स्वार्थी माँ – मुकेश पटेल :Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : रजनी बहुत खुश थी क्योंकि उसकी शादी शहर में होने वाली थी उसका ससुराल दिल्ली में था पति भी सरकारी नौकरी करता था इससे ज्यादा रजनी को और क्या चाहिए था।  रजनी तो कभी सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी शादी इतने अच्छे घर में होगी। 

आखिर वह दिन भी आ गया रजनी की शादी हुई और वह अपने ससुराल  विदा हो गई। रजनी अपने ससुराल में सारे मेहमानों से अच्छी तरह से बात करती थी या यूं कहें तो उसने  सबका दिल जीत लिया था सब के मुंह से यही निकल रहा था कि अगर बहू मिले तो रजनी जैसी। 

 मेहमान तो मेहमान होते हैं वह कितने दिन रहेंगे  धीरे-धीरे सब अपने घर को चले गए।  घर में रह गए उसके सास-ससुर और दो छोटे  बच्चे सुमित और गीता। 

रजनी अब यह सोच रही थी कि सारे मेहमान चले गए तो यह बच्चे किसके हैं यह अपने घर क्यों नहीं जा रहे हैं। 



 रजनी के मन में यह सवाल चल ही रहा था तभी उसकी सासू मां ने रजनी को आवाज दी, “बहू इधर आओ आज मैं तुम्हें इन बच्चों से परिचय कराती हूं। बहू आज से तुम ही इन दोनों बच्चों की मां हो तुम्हें तो पता ही है कि इनकी मां के मरने के बाद इन दोनों को  हमने कितनी मुश्किल हालात से पाला है अब गांव में कोई पढ़ाई लिखाई का व्यवस्था तो है नहीं शहर में रहेंगे तो बच्चे अच्छे से पढ़ लिख जाएंगे।  अब आज से इनकी देखभाल की जिम्मेदारी तुम्हारी है हम भी दो-चार दिन में गांव चले जाएंगे क्योंकि हमारा मन शहर में  नहीं लगता है। 

रजनी ने अपनी सासू मां से कहा मम्मी जी ये  क्या कह रही हैं।  मैं इन बच्चों की मां क्यों हूं मुझे समझ नहीं आ रहा है आप क्या पहेली बुझा रही हैं।  रजनी की सास ने कहा बहू यह कैसी बात कर रही हो तुम्हें तो सब कुछ पता है ना कि तुम्हारे होने वाले पति धर्मेश के दो बच्चे हैं अब बच्चे अपने मां बाप के पास नहीं रहेंगे तो किसके पास रहेंगे। 

रजनी का दिमाग खराब होने लगा उसे नहीं पता था कि धर्मेश के यह दूसरी शादी है और रजनी उसकी दूसरी पत्नी पहली पत्नी बीमारी के कारण  स्वर्ग सिधार गई और उसी के यह दो बच्चे सुमित और गीता है। 

 रजनी ने अपनी सासू मां से पूछा तो क्या धर्मेश की पहले भी शादी हो चुकी है।  उसकी सास ने कहा, ” बहू क्या तुम्हें यह बात पता नहीं था  कि  धर्मेश पहले से शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी हैं।” 

जब रजनी को पता चला कि उसके साथ धोखा किया गया है उसे किसी ने नहीं बताया कि धर्मेश पहले से शादीशुदा है वह वहां से उठी और अपने कमरे में जाकर  दरवाजा बंद कर ली और रोने लगी।  रोते-रोते अपनी मां को फोन लगाई और अपनी मां से बोली मां मेरे साथ छल किया गया है तुम्हारी  बेटी के साथ इन्होंने धोखा किया है तुम्हारा दामाद पहले से ही शादीशुदा है फोन पर रोते रोते अपनी मां से कहे जा रही थी, मां मुझे जल्दी आकर ले चलो मैं अब यहां 1 मिनट भी नहीं रहूंगी मेरा सिर  टेंशन से फटा जा रहा है। 

 रजनी की मां ने कहा, “बेटी चुप हो जाओ उन्होंने तुम्हारे साथ कोई धोखा नहीं किया है।” ” क्या कह रही हो मां यह धोखा नहीं है तो क्या है धर्मेश शादीशुदा है कम से कम उन्हे हमें बताना तो चाहिए था हमारी मर्जी थी हम शादी करेंगे या नहीं करेंगे चुपके से शादी करना धोखा नहीं तो क्या है।” ” नहीं बेटी यह धोखा नहीं है बल्कि धोखा तो मैंने तुम्हें दिया है मुझे सब कुछ पता था धर्मेश पहले से शादीशुदा है मैंने सोचा शादी से पहले तुम्हें बता दूंगी तो तुम शादी करने से मना कर दोगी।  बेटी धर्मेश अच्छा लड़का है और उसके मम्मी पापा भी अच्छे लोग हैं लोगों की जिंदगी में हादसा तो होता रहता है और अभी धर्मेश की उम्र ही क्या हुई है।  बेटी इतना अच्छा रिश्ता तुम्हें कहीं नहीं मिलता सरकारी नौकरी करता है और क्या चाहिए तुम्हें।  उन्होंने एक रुपये दहेज भी नहीं लिया है बल्कि तुम्हारे छोटे भाई की इंजीनियरिंग की फीस भी दामाद जी ने भर दिया है। 

 बेटी एक मां को और क्या चाहिए तुम्हें अच्छा घर मिल गया और उसकी वजह से तुम्हारे भाई बहनों की भी जिंदगी बन गई। 



 तुम्हें तो पता है कि तुम्हारे पिताजी के देहांत के बाद कितने मुश्किल से मैं घर चलाती हूं मेरी औकात नहीं थी इतने बड़े घर में शादी करने की बस चुपचाप तुम वहीं पर रहो।”  रजनी चुपचाप अपनी मां की बात सुन रही थी उसके बाद उसने अपनी मां से बोली, “मां तुम यह क्यों नहीं कहती हो कि तुमने अपनी बेटी का सौदा किया है भाई की इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए तुमने मुझे बेच दिया है।  मां मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि मां भी स्वार्थी होगी मां तो ममतामई होती है  अपने बच्चों की दुख समझती है लेकिन तुमने तो मुझे जिंदगी भर का दुख दे दिया तुमने एक बार भी मुझसे नहीं जानने की कोशिश की कि मेरा मन है कि नहीं अगर मुझसे एक बार पूछ लेती तो शायद मैं मना भी नहीं करती लेकिन तुमने मेरे साथ छल किया है मां छल किया है आज के बाद मुझे कभी फोन मत करना तुम्हारी बेटी मर गई।” 

रजनी का पति धर्मेश जब शाम को ऑफिस से घर आया  तो उसकी मां ने  दिन में जो भी कुछ वह सब कुछ बता दिया वह बोली कि रजनी बहुत गुस्सा है उसकी मां ने तुम्हारे बारे में नहीं बताया था कि तुम शादीशुदा हो।  अब जाओ और रजनी को समझाओ। 

धर्मेश थोड़ी देर बाद रजनी के पास गया और रजनी से बोला देखो रजनी, “मुझे या मेरे मम्मी पापा को नहीं पता है कि तुम्हारी मम्मी ने तुमसे यह बात छुपाई है क्योंकि हम लोगों ने तो शादी करने से पहले ही सब कुछ सच-सच बता दिया था।  हम कभी भी धोखे में रखकर किसी भी लड़की के साथ धोखा नहीं कर सकते हैं यह किसी की जिंदगी का सवाल है। देखो रजनी अगर तुम्हारी इच्छा नहीं है मेरे साथ रहने की तो कोई जोर  जबर्दस्ती  नहीं है।  तुम  मेरी तरफ से अभी भी आजाद हो  जहां जाना है तुम जा सकती हो हम तुम्हें कभी नहीं रोकेंगे।” 

 अब बेचारी रजनी क्या करती उसके पास रोने के अलावा कुछ नहीं था उसके सारे सपने एक पल में बिखर चुके थे ऐसा लगता था वह बिल्कुल ही सुन पड़ गई हो उसके शरीर से किसी ने आत्मा  निकाल लिया हो 

धर्मेश बोला, “देखो रजनी तुम्हारे साथ जो भी हुआ बिल्कुल गलत हुआ,  अब मैं किसको गलत कहूं।  लेकिन टेंशन लेने से भी अब कुछ होने वाला नहीं है अब तुम्हें यह फैसला करना है कि तुम्हें अपने जीवन में क्या करना है मेरे साथ रहना है तो खुशी-खुशी रह सकती हो नहीं तो अगर तुम कहोगी तो अभी मैं तुम्हें तुम्हारे मायके छोड़ आऊंगा। 

 रजनी ने मन ही मन सोचा अब मायके जाकर क्या करेगी जिस मां ने पैसे की लालच में मेरी शादी कर दी हो उस घर में जाने से कोई फायदा नहीं. 

रजनी की सास भी वहां पर आ गई उन्होंने रजनी से कहा, “देखो बेटा अगर तुम्हें धर्मेश के बच्चों को अपने साथ रखने में परेशानी है तो कोई बात नहीं हम बच्चों को अपने साथ गांव लेकर चले जाएंगे जैसे इतने दिनों तक पाला और भी पाल लेंगे लेकिन तुम अब अंकित को छोड़कर मत जाओ अंकित बहुत अच्छा लड़का है मैं इसलिए नहीं कह रही हूं कि यह मेरा बेटा है वाकई यह बहुत अच्छा इंसान है तुम्हें हमेशा खुश रखेगा।  लेकिन मेरे बेटे को मत छोड़ना यह तो शादी करने को तैयार भी नहीं था हमने कितना मनाया तब जाकर शादी करने को राजी हुआ तुम्हें दिल से पसंद करता है रजनी एक बार तो मेरे बेटे का घर उजड़ ही गया है दोबारा से मत उजाड़ो मैं अपने बेटे  के लिए तुम से उसकी खुशियों की भीख मांगती हूं।”  तभी बच्चे भी कहने लगे हम लोग दादा दादी के साथ गांव चले जाएंगे नई मम्मी । 

रजनी ने सोचा अब  वह अपने मायके तो जा नहीं सकती अब अगर यहां से जाएगी भी तो कहां जाएगी अकेली औरत जात  शिकार की तरह होती है जैसे ही घर से बाहर निकली लोगों को पता चल जाए कि इसके आगे पीछे कोई नहीं है फिर तो उसके नोचने के लिए इतने भेड़िए पड़ जाते हैं उसके शरीर के हाड़ मांस का भी पता नहीं चलता है।  उसकी दिल से आवाज आई रुक जाओ रजनी अब तुम्हारा यहां रुकने में ही भलाई है। 



 अब उसके मन में सकारात्मक सोच आने लगी और सोचने लगी अगर मेरी शादी किसी कुंवारे लड़के से भी हो जाती तो यह क्या गारंटी है कि वह मुझे बहुत प्यार करता प्यार तो मुझे अंकित भी करते हैं उनकी मां और बाबूजी भी मुझे पसंद करते हैं रही बात बच्चों की तो उन्हें मैं अब गांव नहीं जाने दूंगी क्योंकि इस दुनिया में मां का दर्जा बहुत बड़ा होता है मैं उन बच्चों की मां हूं चाहे सौतेली माँ ही सही बड़े होंगे तो बच्चे मुझे कभी माफ नहीं करेंगे। 

 रजनी ने बच्चों से कहा अब कोई नहीं जाएगा गांव सब यही रहेंगे तुम्हारे दादा दादी भी यही रहेंगे हमारे साथ। 

अंकित के बच्चे कुछ दिन तो रजनी से सहमे सहमे रहते थे लेकिन कुछ दिनों के बाद लग ही  नहीं रहा था कि वह रजनी के बच्चे नहीं हो रजनी के आगे पीछे घूमने लगे रजनी को भी मां होने का एहसास होने लगा जब बच्चे रजनी को मां पुकारते तो उसका दिल प्यार से भर जाता।  मां शब्द ही ऐसा होता है जिसमें प्यार और सम्मान छुपा होता है। रजनी समझ गई थी कि जीवन में जो खुशी प्यार और अच्छे रिश्ते से हासिल किया जा सकता है वह बेशुमार धन दौलत या ऐशों आराम से भी नहीं मिल सकती।  अंकित और उसके घरवाले रजनी को बहुत प्यार करते थे वह इस घर की बहू कम बेटी ज्यादा बन गई थी

रजनी को अब कभी यह एहसास ही नहीं हुआ कि वह इस घर की दूसरी बहू है। रजनी उन बच्चों के प्यार में इतनी कायल हो गई उसने अंकित से कह कर यह फैसला ले लिया कि वह अपने कोख से बच्चा नहीं जन्म देगी नहीं तो अपने बच्चे के लालच में इन बच्चों के साथ शायद न्याय ना कर पाए इनके साथ सौतेला व्यवहार ना हो इस वजह से उसने यह फैसला लिया। 

 लेकिन रजनी की सास  ससुर ने रजनी को समझाया नहीं बेटी हर औरत को जीवन में मां बनना चाहिए अगर ईश्वर की मर्जी से मां नहीं बने उसका तो हम कुछ नहीं कर सकते लेकिन कोशिश जरूर करना चाहिए एक औरत तभी  पूर्ण होती है जब उसे के कोख  से एक जिंदगी जन्म लेता है। 

 कुछ सालों  बाद  रजनी ने भी एक लड़के को जन्म दिया।  और उसके बाद उसने अपना ऑपरेशन करा लिया रजनी अंकित के पहली पत्नी के बच्चे और अपने बच्चे के साथ हंसी-खुशी अपना जीवन बिताने लगी। 

दोस्तों आप कमेंट करके अपने विचार रख सकते हैं कि रजनी की मां ने जो कदम उठाया उसके लिए रजनी को अपनी मां को स्वार्थी मां कहना क्या सही है आप इस बारे में क्या सोचते हैं अपनी राय जरूर दें।

लेखक : मुकेश पटेल ( संस्थापक व संपादक – बेटियाँ डॉट इन)

6 thoughts on “स्वार्थी माँ – मुकेश पटेल :Moral stories in hindi”

  1. सब ठीक है लेकिन सौतेला रिश्ता सौतेला ही रह जाता है कभी अपना नहीं होता। मेरे निजि जीवन में इस त्रासदी को दो बार झेला है।

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