संस्कार पिलाए नहीं जाते…! – वर्षा गर्ग

ऑटो से उतरते ही हलचल का अंदाज़ हो चुका था।  दोपहर के वक्त शांत रहने वाली हमारी हाउसिंग सोसाइटी में चहल पहल थी।  मैन गेट से आगे आई तो एक एंबुलेंस नजर आई।  हे ईश्वर!सबकी रक्षा करना। मन ही मन भगवान का नाम लेते हुए आगे बढ़ी मैं। लिफ्ट के पास कुछ परिचित चेहरे नजर … Read more

चाभी – मीनाक्षी सौरभ

“अंकल, आप जब भी फ़्री हों तो प्लीज़ फ़ोटोग्राफ़र से बोलिएगा कि हमें भी डांडिया नाइट की फ़ोटोज़ शेयर करे।” खाने की टेबल पर बैठी प्रिया ने कहा। “हाँ, उस दिन हमारी ज़्यादा फ़ोटोज़ ही नहीं हो पाईं थीं। हम लोग होस्टिंग में बिजी थे।” रावी भी मुस्कुराते हुए बोली। “ज़रूर बेटा। बहुत सारी फ़ोटोज़ … Read more

संस्कार – पुष्पा पाण्डेय

सूरज बचपन से ही होनहार था। अपनी कक्षा में हमेशा प्रथम आया करता था। माँ-बाप का इकलौता बेटा था। पिता इंजिनियरिंग काॅलेज में प्रोफ़ेसर थे। माँ सरोज एक कुशल गृहणी थी और अपने जड़ों से जुड़ी हुई थी। गाँव की लड़की शादी के बाद शहर आकर ऐसा तालमेल बैठाया कि न उसने अपने संस्कार को … Read more

जो बोए पेड़ बबूल के तो फूल कहां से होय..! – कामिनी सजल सोनी 

आज सुबह से ही सर दर्द के मारे फटा जा रहा था सोचा था संडे की सुबह है तो जल्दी से नाश्ता निपटा कर कहीं आउटिंग पर जाएंगे लेकिन दर्द के मारे तो हाल बेहाल है। सभी अपने अपने कामों में व्यस्त हैं सुनील ऑफिस का काम निपटा रहे हैं, तो बगल में बैठा किट्टू … Read more

पर उपदेश कुशल बहुतेरे – डा. मधु आंधीवाल

  रमा काकी मोहल्ले की चलती फिरती विविध भारती थी । पूरे मोहल्ले की बहू बेटियों की खबर रखती थी । कुछ लोग तो उन्हें नारद मुनि कहते थे । प्रीति मि. शर्मा जी की छोटी बेटी थी । बड़ी बेटीऔर बेटे की शादी हो गयी थी । प्रीति बहुत समझदार और शिक्षित लड़की थी । … Read more

” परवरिश ”  – अनिता गुप्ता

शहर की पॉश कॉलोनी के एक बंगले के बाहर काफी गहमा-गहमी का माहौल है। पुलिस ने यहां पर दबिश दी है। बहुत समय से शिकायत आ रही थी कि, इस बंगले में कुछ ग़लत हो रहा है। लेकिन सबूतों के अभाव में पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही थी। अभी पिछले हफ्ते ही नई … Read more

मेरे दोनों बच्चे एक समान* – नताशा हर्ष गुरनानी

स्नेहा कहा जा रही हो? मम्मा अदिति से मिलने जा रही हूं इस समय जाने की जरूरत नहीं स्नेहा किससे बात कर रही हो? मम्मा मानसी से बस बहुत देर बात कर ली अब बन्द करो मोबाइल स्नेहा फ्राक के साथ लेगी पहनो हां मम्मा चलो रसोई में खाना बनाने में मेरी मदद करो राहुल … Read more

“शिक्षा भी संस्कार भी” – अनीता चेची

कनक अपने गांव की  पहली लड़की थी जो डॉक्टर बनी थी। कनक के माता-पिता  के साथ-साथ पूरे गांव को भी उस पर गर्व हो रहा था। डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद कनक के पिताजी ने कनक का विवाह  डॉक्टर लड़के से ही कर दिया ।लड़का भी कनक की भांति ही सुंदर और पढ़ा … Read more

एक थी नंगेली – कमलेश राणा

पढ़ने का बहुत शौक है मुझे,,इसी के चलते कल एक सामाजिक कुरीति ने ध्यान आकर्षित किया मेरा,दिल दहल गया उसे पढ़कर और उस कुरीति से मुक्ति दिलाने वाली महिला नंगेली के प्रति श्रृद्धा से नतमस्तक हो गई। मेरी नज़रों में नंगेली किसी वीरांगना से कम नहीं है बल्कि उसे पूजनीय कहना ही उचित होगा लेकिन … Read more

वियोग  का संयोग – विजया डालमिया

आरोही ….आरोही…. आरोही… कहकर आनंद ने उसे आवाज दी। पर वह आवाज बिना प्रत्युत्तर के उसी के पास फिर आ गई। आनंद बड़े गौर से आरोही को ही देख रहा था। उसकी आँखें …वे आँखें जिन्हें देखकर वह सब कुछ भूल जाता था। आखिर हुआ क्या है आरोही को? अचानक उसने कहा…” डॉक्टर आरोही” उसके … Read more

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