अनोखा प्रयोग – प्रीती सक्सेना

 २५ साल पहले हम जबलपुर से ट्रांसफर होकर इंदौर आए, कुछ दिन तो घर और सामान को व्यवस्थित करने में निकल गए, फिर जब पूरी तरह फ्री हो गए तो अपना ब्यूटी पार्लर शुरू किया.

  एक दिन बेल बजी, देखा तो एक महिला दिखी, अंदर आई, तो आने का प्रयोजन पूछा, महिला

संकोची भयभीत, अपने आप में गुम सी दिखी, मैने पूछा, बताइए यहां आने का आपका मकसद क्या है, बड़ी मुश्किल से बोली, मैं जबलपुर से अपनी मां के घर इंदौर आई हूं, क्या आप १५ दिनों में मुझे पार्लर का कोई कोर्स करा  सकती हैं, जिसका सर्टिफिकेट आप मुझे दें मैंने कहा हां

क्यों नहीं. ।

 मैने गौर से महिला को देखा, खूबसूरत चेहरा गौर वर्ण, लंबा कद,पर  अजीब सी उदासी से घिरी हुई, कपड़े सिलवटों से भरे हुए ढीले ढाले 

कुछ ऐसा तो था जो मुझे खटक रहा था, खैर मैंने उन्हें दूसरे दिन से ज्वॉइन करने को कहा।

 

दूसरे दिन वो आई, वही उदासी अजीब बेतरतीब कपड़े, बहुत लोगो से मिलना होता था, तो दूसरों की मनोदशा समझने लगी थी मैं, पर मैं पूछूं कैसे, सोचा काफी समय वो मेरे पास रहेंगी तब पूछूंगी ।

 


सेल्फ ग्रूमिंग का कोर्स शुरू हो गया एक दिन हम फ्री थे तो मैंने बातचीत शुरू कर दी, उन्होंने बताया एक छोटी बेटी है, पति सरकारी अधिकारी हैं, पहले वो कॉलेज में प्रवक्ता थीं, पर अब कुछ नहीं करतीं। कारण पूछने पर वही उदासी, वही चुप्पी।

 मुझे लगा ये महिला अपना आत्म विश्वास खो चुकी है अगर थोड़ा प्रयास करू तो ये शायद काफी हद तक नॉर्मल हो सकती है

धीरे धीरे वो मुझसे खुलने लगी, जीवन के बारे में बताने लगीं . सार ये निकला कि उनके पति सामान्य शक्ल सूरत के क्रोधी शक्की तानाशाह किस्म के थे, इसी वजह से पत्नी का जॉब भी छुड़वा दिया मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित कर दिया कि वो अपना आत्म विश्वास ही खो बैठी।

 

मैंने उन्हें बताया, आप बहुत खूबसूरत प्रतिभावान आकर्षक और समझदार हैं मैं आपसे बहुत प्रभावित हूं मैंने उनके चेहरे पर पहली बार खुशी देखी।

 

कोर्स का आखिरी दिन, मैंने उसे कहा आप अपनी सबसे खूबसूरत साड़ी  में आइए, आज मैं आपको मेकअप सिखाऊंगी वो आई जब मैंने

उन्हें तैयार किया वो खुद को देखती रह गई आत्मविश्वास चेहरे पर साफ नजर आ रहा था ।

  

 वो जबलपुर चली गईं, राखी पर भाई के बुलावे पर मैं जबलपुर गई अचानक मार्केट में उनसे मुलाकात हो गईं, पहचान नहीं पाई मैं उन्हें,

मुझे देख भागती आई वो मेरे दोनो हाथ जोर से पकड़ लिए, आंसू वहां भी थे, यहां भी, न बोलकर भी वो बहुत कुछ बोल गईं। ईश्वर माध्यम बनाकर साथ सबका देते हैं , महसूस हुआ.

 

बहुत खुशी मिलती है अगर हमारा छोटा सा प्रयास किसी के लिऐ कुछ कर  सके।

 

प्रीती सक्सेना

 इंदौर

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