ऐसी ससुराल से तो बेटी घर में भली…. – चेतना अग्रवाल

बड़े भागो वाली है हमारी बेटी… बहुत बेस्ट खानदान से रिश्ता आया है उसके लिये। सबसे बड़ी बात उसके रूप गुणों पर रीझकर खुद से रिश्ता माँगा है। मैं ना कहती थी कि हमारी लाड़ो को तो कोई भी माँग लेगा।” निरूपमा जी घर में घुसते ही बोलीं।

“क्या हुआ अम्मा… क्यों इतना शोर मचा रही हो।” निरूपमा जी के बेटे किशन ने पूछा।

“वो जो मेरी सहेली है ना… कुमुद… उसका पोता अमेरिका से डिग्री लेकर आया है। उस दिन सत्संग में टीना मेरे साथ गई थी तो कुमुद को वो पसंद आई, अरे आती भी क्यों नहीं… हमारी टीना है भी तो इतनी सुंदर और पढ़ी-लिखी। जिस घर जायेगी, वहाँ स्वर्ग बना देगी। कुमुद कह रही थी, उसका पोता कुछ दिनों के लिए भारत आया है, शादी करके बीर अमेरिका चला जायेगा। साथ में हमारी टीना को भी ले जायेगा। तुझे तो पता ही है, उसके बाप का कारोबार कितना फैला हुआ है, विदेश का कारोबार समीर को ही सँभालना है। मैंनै इतवार को उन लोगों को घर आने के लिए बोल दिया है। तुम लोग तैयारी कर लो।” 

“अरे वाह, ये तो तुमने बहुत अच्छी खबर सुनी है माँ… मैं अभी तैयारी शुरू कर देता हूँ।” किशन ने कहा।

वहीं पास बैठे निरूपमा जी का बड़ा बेटा राजीव बोला, “नहीं माँ, हम अपनी बच्ची को इतनी दूर नहीं भेजेंगे। रिश्ते बराबरी में ही बनाने चाहिए। दूर के ढोल सुहावने होते हैं। हमारी मासूम बच्ची इतने ऊँचे लोगों के साथ एडजस्ट नहीं कर पायेगी।”

“आप तो रहने ही दीजिए भाईसाहब… अपनी लड़की की ससुराल की हैसियत कुछ नहीं है इसलिए आपको जलन हो रही है कि मेरी बेटी के लिए इतना अच्छा रिश्ता आया है। आप तो चाहते ही नहीं, मेरी बेटी को आपकी बेटी से ज्यादा सम्पन्न ससुराल मिले।”



“कैसी बात कर रहा हो तू छोटे…  ये तेरी-मेरी बेटी कहाँ से आ गये हमारे बीच… मैं तुझे अपने अनुभव से बता रहा हूँ, ऊँचे खानदान में जाकर हमारी बेटी खुश नहीं रह पायेगी और मेरी बेटी की ससुराल जैसी भी है, बहुत अच्छी है क्योंकि मेरी बेटी वहाँ खुश है और मान-सम्मान से रहती है। बाकी तुम्हारी मर्जी…” कहकर राजीव जी चुप हो गये।

टीना को जब इस रिश्ते का पता लगा, तो धो भी ऊँचे खानदान की बहू के सपने देखने लगी। हमेशा ऊँचे खानदान की औरतों और उनके पहनावे को देखकर सोचती थी कि काश उसके पास भी ऐसे कपड़े और गहने होते। लेकिन अपनी छोटी से नौकरी में तो ये संभव ना था। इसलिए वो भी इस शादी के लिए तैयार हो गई।

इतवार को लड़के वाले आये और समीर व टीना का रिश्ता तय हो गया। जल्दी ही दोनों की शादी भी हो गई, क्योंकि समीर को अमेरिका वापस जाना था।

शुरु-शुरू में तो टीना को ससुराल में बहुत अच्छा लगा।।लेकिन धीरे-धीरे उसकी आँखों से ऊँचे खानदान का पर्दा साफ होने लगा।

समीर का रोज शराब पीना तो आम बात थी। खैर शराब पीने की बात को टीना ने नजरअंदाज कर दिया, क्योंकि उसके हिसाब से तो ये आजकल का फैशन है।

कुछ दिन बाद वे दोनों अमेरिका चले गये। यहाँ आकर मॉर्डन कपड़े पहनकर टीना अपने को किसी हीरोइन से कम ना समझती। लेकिन जल्दी ही टीना ने महसूस किया, समीर की उसमें दिलचस्पी कम हो रही है।

एक दिन समीर घर आकर बोला, “आज एक क्लाइंट के साथ डील पक्की हुई है, उसने पार्टी रखी है। तुम्हें भी चलना है, तैयार हो जाना…”

टीना खुशी-खुशी तैयार हो गई। समीर को रिझाने के लिए उसने उसकी पसंद की वेस्टर्न ड्रेस पहनी।

जब पार्टी में पहुँचे तो समीर वहाँ अपनो महिला मित्रों से गले मिल रहा था, किसी-किसी के साथ तो वो किस भी कर रहा था। टीना को बहुत बुरा लगा। टीना अकेली खड़ी रह गई और समीर अपने दोस्तों के पास चला गया।

टीना वहीं एक टेबल पर बैठ गई। वो बहुत कोशिश कर रही थी, लेकिन उस माहौल में अपने को एडजस्ट नहीं कर पा रही थी। तभी उसने देखा कि समीर एक लड़की की कमर में हाथ ड़ालकर डाँस कर रहा है, वो दोनों एक-दूसरे से इतना चिपके हुए थे कि शायद उनकी साँसे भी आपस में टकरा रही थी। टीना को बहुत गुस्सा आ रहा था।

तभी एक लड़का टीना के पास आया और उसे डाँस और शराब के लिए ऑफर किया। लेकिन टीना ने मना कर दिया।



टीना को वहाँ घुटन महसूस हो रही थी, वो समीर को बिना बताये घर आ गई।

सुबह को जब समीर घर आया, टीना का ऊपर बहुत गुस्सा हुआ, “तुमने मेरे दोस्त के साथ डाँस करने को क्यों मना किया। मैं भी तो उसकी पत्नी के साथ डाँस कर रहा था।”

“मैं किसी और के साथ डाँस नहीं कर सकती, ना ही शराब पी सकती हूँ।”

“यहाँ ऐसा नहीं चलता। यहाँ तो सब खुला है, बड़े घरों में तो इस तरह की पार्टियाँ आम बात हैं। मम्मी ने कहा था कि धीरे-धीरे तुम सब सीख जाओगी। लेकिन तुम तो अभी तक अपने घर के हिसाब से चल रही हो। मेरे साथ ऐसे नहीं चलेगा, तुम्हें मेरे हिसाब से चलना पड़ेगा। यहाँ रहना है तो यहाँ का कल्चर अपनाना पड़ेगा।” समीर चीखकर बोला।

“मुझे घर वापस जाना है।”

समीर ने टीना को अकेले वापस भारत भेज दिया। टीना सीधे अपने घर गई। वहाँ अपने मम्मी-पापा को सारी बात बताई।

टीना बहुत रो रही थी। “मैंने तो पहले ही मना किया था। लेकिन तुम सबकी आँखों पर तो ऊँचे खानदान का चश्मा चढ़ा था।” राजीव जी बोले।

किशन जी और निरूपमा जी समीर के घर बात करने पहुँचे। राजीव जी भी साथ में गये।

“कुमुद, तूने मेरी सहेली होते हुए मुझे अँधेरे में रखा। तेरा पोता इतना बिगड़ा हुआ है, तूने मुझसे ये सब क्यों छुपाया।” निरूपमा जी ने दुखी होते हुए कहा।

“इसमें बताने वाली क्या बात थी। ऊँचे खानदान में इस तरह की पार्टी, डाँस और रहन-सहन तो आम बात है। ये भारी साड़ियाँ और जेवर… ये सब तो त्योहारों पर फॉरमेल्टी के लिए ही होता है, अगर जिंदगी के मजे ना लें थो ऐसे पैसे का क्या फायदा। आजकल की लड़कियाँ तो खुद लड़को से आगे हैं। मुझे क्या पता था कि तुम लोग गरीब होने के साथ-साथ ओल्ड फैशन भी हो।”

माँ, इसलिए आपसे कहा था कि रिश्ते बराबर वालों से बनाने चाहिए। लेकिन आपको पता नहीं क्या दिखा इस लड़की में…. जो इसे इस घर की बहू बना लाई।” कुमुद जी की बहू (समीर की माँ) बोली।



“हमें नहीं पता था कि तुम लोग ऐसी सोच के होंगे। ये सत्संग और अपनी संस्कृति का दिखावा करते हो तुम लोग…. वरना तुम्हारे घर का तो पानी भी पीना पाप है।” निरूपमा जी बोली।

“तो क्यों खड़ी हो, लेकिन जाओ अपनी पोती को यहाँ से…”

“हाँ, ले जा रही हूँ… मेरी पोती ऐसे घर में नहीं रहेगी। मेरे बड़े बेटे ने तो पहले ही मुझे मना किया था, लेकिन मेरी ही मति मारी गई थी और अपने से ऊँचे खानदान में लड़की को दे दिया। तुमने मेरी बच्ची की जिंदगी खराब कर दी। ऐसी ससुराल से तो लड़की घर में भली….”

“भाईसाहब, मुझे माफ कर दीजिए। मैंने आपको बात नहीं मानी, बल्कि आपको बहुत बुरा-भला कहा। अगर आपकी बात मान लेता तो मेरी बेटी की जिंदगी खराब ना होती। लेकिन अब पछताते होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत!”

कूछ ही समय में टीना और समीर का तलाक हो गया। अब टीना को भी समझ आ गया था कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं। सही बात है, रिश्ते बराबर वालों के साथ ही बनाने चाहिए।

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धन्यवाद

चेतना अग्रवाल

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