नई संस्कृति- डेटिंग – कमलेश राणा

क्या बात है विनीत ,,ओये होये कहाँ जा रहा है ऐसे सज संवर के,, परफ्यूम भी बड़ा ही महक रहा है। अरे कहीं नहीं आंटी एक दोस्त से मिलने जा रहा हूँ , मुस्कुराते हुए विनीत बोला। हमें तो भई यह स्पेशल सजधज देखकर कुछ अलग सी फीलिंग आ रही है। आंटी आप तो अब … Read more

नाम लेने से इज्ज़त नहीं घटती…!  – मीनू झा

क्या बताऊं विमला..तू तो मेरा स्वभाव जानती है ना मैं शुरू से बहुत मीन मेख निकालने वाली नहीं रही हूं…जो खाना है खाओ जो पहनना हो पहनो जैसे रहना हो रहो जहां जाना आना है जाओ आओ…तुम तो देखती हो ना…बड़ी बहू के समय से ही हां सविता भाभी…बड़ी किस्मत वाली है तुम्हारी बहुएं सच … Read more

सही राह – लतिका श्रीवास्तव

वृद्धाश्रम के दरवाजे पर ही पिता रमानाथ जी को उतार कर राजन चलने लगा तो वृद्ध अशक्त पिता ने कोई शिकायत नहीं की बस आंसू भरी आंखों और रुंधे गले से हमेशा की तरह सदा खुश रहो बेटा का आशीष जरूर दिया जिसे सुनने के लिए बेटा राजन रुका ही नहीं….तुरंत कार स्टार्ट करके घर … Read more

शहर की लड़की – संगीता अग्रवाल

“क्या बात है रोशन की मां क्या सोच रही है यूं अकेले बैठे?” हरिहरन ने अपनी पत्नी रमिया से पूछा। ” रोशन के बापू आप तो हमारा बेटा पढ़ लिखकर अफसर बन गया है अब जल्द ही उसका ब्याह करना पड़ेगा !” रमिया बोली। ” हां ये तो तू ठीक कहे है पर छोरा अब … Read more

ऐसी ससुराल से तो बेटी घर में भली…. – चेतना अग्रवाल

बड़े भागो वाली है हमारी बेटी… बहुत बेस्ट खानदान से रिश्ता आया है उसके लिये। सबसे बड़ी बात उसके रूप गुणों पर रीझकर खुद से रिश्ता माँगा है। मैं ना कहती थी कि हमारी लाड़ो को तो कोई भी माँग लेगा।” निरूपमा जी घर में घुसते ही बोलीं। “क्या हुआ अम्मा… क्यों इतना शोर मचा … Read more

अपने ग़लतियों सहित अपनाते हैं – सुल्ताना खातून 

“मां मेरे ससुराल के लोग बहुत ही घटिया सोच रखने वाले हैं, बात बात पर मुझे ताने देते हैं मुझसे दिनभर गधों की तरह काम करवाते हैं, किसी को मेरी परवाह नहीं रहती, मां आज मुझे पता चला है, कि मेरा पति शराब भी पीता है और जुआ भी खेलता है, मां शादी से पहले … Read more

बेटी अच्छी, बहू ही बुरी – सुल्ताना खातून 

आज दोनों बहने फिर मिली बैठी थी, सरिता जी के पास तो बहुत सारी बातें होती थी, लेकिन सीमा जी के पास सिर्फ अपनी बहू की शिकायतें…. । सीमा जी की दोनों बेटियां भी आई हुई थीं… अपने अपने बच्चों के साथ… बच्चे घर में धमा चौकड़ी मचा रहे थे… सीमा जी की दोनों बेटियां … Read more

वो “आंखमूंदी गुड़िया” वाला प्यार…! – मीनू झा

लो खिलौनों की कमी थी क्या इसके पास जो फिर तू ये खिलौने ले आई बहू.. तुम दोनों तो एक बच्ची क्या हो गई है पागल ही हो गए हों..पूरे घर को खिलौनों का कारखाना बनाकर रख दिया–बाहर से आई प्रीति के हाथ में खिलौनों का पैकेट देखकर सास रीमा बोल पड़ी। क्या मां..एक ही … Read more

अपने घर के बच्चों में भेद कैसा… रश्मि प्रकाश 

कमला जी के दो बेटे हैं और दोनों एक ही सोसायटी में अपने अपने फ़्लैट में रहते हैं… सब का लगभग हर दिन का आना जाना लगा हीरहता है पर उनकी बहुएँ जरा कम ही एक दूसरे के घर जाती है… कमला जी भी दोनों बेटों के घर बारी बारी और ज़रूरत के हिसाब सेरहती … Read more

यही तमन्ना है – प्रेम बजाज

साहनी साहब बैंक में कार्यरत थे और परिवार भी छोटा सा बस एक ही बेटा, दूसरी संतान ईश्वर ने दी ही नहीं। साहनी साहब और उनकी धर्मपत्नी रोहिणी को बेटी का बहुत चाव था, मगर ईश्वर को शायद मंज़ूर नहीं था, बेटी पैदा तो हुई मगर पैदा होते ही इस संसार से कूच कर गई। … Read more

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