“रक्षक या भक्षक” – ॠतु अग्रवाल

आज मन बहुत उदास था रम्या का। पता नहीं, कभी-कभी मन क्यों उन गलियारों में खो जाता है, जहाँ बचपन की एक कच्ची,कड़वी सी याद उसके अंतस के घाव को कुरेद देती है। कितना ही उस नासूर को भरने की कोशिश की, उसने,उसके पापा मम्मी ने। पर जब तब उससे रिसता मवाद अपनी सड़ांध से … Read more

चीत्कार – श्वेता मंजु शर्मा

#चित्रकथा हिना स्तब्ध खड़ी थी। सामने था उसका रहबर, उसका साथी । एक झटके में उसने उसका सब छीन लिया । तलाक़ तलाक़ तलाक़, इन तीन लफ्जों ने उसकी जिंदगी बदल दी । कैसे इतना संगदिल हो गया उसका सनम । वो सामान बाँधने लगी । नन्ही जोया रो रो कर हलकान थी। बार बार … Read more

कैद से मुक्त – डा.मधु आंधीवाल

इस  कोरोना काल ने सारा जग जीवन ही अस्त व्यस्त कर दिया । रुचिका आज अपने को बिलकुल अकेला और असहाय महसूस कर रही थी । जब सब सयुंक्त परिवार था अपने लिये सोचने की फुर्सत ही नहीं मिली । सास  का अनुशासन  और भरा पूरा परिवार । कालिज के समय के सारे शौक पता … Read more

दर्द – प्रमोद रंजन

घर से बाहर निकला ही था कि सामने से रमन जी आते दिखे शायद प्रातः भ्रमण कर लौट रहे हों, मैंने सुप्रभात कहा तो उन्होंने अनमने ढंग से सर हिला दिया। मैं समझ गया कि जरूर कोई बात है। मैंने पूछा क्या बात है क्यूं उदास हैं क्या हुआ ।उन्होंने हलके से हंस कर कहा … Read more

कुछ ख्वाब अधूरे से – रीटा मक्कड़

अपने दौर की हर लड़की की तरह मैंने भी बहुत से सपने, बहुत से ख्वाब खुली आँखों से देखे थे…जो बस ख्वाब ही रहे उनको पंख कभी नही मिले। उम्र के इस पड़ाव पर आकर भी लगता है ..मन का एक कोना अभी भी खाली है..कुछ है जो अधूरा रह गया है..कुछ है जो छूट … Read more

 तमन्ना – रणजीत सिंह भाटिया

#चित्रकथा    धनीराम जो शहर के बहुत बड़े व्यापारी थे अपने कुछ साथियों के साथ वापस अपने घर लौट रहे थे, रात बहुत अंधेरी थी, करीबन आधी रात होगी, एक घने जंगल से गुजरते हुए अचानक उनकी कार खराब हो गई ड्राइवर कोशिश कर रहा था पर उसे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था … Read more

चित्कार – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा

#चित्रकथा लगभग ढाई साल बाद मैं अपने गांव गई थी। माँ के गुजरने के बाद जैसे हमारा जहान ही लुट गया था। कभी इच्छा ही नहीं होती थी वहां जाने की। इस बार गर्मी की छुट्टियों में छोटे भाई और बच्चों की जिद की वज़ह से मैं अपने गांव गई। बच्चे बहुत खुश थे। भाई-भाभी … Read more

राय साहब – अरुण कुमार अविनाश

” राय साहब —— राय साहब — ।”– मैंने उच्च स्वर में पुकारा। राय साहब ने मेरी आवाज सुन ली थी। वे ठिठके फिर मेरी ओर देख कर उन्होंने मुझें अपनी ओर आने का इशारा किया। इस समय पार्क में मैं रोज़ की तरह वाकिंग और शारीरिक व्ययाम के लिये गया हुआ था। राय साहब … Read more

पश्चाताप – अनामिका मिश्रा

आज प्रशांत ने अपने बेटे से कहा, “चल बेटा जरा घूम कर आते हैं, तेरी छुट्टी भी है, और मुझे भी कुछ काम है!” प्रशांत बेटे को लेकर घूमने निकला। रास्ते में ट्रैफिक जाम लगा हुआ था। तभी एक औरत पास आकर पैसे मांगने लगे। प्रशांत ने अनदेखा किया और ट्रैफिक अभी खुली भी नहीं … Read more

“सुखद चीख” – ऋतु अग्रवाल

विधा : नाटक  #चित्रकथा परिमिता: रोहन! उठो!आह!आह! रोहन: सोने दो ना! नींद आ रही है बहुत। परिमिता:रोहन उठो भी! मुझे बहुत तकलीफ हो रही है। रोहन: अरे यार सो जाओ। ऐसे में थोड़ी बहुत तकलीफ तो होती ही है। परिमिता लेटने का उपक्रम करती है पर पीड़ा की वजह से उसे नींद नहीं आती। वह … Read more

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