झूठी दिखावे की जिन्दगी – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

हम इस एनीवरसरी पर बड़ा वाला टीवी ड्राइंग रूम के लिए लेंगे, अतुल ने जैसे ही कहा तो निशा को आश्चर्य हुआ। अतुल, ‘घर में वैसे ही दो टीवी पहले से है, एक हमारे कमरे में और एक बाबूजी के कमरे में, फिर और एक टीवी लेकर क्या करना है? वैसे भी टीवी इतना देखता … Read more

*दिखावे की चादर* – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

   परेशान हो गई थी सौम्या इस दिखावे की जिन्दगी से। कितना कठिन होता है ,हम जो नहीं है, वह बताने का प्रयास करना। उसे समझ में नहीं आता कि जब हम मध्यमवर्गीय है, तो अपने को उच्च श्रेणी का बताने की यह कैसी जिद है कि परिवार का हर व्यक्ति अपने मे ही उलझा … Read more

वो मां है, कुछ भी कर सकती है – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

शिल्पा! अम्मा ने खाना खाया? शिल्पा! अम्मा ने दवा ली,सो गई क्या वो? राहुल की रात दिन ये सब बातें सुनकर शिल्पा के कान पकने लगे थे, वो तो सास को संग लाकर रखना भी नहीं चाहती थी अपने घर लेकिन राहुल ने जब पिछले हफ्ते अपने बड़े भाई भाभी से कहा कि अम्मा को … Read more

मन की कसक – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

मनोज के चेहरे पर उड़ती हुई हवाइयों को देख घर में सबको बड़ी हैरानी सी हो रही थी और साथ हीं साथ किसी अनहोनी की आशंका से मन विचलित भी हो रहा था… कल तक घर के हर सदस्य के साथ हंसी-ठिठोली करने वाले मनोज को आज क्या हो गया है??  हर आहट पर कुछ … Read more

दिखावा – अमिता कुचया : Moral Stories in Hindi

जैन साहब की गाड़ी भीड़ के जाम में फंसी हुई थी ,वो जाम खत्म होने का इंतजार कर रहे थे। तभी नेहा डिपार्टमेंट स्टोर से बाहर निकलती है, तो उनके हाथ में चार कैरी बैग के साथ हैंड बैग भी रहता है। उन्हें देखकर जैन साहब नमस्ते नेहा जी…कहते है तभी उनकी आवाज सुनकर उनकी … Read more

मैं जैसी हूं वैसी ही रहूंगी – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

घर से अपनी मां की तेज आवाजें सुनकर मोहित का माथा ठनका,आज फिर इन सास बहू में ठन गई…उफ्फ!!क्या करूं इस दिव्या का..कितना समझाया है इसे मैंने..मां से ज्यादा पंगा मत लिया करो पर सुनती कहां है मेरी। मोहित को आया देखकर दोनों चुप गई थीं,मोहित की मां शकुंतला जरूर कुछ बड़बड़ाने लगी थीं पर … Read more

औलाद के मोह में वे सब कुछ सह गई – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

    बेटे बहू के  आफिस से आने का समय हो रहा था… साथ ही संध्या दीया बाती की भी। बढ़ती उम्र की परेशानियां अपने जगह पर थी।     पति भी संध्या भ्रमण से वापस आ गए होंगे। शाम में वे पार्क के बाहर वाले झोंपरपट्टी वाले चाय दूकान से अक्सर चाय पीकर आ जाते हैं कभी-कभी एकाध … Read more

नफरत की दीवार – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

आज मोहन जी अपने बड़े भाई गोपाल जी के गले लगकर रो पड़े। फिर भाभी के भी पैर छूकर आशीर्वाद लिया। अपने भतीजों को भी गले लगाया।आज इतने बरसों बाद सबको सामने देख कर मोहन जी के आंसू नहीं रूक रहे हैं। कुछ बोलना चाह रहे थे लेकिन गला बार बार रूंध जा रहा था।मन … Read more

दिखावे की ज़िंदगी – अनिता मंदिलवार “सपना ” : Moral Stories in Hindi

एक बड़ा सा महल जैसा घर । रहन सहन उच्च कोटि का । घर में बीसों नौकर चाकर । बेटा, बेटी, बहू और दामाद । सब हैं । घर पर कुछ शोर सुनाई देता है ।      यहाँ क्या शोर हो रहा है भई ! मिस्टर शर्मा घर के अंदर दाखिल होते ही कहते हैं । … Read more

औलाद के मोह के कारण वो सब सह गई – अनिता मंदिलवार सपना : Moral Stories in Hindi

   मीनू बहन जी , मीनू बुआ जी । सबका यही संबोधन था उनके लिए , ये मात्र संबोधन नही था । संबोधन जैसे जुड़े रिश्ते भी वैसी ही आत्मीयता और उतना ही सम्मान लिए हुए था । उनके जीवन की कहानी सबसे अलग है ।बचपन तो सामान्य ही था । छ: बहनों में सबसे लाडली … Read more

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