” परवरिश ”  – अनिता गुप्ता

शहर की पॉश कॉलोनी के एक बंगले के बाहर काफी गहमा-गहमी का माहौल है। पुलिस ने यहां पर दबिश दी है। बहुत समय से शिकायत आ रही थी कि, इस बंगले में कुछ ग़लत हो रहा है। लेकिन सबूतों के अभाव में पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही थी।

अभी पिछले हफ्ते ही नई एसपी मीरा अप्वाइंट हो कर आई है। उन्होंने इस शिकायत को हाथों-हाथ लिया और कार्यवाही शुरू कर दी।

इस बंगले की मालिकन सुजाता एक समाज सेविका है और बेसहारा और असहाय महिलाओं के लिए ट्रेंनिग सेंटर चलाती हैं। दिनभर इस बंगले में लोगों का आना-जाना लगा रहता है। कई बार तो दिन के समय भी लोग नशे में धुत्त हो कर यहां से निकलते थे। जिससे परेशान हो कर कॉलोनी निवासी शिकायत कर रहे थे। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पा रहा था।

अब एसपी मीरा ने अपने मुखबिर लगा कर सारी जानकारी प्राप्त की। वास्तव में सुजाता ट्रेनिंग सेंटर के नाम पर अपने घर में सेक्स रैकेट चलाती है और इसी कारण लोगो का 24 घंटे आना जाना लगा रहता है और आज मुखबिर की खबर पर उनको रंगे हाथों पकड़ने के लिए पुलिस बल के साथ दबिश देने पहुंच गई।

 

वहां पर मौजूद लड़के – लड़कियों और सुजाता को पकड़ कर थाने ले जाया गया। जब एसपी साहिबा मीरा के सामने सबकी परेड हो रही थी तो अचानक मीरा एक लड़की को देख कर बुरी तरह से चौंक गईं।

“नीरा तुम यहां ? ” एसपी मीरा ने चौंकते हुए पूछा।

नीरा ने कोई जवाब नहीं दिया , बस नज़रे नीचे कर ली।

नीरा और मीरा दोनों जुड़वा बहनें है। नीरा तो एकदम गोरी और मीरा काली। जैसा कि आम हिन्दुस्तानी परिवारों में होता है, वैसा ही इन दोनों के साथ हुआ। अर्थात मीरा की मां सुप्रिया जी ने दोनों बच्चों में भेदभाव किया।

सुप्रिया जी खुद भी बहुत गोरी थीं लेकिन उनके पतिदेव दिनेश जी काले थे। लेकिन सरकारी अफसर थे तो सुप्रिया जी ने शादी के लिए हां कर दिया पर उनको कभी भी पति का काला रंग पसंद नहीं आया। उनकी इच्छा थी कि उनके बच्चे रंग में उन पर जाए। लेकिन जो सोचो वैसा ही हो जाए ऐसा तो होता नहीं है। उन्होंने दो जुड़वा बेटियों को जन्म दिया। लेकिन एक का रंग तो उन पर गया और दूसरी का अपने पापा पर।



 

सुप्रिया जी नीरा का तो बहुत ध्यान रखती और खूब लाड़ प्यार करती। लेकिन मीरा की हरदम उपेक्षा करतीं।कई बार दिनेश जी ने समझाने की भी कोशिश की, लेकिन सुप्रिया जी पर कोई असर नहीं होता।

वो तो बस एक ही बात कहती कि, ” देखना मेरी नीरा को तो राजकुमार ब्याह कर ले जाएगा।”

 

सुप्रिया जी की इस मनस्थिति के चलते कभी भी उन्होंने नीरा की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया। बल्कि उनके लाड़ प्यार ने उसे जिद्दी, अपनी मनमानी करने वाली, आलसी, मुंहफट बना दिया।

नीरा ना तो घर के काम में हाथ बंटाती और ना ही पढ़ाई करती। उसको तो बस रोज़ नए कपड़े, कॉस्मेटिक्स आदि चाहिए रहते थे और उसकी मां उसकी ये सब फरमाइशें बड़े ही खुशी – खुशी पूरा करतीं।

जबकि मीरा एक उपेक्षित सा जीवन जी रही थी। दिनेश जी ही अपनी बेटी को प्यार कर लिया करते थे और उसको समझाते थे कि ,

“बेटा सूरत से ज्यादा सीरत काम आती है। तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। तुमको एक दिन बहुत बड़ा बनना है और माता – पिता का नाम रोशन करना है।”

 

मीरा ने अपने पापा के दिए मंत्र को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था और सब  जगह से ध्यान हटा कर सिर्फ  पढ़ाई में लगा लिया था। मीरा एक होनहार विद्यार्थी थी। पढ़ाई में अव्वल होने के साथ – साथ बास्केट बॉल की भी अच्छी प्लेयर थी । उसके स्कूल को उसपर नाज़ था।

दोनों बहनों का स्कूल कंप्लीट हो गया और दोनों कॉलेज में आ गईं। मीरा ने आईपीएस में जाने का मन बना लिया था और उसी को ध्यान में रख कर बीएससी में एडमिशन ले लिया।

नीरा का तो पढ़ाई से दूर – दूर तक कोई नाता नहीं था। उसने तो सिर्फ मौज – मस्ती के लिए बीए में एडमिशन लिया था।

नीरा रोज़ एक से एक ड्रेस पहनकर कॉलेज जाती, जैसे फैशन शो में जा रही हो। धीरे – धीरे नीरा की दोस्ती कई ऐसे लड़कों से हो गई , जो अपने पापा के पैसों का रुतबा दिखाने के लिए ही कॉलेज आते थे।



 

उन्हीं में से एक रोहित था। नीरा रोहित की रोज़ नई गाड़ी में आने से काफी प्रभावित थी और यह बात रोहित ने समझ ली थी। फिर क्या था रोहित ने नीरा को अपने प्रेम जाल में फंसाना शुरू कर दिया और वो इसमें सफल भी हो गया। अब नीरा को रोहित के सिवाय कुछ सुझता ही नहीं था।

कुछ समय बाद रोहित ने नीरा पर शादी करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। नीरा ने इस बारे में घर पर बात की। लेकिन सब ने मना कर दिया कि अभी पढ़ने की उम्र है , शादी की नहीं और रोहित अच्छा लड़का नहीं है।

लेकिन नीरा ने तो बचपन से अपनी मनमानी करना सीखा था तो अब कैसे वो अपने मम्मी – पापा की बात मान सकती थी। उसने घर छोड़ दिया और रोहित के साथ चली गई।

उसके बाद से नीरा आज मिली है मीरा को , वो भी इन हालातों में।

 

जरूरी कानूनी कार्यवाही खत्म करके मीरा को  जैसे ही फुर्सत मिली, वो नीरा से मुलाकात करने चली गई।

“नीरा तुम यहां तक कैसे पहुंच गई और रोहित कहां है ? तुम घर क्यों नहीं आई ? कितना ढूंढा हम सब ने तुम्हें।” एक ही सांस में मीरा सब बोल गई।

नीरा कुछ देर तो चुप रही फिर उसने शब्दों को चबा कर कहना शुरू किया,

” आप .. सब ठीक… कह रहे थे, रो..हित अच्छा …लड़का नहीं था। मैंने आप… सब की.. बात नहीं मानी …… और उसी का .. परिणाम भुगत रही हूं।” इतना कह कर नीरा सिसकने लगी।

मीरा ने उसे ढाढस बधाया ।

 



नीरा ने फिर कहना शुरू किया, ” रोहित मुझे लेकर सुजाता के घर आ गया, बोला ये मेरी दीदी है और हमारी मदद करेगी। जब मम्मी – पापा हमको अपना लेगें तब हम घर चले जायेगें। अभी हम मंदिर में शादी कर लेंगे और कुछ समय दीदी के पास ही रहेगें। दीदी पापा को मना लेगी, तब धूमधाम से शादी करेगें। जब तक तुम्हारे पैरेंट्स भी मान जायेगें, शायद।

 

मैं उसकी की बातों में आ गई और सुजाता और रोहित के बिछाए जाल में फंसती चली गई। लाख कोशिश करने के बाद भी मैं उस दलदल से निकल नहीं पाई और आज आपके सामने हूं।”

” तुम चिंता नहीं करो। जो हुआ सो हुआ। अब तुम फिर से नई जिंदगी शुरू करो और हम सब तुम्हारे साथ हैं। तुमको एक-दो दिन में रिहा कर दिया जाएगा, फिर तुम हम सब के साथ घर में रहना।” मीरा ने बड़े प्यार से अपनी बहन से कहा।

दो दिन बाद मीरा अपनी बहन को लेकर घर पहुंची । अचानक से नीरा को देख कर मम्मी – पापा दोनों चौंक गए। मीरा ने घर पर नीरा के बारे में नहीं बताया था कि वो कहां मिली। नीरा ने ही कहा,

” मैं मीरा के कारण ही आप से दुबारा मिल पा रही हूं, नहीं तो इस जन्म में मेरा आपसे मिलना मुश्किल था।”

सुप्रिया जी ने नीरा और मीरा दोनों को गले लगा लिया और कहा,

 

” मैं कितनी गलत थी कि मैंने दोनों बेटियों में फ़र्क किया। अब ये गलती दुबारा नहीं करूंगी।”

बहुत देर से चुप खड़े दिनेश जी बोले, ” चलो देर आए दुरुस्त आए।”

और सब हंसने लगते हैं।

अनिता गुप्ता

 

#संस्कार

 

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