम बेबी है और … Read more

मायके से ज्यादा प्यारा है ससुराल – संगीता अग्रवाल

” बेटा ये भारी भरकम कपड़े उतार कर ये सूट पहन लो !” अपने कमरे में सकुचाई बैठी कुछ घंटों पहले की दुल्हन शीना को उसकी सास कामिनी जी एक सूट पकड़ाते हुए बोली। ” मम्मी जी ये मैं कैसे !!” शीना असमंजस में बोली। उसे मम्मी की कही बात याद आई कि ससुराल में … Read more

चश्मा – गुरविन्दर टूटेजा

कॉलोनी में बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे व थोड़ी दूर लगी बैंच पर कुछ बुजुर्ग बैठे बातें कर रहे थे…!!! तभी अचानक से गेंद आयी और गौरव के दादाजी के चश्में पर लगी और चश्मा गिरकर टूट गया…!!! गौरव व अन्य बच्चे सहमे से खड़े होकर देखने लगे…!!!! दादाजी ने बोला…कोई बात नही बच्चों….तुमसे गलती … Read more

वो बदनाम गलियां – संगीता अग्रवाल

क्या ये बदनाम गलियां ही अब मेरा मुकदर होंगी… क्या मैं कभी खुल कर नही जी पाऊंगी….क्या मुझे यहीं घुट घुट कर जीना पड़ेगा । मेरा नाम मेरी पहचान मेरा वजूद सब खो जायेगा..,? कांता बाई के कोठे के अंधेरे कमरे में पड़ी सत्रह साल की वैशाली ये सब सोच रही थी। वो जितना इस … Read more

स्वार्थी – अनुज सारस्वत

******** “चल बेटा तैयार हूं मैं, गंगा मैया की बड़ी कृपा है ,बुला ही लेती हैं ,और देखो तेरी पोस्टिंग भी अपने किनारे करवा ली ,यह संयोग नही है” बाईक पर बैठते हुए जयंत की माँ ने कहा “अरे मम्मी आप मेरे साथ ही रहा करो कितनी बार कहा है ,लेकिन आपको वही पुराना घर … Read more

 नयी सुबह – नीरजा रजनीश जायसवाल

नींद सुनन्दा की आंखो से कोसों दूर थी ।पलंग पर करवटे बदलते हुए अपने कानों में गूंजती स्निग्धा की आवाज़ उसे बार बार आहत कर रही थी “मम्मा अगर आज पापा होते तो भी क्या मेरी यही हालत होती? “ बिटिया का ये सवाल उसे बार बार ग्लानि का अनुभव करा रहा था विगत चार … Read more

स्वयं सिद्धा.(भाग 2) –  प्रीती सक्सेना

 भाग 1   समर,,,, आज मैं,, मेरा अस्तित्व,, तुमसे पूरी तरह जुदा हो गए, तुम्हारा नाम,, मेरे नाम के साथ जुड़ा हुआ नहीं रहा,, मैने तुम्हें और तुम्हारी यादों को मलिन कपड़ों की भांति,, अपने बदन से उतारकर,, दूर फेंक दिया,, अब मैं अपने को बहुत हल्का महसूस कर रही हूं। आज संडे है,, काफी दिन … Read more

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