पश्चाताप – अनामिका मिश्रा

आज प्रशांत ने अपने बेटे से कहा, “चल बेटा जरा घूम कर आते हैं, तेरी छुट्टी भी है, और मुझे भी कुछ काम है!”

प्रशांत बेटे को लेकर घूमने निकला। रास्ते में ट्रैफिक जाम लगा हुआ था।

तभी एक औरत पास आकर पैसे मांगने लगे।

प्रशांत ने अनदेखा किया और ट्रैफिक अभी खुली भी नहीं थी। प्रशांत ने खिड़की का शीशा नीचे कर कहा, “जाओ ..जाओ..यहां से, तुम लोगों को बस मौका मिलना चाहिए, जाओ जाओ आगे बढ़ो!” पर वो औरत तो थी ही पीछे से बूढ़ी औरत भी आ गई।

वो कहने लगी, “कुछ पैसे दे दो बेटा, मेरा भी आपके जैसा एक बेटा है, वो बीमार है, उसके इलाज के लिए पैसे चाहिए,भगवान तेरा भला करेगा बेटा!”

पर प्रशांत झुंझला उठा, “जाओ..जाओ..कुछ काम करो, माँगने की आदत हो गई है, झूठ बोलकर पैसा मांग रही है!”

तब तक ट्रैफिक खुल गई और प्रशांत ने कार आगे बढ़ा दिया, वो बूढ़ी औरत लड़खड़ा कर पीछे हो गई।

प्रशांत अपने बेटे के साथ एक रेस्टोरेंट में गया, वहां से कुछ खा पीकर गाड़ी में दोनों बैठ गये। प्रशांत गाड़ी बैक करने लगा।


पीछे एक खंभे से गाड़ी खूब जोर से टकरा गई .. और कार के पीछे की खिड़की टूट गई…पीछे का अधिकतम हिस्सा डैमेज हो गया था।गनीमत था कि उसके बेटे को कुछ नुकसान नहीं हुआ।

प्रशांत उसी हालत में घर पहुंचा और अपनी पत्नी को सारा वृत्तांत कह सुनाया।

पश्चाताप करते हुए कहने लगा, “काश मैं उस औरत और बूढ़ी औरत को पैसे दे देता…तो शायद इस नुकसान से बच जाता ये ईश्वर की तरफ से मुझे सीख मिली है!”

उसकी पत्नी ने कहा, “ईश्वर की कृपा है तुम दोनों को कुछ नहीं हुआ, पर ईश्वर से मैं प्रार्थना करती हूं कि,उस बूढ़ी औरत का बेटा स्वस्थ हो जाए!”

स्वरचित अनामिका मिश्रा

झारखंड जमशेदपुर

 

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