“शिक्षा भी संस्कार भी” – अनीता चेची

कनक अपने गांव की  पहली लड़की थी जो डॉक्टर बनी थी। कनक के माता-पिता  के साथ-साथ पूरे गांव को भी उस पर गर्व हो रहा था। डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद कनक के पिताजी ने कनक का विवाह  डॉक्टर लड़के से ही कर दिया ।लड़का भी कनक की भांति ही सुंदर और पढ़ा लिखा था। दोनों की जोड़ी देखकर सभी बहुत खुश थे। कनक के पिताजी ने उसका विवाह बड़ी धूमधाम से किया।  उसकी मुॅंह दिखाई की रस्म में   चारों नंनदे, सास- ससुर , जेठ जेठानी सब थे परंतु अन्य कोई रिश्तेदार नहीं था और ना ही आस पड़ोसी। उसे ये माहौल  कुछ अजीब सा लगा। अगली बार जब  वह ससुराल आई तब

उसे एक कमरे से चिल्लाने की आवाज  सुनाई दी।

कनक -निखिल  ये  आवाजें कैसी हैं?

निखिल-‘कनक  सब कुछ ठीक है, तुम सो जाओ’।

कनक ससुराल में एक महीने भी  रही होगी इतने में ही उसके नौकरी सरकारी अस्पताल में लग गई।

उसे शहर जाना पड़ा। निखिल और कनक अब शहर में ही रहने लगे परंतु कनक के सामने अभी भी एक प्रश्न जो  उसे रोज  परेशान कर रहा था। उस कमरे में कौन था जो रोज जोर जोर से चिल्ला रहा था? निखिल से जब  भी वह इस बारे में बात करती निखिल टाल जाता ।

इसी तरह शादी को एक वर्ष बीत गया। अबकी बार निखिल और कनक का गांव जाना हुआ । सभी उनको देखकर बहुत खुश थे।  रात को  उस कमरे से  फिर जोर जोर से चिल्लाने की आवाज आई। कनक से रुका नहीं गया गया,वह उस कमरे में इधर उधर से झांकने लगी।  घर के सभी सदस्य उस कमरे में  थे।

उसे वहां आता देखकर निखिल ने उसे डांट दिया, कनक तुम यहाॅं क्या कर रही हो? जाओ यहाॅं से, तुम्हारा यहाॅं कोई काम नहीं है’।

कनक को भी गुस्सा आ गया,

निखिल हम दोनों पति पत्नी हैं ऐसी क्या बात है जो तुम मुझसे छुपा रहे हो?

मुझे पूरा अधिकार है यह जानने का  कि इस घर में क्या हो रहा है? ये घर में अजीब सी आवाजें क्यों आती हैं?



निखिल कनक को कुछ भी बिना बताए वहां से चला गया परंतु कनक के मन में वही प्रश्न बार-बार उठ रहे थे।

 सुबह सब कुछ सामान्य दिखाई दिया।  परंतु सासू माॅं अभी भी चारपाई में ही लेटी हुई थी। वह एक वर्ष से देख रही थी कि वह बस खाती है और सो जाती हैं । हमेशा निराशाजनक बातें करती है।  छोटी छोटी बातों से ही बहुत ज्यादा गुस्सा हो जाती है। उनका यह व्यवहार उसे  अजीब लगा।

कनक ने अपनी जेठानी से पूछा, दीदी मम्मी जी को क्या हुआ है? और हमारे घर में रात को अजीब सी आवाजें क्यों आती हैं ?

जेठानी भी कनक को बिना कुछ बताए वहां से चली गई।

 दो-तीन दिन बाद उस कमरे से फिर जोर-जोर से चिल्लाने की आवाजें  आई । कनक भागकर उस कमरे के पास गई परंतु दरवाजा अंदर से लगा हुआ था फिर उसने पीछे की खिड़की से झांक कर देखा  पूरे कमरे में धुआं ही धुआं हो रहा है।  घर के सभी सदस्य  वहां खड़े हुए हैं। और एक औरत है जो जोर जोर से चिल्ला रही है। यह सब देखकर कनक डर गई और भाग कर वापस अपने कमरे में आ गई।

सुबह उठकर उसने अपनी जेठानी से फिर पूछा,

दीदी रात को आप सभी कमरे में खड़े थे और मम्मी जी  जोर जोर से क्यों चिल्ला रही थी, क्या हुआ ? आप सब लोग मुझसे क्या छुपा रहे हैं?

 जेठानी जी पहले तो चुप रही परंतु  कनक के बार-बार आग्रह पर  सारा रहस्य खोल  दिया।

जेठानी -‘कनक मम्मी जी को भूत प्रेत आते हैं, जिसके कारण हम इन्हें अलग कमरे में ले जाते हैं’।

वह बहुत ही आक्रमक हो जाती हैं इसी वजह से उन्हें  कमरे में बंद करना पड़ता है’। इनके इसी व्यवहार के कारण लोगों ने उनसे दूरी बना ली।

उनका इलाज एक बहुत बड़े बाबा जी से चल रहा है, वही झाड़-फूंक कर देते हैं, तब ये ठीक हो जाती हैं’।

कनक को ये सारी बातें बहुत अजीब लग रही थी।

 दीदी आप कैसी बातें कर रही हो?

आप इतनी पढ़ी लिखी हो ,फिर भी इन बातों पर विश्वास करती हो’।

जेठानी -‘कनक भूत प्रेत होते हैं, और यह तो मम्मी जी के पीछे कम से कम 15 वर्षों से लगे हुए हैं, मेरी शादी पर भी ये ऐसे ही थी।

कनक के बार बार समझाने पर भी जेठानी उसकी  बात मानने को तैयार नहीं थी। अब कनक ने उनको ज्यादा समझाना उचित नहीं समझा और वहां से चुपचाप चली गई।



शाम को कनक ने निखिल से कहा, निखिल तुम डॉक्टर हो और मम्मी जी इतने दिनों से मानसिक रूप से बीमार है ,तुमने कभी उनको मनोचिकित्सक को क्यों नहीं दिखाया?

निखिल चुपचाप कनक की बातें सुनता रहा।

अगले दिन सुबह कनक ने अपनी सासू माॅं से बात की उस समय वो थोड़ी सामान्य लग रही थी। वह उनके पूरे जीवन के बारे में जानना चाहती थी।

तब सासु माॅं ने बताया कि उनका विवाह 13 वर्ष की उम्र में ही हो गया था।

15 वर्ष की उम्र में उन्होंने पहली बेटी को जन्म दिया।

इस तरह से लगातार उन्होंने चार बेटियों को जन्म दिया।

बेटे की चाहत में उन्होंने छह बार गर्भपात करवाया।

इस वजह से वह बहुत कमजोर हो गई। तब  कहीं  जाकर उन्हें दो बेटे हुए।उसी दौरान उनके पिता और भाई की मृत्यु हो गई । माॅं का साया तो बचपन में ही उठ गया था।

भाई और पिता का ही सहारा था वे भी छोड़ कर चले गए

इसी गहरे सदमे  से वह बिस्तर से उठी   नहीं पाई ।

तभी से उसे परेशानी हो रही है।

अब कनक समझ गई थी, मम्मी जी को कोई भूत प्रेत नहीं बल्कि बायोपोलर डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति कभी-कभी निराशा की स्थिति में चला जाता या फिर बहुत उन्मादी हो जाता है। मम्मी जी की हालत को कनक अच्छी तरह से समझ रही थी। उनका इस तरह से एकदम आक्रमक हो जाना और कभी-कभी इतने प्यार से बातें करना ,यह कोई भी भूत-प्रेत नहीं बल्कि उनको एक मानसिक बीमारी थी ।और इतने दिनों से और इतने सालों से भूत प्रेत के नाम पर उनके शरीर के साथ खिलवाड़ हो रही थी‌। कनक ने एक अच्छे डॉक्टर से अपनी सासू माॅं का इलाज करवाया । धीरे-धीरे कनक की सासु माॅं ठीक होने लगी। इतने सालों पूरे परिवार में उपद्रव का माहौल रहा। सभी भय और चिंता में रहे। परंतु कनक वह लड़की थी जो परिवार के रिश्तो को तो निभा ही रही थी । अपनी शिक्षा से अपनी सासू माॅं की मानसिक बीमारी का इलाज भी करवाया। कनक की सासू माॅं अब स्वस्थ होने लगी थी। और वह खुश थी, कि उसकी बहू शिक्षित भी है और संस्कारी भी।

अनीता चेची,मौलिक रचना,हरियाणा

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