बेइंतहा प्यार – रीटा मक्कड़

जब बचपन मे तुम्हे देखा तब से तुम मुझे अच्छे लगने लगे। तब तो प्यार का मतलब भी नही पता था। जब कमसिन अल्हड़ उम्र हुई अभी ये भी नही पता था कि प्यार क्या होता है तब भी तुमसे ही प्यार किया। तुम नही मिलते तो मैं बहुत रोती थी वो तो बहुत बाद … Read more

अनोखा प्रयोग – प्रीती सक्सेना

 २५ साल पहले हम जबलपुर से ट्रांसफर होकर इंदौर आए, कुछ दिन तो घर और सामान को व्यवस्थित करने में निकल गए, फिर जब पूरी तरह फ्री हो गए तो अपना ब्यूटी पार्लर शुरू किया.   एक दिन बेल बजी, देखा तो एक महिला दिखी, अंदर आई, तो आने का प्रयोजन पूछा, महिला संकोची भयभीत, अपने … Read more

वो वाक़या जो भुला न सका – अनजान लेखक (मुकेश कुमार)

पैंतालीस साल से उपर गुजर गए थे जब मैंने ठान लिया था की जो भी हो अब इस जन्म में दोबारा हमलोग न ही भेंट-मुलाक़ात करेंगे और न ही बात करेंगे. एक शहर के हो कर भी हमलोग अजनबी बने रहे. लेकिन वो बोलते हैं न की “कुछ चीज़ें आप करते हैं और कुछ चीज़ें … Read more

दादी बुआ का पिटारा – पायल माहेश्वरी

बड़ी बहन भी माँ समान होती हैं यह पंक्ति सुनने में बहुत अच्छी लगती हैं, पर हमारे सामाजिक परिवेश में वो स्त्री जिसका स्वयं कोई परिवार नहीं होता हैं वो मन से कितनी अकेली होती हैं यह मैंने अपनी कथा में दर्शाया हैं।   “आज तो मैं दादी-बुआ के पिटारे का राज जानकर रहूँगी ” कमला … Read more

होश – दीप्ति सिंह

 कांति अपनें माँ बाप की इकलौती पुत्री थी। दो पुत्र कांति से पहले खत्म हो गए ,चार कांति के बाद पैदा हुए यानि चार भाइयों की इकलौती बहन, घर भर की लाडली।  “कांति की माँ !ब्याह कर दे कांति का, मृतजाई है… जिनगी लंबी हो जाएगी इसकी । ”  एक ग्रामीण महिला ने सलाह दी … Read more

माँ का साथ – सरला मेहता

” हुर्रे ! इस साल भी हमें विभा मेम ही विज्ञान पढाएंगी। ” पाँचवीं कक्षा के बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं है।  आदि ताली बजाता है, ” हाँ ना, मेम का भी जवाब नहीं। खेल खेल में सब समझा देती है। “ कक्षा में सभी शिक्षकों से डाँट खाने वाला विभोर तो बस नाचने … Read more

वो जब याद आये तो बहुत याद आये – नूतन गर्ग

किरन के पापा जो उसके सबसे करीब रहे। उनके साथ बिताए आखिरी लम्हे, जो वह कभी भुला नही पाएगी। आज़ भी जब वो मंजर उसकी आंखों के सामने से गुजरता है, तब उसकी आंखों से पानी की बूंदें गालों पर ऐसे पड़ जाती हैं जैसे मोती की बूंदें। वे तो अब इस दुनिया में नहीं … Read more

*संघर्ष अभी शेष है* -सरला मेहता 

” माँ माँ ! अब पापा तो वापस नहीं आएँगे, आप कितने भी आँसू बहाओ। चलिए कुछ खाकर दवाई  ले लीजिए। ” गर्विता, माँ वसुधा को दिलासा देते हुए कहती है।  अभी अभी दोनों लौटी हैं गणतंत्र दिवस  समारोह से। आज गर्विता क पिता शहीद मेजर पुनीत मेहरा जी को मरणोपरांत परमवीर चक्र सम्मान से … Read more

बस्ता – गुरविन्दर टूटेजा

रवि अपने बस्तें में किताबे डाल रहा था पर किताबे कही ना कही से वापस बाहर आ रही थी….ये देख क्लास मे सभी उसकी हँसी उड़ाने लगे तो उसने जैसे-तैसे बस्ता संभाला और घर की तरफ निकल गया…!!!! पर घर जाकर उसने चुपचाप बस्ता ले जाकर एक कोने में रखने लगा तो कला ने देख … Read more

तपस्या – विभा गुप्ता

#बड़ी_बहन          मंच पर उद्घोषक महोदय ने जैसे ही संजीव का नाम पुकारा, पूरा हाॅल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा।सिविल सेवा की परीक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त कर संजीव ने अपने परिवार का ही नहीं, ज़िले का भी नाम रोशन किया था।इसी खुशी में शहर के एक प्रतिष्ठित सभागार में उसे सम्मानित किया जा रहा … Read more

error: Content is Copyright protected !!