बड़ा भाई तो पिता समान होता है ना – सुषमा यादव

जी हां सही कहा आपने,,

बिल्कुल होता है,ना

लेकिन सिक्के के दो पहलू भी होते हैं,,हैं ना,,,

तो चलिए,,हम आज आपको सिक्के का दूसरा पहलू भी दिखातें हैं,,,,,,,

वो छ: भाई थे,,, सबसे बड़े,, श्री माधव जी,, सबसे छोटे,श्री सहदेव जी,,, कहानी, सबसे बड़े और सबसे छोटे भाई के इर्दगिर्द घूमेगी, इसलिए बस इन्हीं का नाम दे रही हूं,,, क्यों कि बीच के चारों भाई पहले ही अलग हो चुके थे,,,

इनके माता पिता का पहले ही देहांत हो चुका था,, बड़े भाई कानपुर में रेल्वे में नौकरी करते थे, छोटे भाई सहदेव गांव में ही रह कर पढ़ाई करने के साथ,, खेती भी करवाते और दोनों के परिवार की देखभाल भी करते थे,, दोनों भाइयों में बहुत ही प्रेम था,,पूरे गांव में दोनों की मिसालें

दी जाती थी,,, वो बड़े भाई को भगवान् राम के तुल्य मानते थे, और बड़े ,छोटे भाई को लक्ष्मण की तरह स्नेह करते,,,इस तरह दोनों एक दूसरे के प्रति पूर्ण रूप से निष्ठावान और समर्पित थे



वो आराम से अपनी नौकरी करते और ये घर, परिवार,खेत खलिहान की जिम्मेदारी संभाल रहे थे,,

बच्चे बड़े हुए,,,छोटे भाई ने उनके

दोनों बेटे और एक बेटी की धूम धाम से शादी किया,,भाई आते , और औपचारिकता निभाते और थोड़े बहुत रूपए देते और वापस चले जाते,,

इधर छोटे भाई की नौकरी भी सतना जिले में लग गई,, फिर भी वो अपनी नौकरी और गांव की उनके बच्चों अपने बच्चों की पूरी जिम्मेदारी भली भांति से निभा रहे थे,, भाभी,बहू बेटा भी सतना में भी आते जाते,, पत्नी सबकी खातिरदारी बड़े ही लगन से करती,,आखिर बड़े भाई पिता जैसे होते हैं ना,,,

धीरे धीरे छोटे भाई का भातृ प्रेम

चरम सीमा पर पहुंच गया,, परिवार बड़ा हो गया था,, सबका ख़र्चा इन्हें ही उठाना पड़ रहा था, बड़े भाई ने घर आना भी छोड़ दिया और पैसे भी देना बंद कर दिया,, इसी बीच  सहदेव जी ने

दूसरे गांव में अच्छा बड़ा खेत

ख़रीद लिया,, किश्तों में उसका भी पैसा देना पड़ता था,,,

छोटा भतीजा फौज में भर्ती हो गया,, बड़ा भतीजा अपनी पत्नी को लेकर अलग रहने लगा,,

अब बड़े भाई सेवा निवृत्त होकर घर आ गए,,सब बहुत खुश,अब भैया सब संभालेंगे ,अब मेरी बेटी की शादी भी भैया धूमधाम से करेंगे,, मुझे चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,,,,

पर,,,,, , भैया ने कहा कि ,,हम बंटवारा चाहते हैं,, घर,खेत सबका,,, छोटे भाई  गश खाकर गिर पड़े,,, भैया, आप मज़ाक मत

करिये,, भैया ने कहा,, मैं मज़ाक नहीं कर रहा हूं,,जा रहा हूं पंचायत बुलाने,, एक , एक चीज़ का बंटवारा होगा,, और गुस्सा हो कर अपनी पत्नी को लेकर बड़े बेटे के घर चले गए,,,

छोटे भाई ने बहुत मनाया,हाथ जोड़े, पैरों पर गिर पड़े,, भैया, मैं बर्बाद हो जाऊंगा,, मेरी बेटी की शादी तय हो गई है, मेरे पास कुछ भी जमा पूंजी नहीं है,,मैं क्या करूंगा, पर उन्होंने कुछ नहीं सुना, उनकी पत्नी ने रोते हुए कहा कि,,जब मैं आपको समझा



रही थी, तो आप मुझे मारते और कहते ,, तुम हमारे दोनों भाइयों के बीच फूट डालना चाहती हो,,अब हम क्या करेंगे,, वो तो आपका उपयोग कर रहे थे,वो बोले कि, मैंने तुम्हें बताया नहीं,, मैंने जो नई जमीन खरीदा था उसमें से आधा भैया के नाम कर दिया है,,कह कर, अर्ध मुर्छित होकर पलंग पर गिर पड़े,, मां बच्चे सब घबरा कर रोने लगे,,

पंचायत बैठी, सबने बड़े भैया को बहुत समझाया,,पर वो नहीं माने, छोटे से पूछा तो, बोले,जो जो, भैया, मांगे,सब देते जाइए,, और पिता समान बड़े भाई ने इसका खूब फायदा उठाया और,सब अच्छे अच्छे खेत , बढ़िया बढ़िया, आमों के पेड़ ,घर,घर के सब बढ़िया सामानों पर कब्जा जमा लिया,,छोटे भाई एक शब्द नहीं बोले, उन्हें बहुत बड़ा आघात लगा था,,वो संज्ञा शून्य हो गये थे

, सबके साथ वो अपने कार्य स्थल

सतना आ गये,, बेटी के नाना जी ने नातिन की शादी करवाई,, पर बड़े भाई के परिवार से कोई नहीं आया,, उनके बेटे , बेटी की शादी धूमधाम से कराने वाले की इकलौती बेटी की शादी अत्यंत सादगी से हुई,,  ,,,जब छोटा भाई सेवा निवृत्त होने के बाद गांव गये, अपनी नई जमीन पर खेती कराने, तो  फौजी भतीजा बंदूक लेकर आया,ये सब हमारी ज़मीन है,,वो बोले, नहीं,आधी भैया के नाम कर दिया है , आधी मेरी है,

हंसने लगा और लेखपाल को बुला कर खेत के पेपर दिखाया, उसमें सब जमीन माधव और महादेव के नाम से थी,,, सब लोग

आश्चर्य चकित रह गए, ये कैसे हो गया,,,, दरअसल,, बड़े भाई के बड़े बेटे का नाम महादेव था, पहले इन लोगों ने माधव के साथ महादेव का नाम जोड़ा और बाद में फौजी बेटे ने लेखपाल से मिलकर सहदेव,को महादेव में

बदल कर पूरी जमीन में कब्जा कर लिया,,,, जबकि वो् बड़ा बेटा और बहू पहले ही खत्म हो गये थे,, ,, अब आगे की खबर,,,,,,

बड़े भैया, भाभी, को उनके बेटे बहू ने बाहर निकाल दिया,उनका अंतिम समय बहुत ही दुखमय रहा,,, छोटे भाई ने ही उन दोनों की सेवा की, अंतिम क्रिया संपन्न कराई,, फौजी बेटा ने नाजायज तरीके से जो जमीन  हथिया ली,आज उसकी कीमत लाखों में है,,, उनकी पत्नी भी बहुत जल्दी एक ही बेटे को जन्म दे कर खतम हो गई, और अब उस इकल़ौते बेटे के भी कोई संतान नहीं है,, फौजी भी एक कोने में पड़े शायद

अपनी करनी पर रोते हैं,,

छोटे भाई के बच्चे, नातिन,नाती

सब ऊंची ऊंची पोस्ट पर हैं,वो भी

अपना सुखमय जीवन बिता रहे हैं,,

पर अब भी वो बातें याद करके अश्रुपूरित नेत्रों से कहते हैं,,,

भैया ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया,,

,,, बड़ा भाई तो पिता ही जैसा होता है ना,,, मैंने तो उन्हें अपना पिता ही माना था ना,

क्यों, आखिर क्यों,,,?????

सुषमा यादव, प्रतापगढ़

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