बड़ा भाई भी पिता समान होता है : Dr. Ashokalra

मनोज ऑफिस से आया और सोफे पर पसर गया। लिविंग-रूम में माँ के साथ बड़े भैया बैठे कुछ बात कर रहे थे। मनोज ने आँखें बंद कर लीं। पापा के गुज़र जाने के भूचाल के बाद बड़े भैया और भाभी ने ही माँ, स्नेहा और मनोज को सम्भाला था। मनोज से बड़ी स्नेहा के विवाह … Read more

विश्वास बनाम सहयोग – कंचन श्रीवास्तव 

चरण स्पर्श भइया लोक सेवा आयोग से मेरा चयन हो गया , बहुत जल्द ज्वाइनिंग लेटर हाथ में होगा ,  मैं सोचता हूं ज्वाइन करने से पहले एक बार आप लोगों से मिल लूं। का मैसेज पढ़ा जितना तो रवि फूला नहीं समाया,उससे ज्यादा आंसुओं की अविरल धारा में तन मन से भीग गया। और … Read more

भोज – रवीन्द्र कान्त त्यागी 

भोज – रवीन्द्र कान्त त्यागी  “उठ जाओ जी। आज तो तड़के तड़के आप मंगला के लिए लड़का देखने जाने वाले थे। दूर जाना है। देर नहीं हो जाएगी।” “रात भर नींद ना आई मंगला की माँ। क्या करूँ लड़का देखकर। सोचा था जब गेहूं की फसल उठेगी तो दो पैसे हाथ में आएंगे मगर। हाय … Read more

बड़ा भाई तो पिता समान होता है ना – सुषमा यादव

जी हां सही कहा आपने,, बिल्कुल होता है,ना लेकिन सिक्के के दो पहलू भी होते हैं,,हैं ना,,, तो चलिए,,हम आज आपको सिक्के का दूसरा पहलू भी दिखातें हैं,,,,,,, वो छ: भाई थे,,, सबसे बड़े,, श्री माधव जी,, सबसे छोटे,श्री सहदेव जी,,, कहानी, सबसे बड़े और सबसे छोटे भाई के इर्दगिर्द घूमेगी, इसलिए बस इन्हीं का … Read more

वापसी ( रिश्तों की) भाग–4 – रचना कंडवाल

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि बरखा अपनी बेटी सुनिधि को उसके पिता के बारे में बताती है। कि बाइस साल पहले उन दोनों के बीच क्या हुआ था?? उनके अलग होने की वजह क्या थी?? सुनिधि पूछती है कि क्या आपने उनसे दोबारा मिलने की कोशिश की?? अब आगे– नहीं कभी नहीं। वो सिहर … Read more

बेटी की कीमत – गोविन्द गुप्ता

हरियाणा की एक छोटी सी बस्ती में एक सेठ थे रघुवर सेठ , सैकड़ो बीघे खेती के मालिक ओर चार ट्रैक्टर ,सफारी गाड़ी बड़ी बड़ी मूंछे थी सेठ जी की, खुद का बड़ा खानदान था 5 भाई और 5 बहने सभी सम्पन्न कोई कमी नही  एक दिन सभी एक पास बैठे तो सभी भाई बहन … Read more

रक्त लाल ही होता है, – गोविन्द कुमार गुप्ता

रोशनलाल एक सम्पन्न व्यक्ति थे भरा पूरा परिवार 6 भाई 3 बहन व उनके बच्चे साथ ही प्रतिष्ठा में भी कोई कमी नही थी, खेती के साथ ही व्यापार भी था जो उनके दो बेटे संजय व अजय देखते थे, रोशनलाल खेती में ही व्यस्त रहते थे , सभी बहनो की शादी हो चुकी थी … Read more

विदाई का मंडप – डा.मधु आंधीवाल

आज मां की विदाई का मंडप सजाया जा रहा था । अरे सब सोच रहे होंगे ये कैसे संभव है। नमिता हां यही तो है कनिष्क, शौर्य,रुचि,संवेदना,चारू,तोषी की यशोदा मां । उसने समाज का दंश झेला था  क्योंकि यह किन्नर थी । कोई रात के अन्धेरे में इसे कचरे के ड्रम में कपड़े में लपेट … Read more

अतृप्त.  (हॉरर) – सोनिया निशांत कुशवाहा

जून महीने की तपती दुपहरी में तकरीबन 2 बजे दीप्ति के दरवाजे पर दस्तक हुई। घर में सभी लोग खा पीकर आराम फरमा रहे थे। कूलर पूरी ताकत से गरम हवा की लपटों को ठंडी शीतल बयार में बदलने का प्रयास कर रहा था फिर भी नाकाम सा नज़र आ रहा था। बाहर भीषण लू … Read more

एक अनजाना रिश्ता – बालेश्वर गुप्ता,

अरे छोटू, एक आइसक्रीम तो लाकर दे.    तब के इलाहाबाद और आज के प्रयाग में मैं एक मध्यम श्रेणी के होटल में रुका हुआ था. एक लगभग 13 वर्ष का बालक बड़ी ही फुर्ती से वहाँ काम करता रहता था.    अचानक वह मेरे पास आया और बोला साहब बुरा ना माने तो एक बात बोलू? … Read more

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