समय का पहिया कब , कैसे , घूम जाए कोई नहीं जान सकता !! – स्वाती जैंन : Moral stories in hindi

संजना बहुत सारी शापिंग करके बाजार से खुशी खुशी लौट ही रही थी कि , रिक्शा से बाहर उसकी नजर एक आदमी पर पड़ी , जिसे देख वह चौंक गई और उसने रिक्शा वाले से कहा – भैया !! ऑटो रोकना जरा !!

रिक्शा वाला ऑटो रोकता उससे पहले ही एक कार आई और वह आदमी उसमें बैठकर चला गया !!

संजना ने कार का नम्बर देखने की कोशिश की मगर कार इतनी रफ्तार से उसके सामने से निकली कि वह ना तो उस कार चलाने वाले व्यक्ति को देख पाई और ना ही कार का नम्बर देख पाई !!

संजना ऑटो से उतरकर सीधे अपने ससुर जी के कमरे में गई और उनकी हार लगी फोटो को एकटक घूरने लगी और मन ही मन बुदबुदाई ससुर जी का अंतिम संस्कार तो हमने अपने हाथों से किया हैं , फिर वह बाजार में दिखा वह व्यक्ति कौन था ?? ससुर जी की हुबहु शक्ल जैसा वह आदमी कौन था ?? सोच सोचकर संजना का बुरा हाल था !!

थोड़ी देर में संजना का पति करण भी ऑफिस से आ गया और उसने संजना से चाय बनाने कहा !!

संजना का दिमाग तो कहीं ओर ही चल रहा था जिस वजह से संजना बहुत खोई खोई थी !!

करण ने भी यह बात नोटिस की , वह बोला संजना क्या बात हैं ?? कहां खोई हो ??

संजना बोली वो करण …आज मैंने बाजार में हुबहु बाबुजी की शक्ल का व्यक्ति देखा , मैं उनके पास जाती उससे पहले वह एक कार में बैठकर चले गए !!

यह सुनकर करण एक तरफ तो बहुत खुश हो गया और दूसरी तरफ आश्चर्यचकित !!

खुशी इसलिए कि बाबुजी जिंदा हैं और हैरानी इसलिए कि यह कैसे हो सकता हैं ??

करण को यूं असमंजस में देख संजना ने अपने ही शब्दों को वापस ले लिया और बोली – अरे करण , ज्यादा मत सोचो हो सकता हैं मेरा वहम हो !!

संजना ने करण को तो जैसे तैसे दिलासा दे दिया मगर उसकी रात की नींद उड़ चुकी थी !!

आखिर वह शख्श क्या उसके ससुर जी थे और अगर वे उसके ससुर जी थे तो वह घर वापस क्यों नहीं आए ??

संजना अतीत के गलियारे खो गई जब वह इस घर में शादी करके आई थी !!

सास तो घर में थी नहीं , उसके ससुर जी घनश्याम जी का ही राज चलता था घर में !!

करण जब छोटा था तब घनश्याम जी की पत्नी सरला जी उनको छोड़कर भगवान को प्यारी हो चुकी थी !!

घनश्याम जी अपनी पत्नी से इतना प्यार करते थे कि घरवालों के लाख मनाने के बावजूद उन्होंने दूसरी शादी नहीं की थी क्योंकि वे करण के लिए सौतेली मां नहीं लाना चाहते थे !!

उन्होंने करण को मां और पिता दोनों का प्यार दिया था इसलिए करण भी अपने पिताजी को भगवान का दर्जा देता था !!

करण अपनी पत्नी संजना से भी बहुत प्यार करता था मगर अपने पिताजी की भी हर बात सर आंखों पर रखता था !!

संजना जब शादी करके आई तब भी घनश्याम जी ने घर की सारी जिम्मेदारियां अपने हाथ में ही रखी और संजना को बच्ची समझकर उस पर जिम्मेदारियों का भार नहीं डाला , जिस बात पर संजना को धीरे धीरे  गुस्सा आने लगा !!

घनश्याम जी का रसोई में आकर कुछ भी सामान को हाथ लगाना संजना को बहुत अखरने लगा !!

एक बार घनश्याम जी रसोई में आकर बोले बहू , आज सूजी का हलवा खाने का बड़ा मन कर रहा था , सूजी कहां पड़ी हैं तुम निकाल कर दे दो , मैं हलवा बना लेता हूं , करण को टिफिन में रोटी सब्जी के साथ आज हलवा भी भर देना !!

करण को भी बहुत पसंद हैं हलवा , देखते ही खुश हो जाएगा !!

संजना बोली बाबुजी , पहली बात तो आप किसकी इजाजत से रसोई में आए ?? अब मैं इस घर की बहू हूं और किसको क्या खाना हैं और कितना खाना हैं , इन सबका ध्यान मैं रखूंगी आप नहीं समझे और बार बार मुंह उठाकर रसोई में मत चले आईए !!

आपकी अपनी दुकान हैं बस वहां जाकर बैठिए !!

घनश्याम जी बोले बहू , मैने तुझे हमेशा बेटी  माना हैं और माफ करना बहुत सालों से दुकान के साथ साथ रसोई और करण को भी मैंने ही संभाला है तो ध्यान ही नहीं रहा कि अब इस घर और रसोई में मेरा आना तुम्हे खटक भी सकता हैं !!

करण ऑफिस के लिए टिफिन लेने रसोई में आ ही रहा था कि उसने बाबुजी और संजना का सारा वार्तालाप सुन लिया !!

करण संजना से बोला संजना , यह कौन सा तरीका हैं बाबुजी से बात करने का ?? बाबुजी से माफी मांगो !!

संजना को बाबुजी पर तो गुस्सा आता ही था अब करण पर भी आने लगा और वह बोली मैं माफी नहीं मांगूंगी , मैं तो बस इतना जानती हू कि अब रसोई , घर और तुम पर मेरा अधिकार बाबुजी से ज्यादा हैं !!

घनश्याम जी उस दिन आंसूओं के घूंट पीकर रह गए क्योंकि जिस बहू को उन्होंने हमेशा अपनी बेटी माना , उस पर जिम्मेदारियों का बोझ भी ज्यादा नहीं डाला कि कहीं उसे तकलीफ ना हो जाए , वहीं बहू आज उनसे इतनी ऊंची आवाज में बात कर रही थी !!

संजना की बात सुनकर करण भइक गया और बोला संजना , मेरे बाबुजी मेरे भगवान हैं और मेरे भगवान के खिलाफ मैं कुछ नहीं सुन सकता !!

घनश्याम जी करण को शांत करते हुए बोले , करण चुप हो जा बेटा !! बहू पर गुस्सा मत कर !! 

सही ही तो कह रही हैं बहू , वह घर ,रसोई सब कुछ अच्छे से संभाल रही है , तेरा ध्यान भी अच्छे से रख रही हैं फिर मुझे इन सब चीजों के बीच में नहीं पड़ना चाहिए !!

आज से मैं कभी घर में किसी भी काम को लेकर दखल अंदाजी नहीं करूंगा !!

बाबुजी की यह बात सुनकर करण को बहुत दुःख हुआ और वह बुझे मन से ऑफिस के लिए निकल गया !! रात को जब वह ऑफिस से घर आया तब भी वह संजना से ठीक से बात नहीं कर रहा था !!

करण अपने बाबुजी से इतना ज्यादा प्यार करता था कि संजना को उन दोनों के प्यार से भी जलन होने लगी !!

संजना करण को पुरा अपने बस में रखना चाहती थी मगर करण हर बात में घनश्याम जी की ही बात सुनता !!

संजना ने धीरे धीरे सारी चीजों पर कब्जा कर लिया था ताकि वह घनश्याम जी का वर्चस्व पूरी तरह मिटा सके मगर पति करण को अब तक अपने बस में ना कर पाई थी !!

करण के सिर से पिता का भूत जाने कब उतरेगा सोच सोचकर संजना मन ही मन कुढ़ती !!

एक दिन अचानक घनश्याम जी बाथरूम में फिसल गए और उनकी कूल्हे की हड़डी टूट गई !! उन्हें जल्दी जल्दी डॉक्टर के पास ले जाया गया तो डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी !!

घनश्याम जी का ऑपरेशन तो हो गया मगर ऑपरेशन के बाद उन्हें दो महिने बेड रेस्ट की सलाह दी गई क्योंकि बुढापे में लगी चोट जल्दी नहीं भरती और अगर इस समय ध्यान नहीं दिया गया तो इंसान हमेशा के लिए बिस्तर पकड़ सकता हैं !!

घनश्याम जी को घर लाया गया !!

संजना ने घनश्याम जी के लिए एक केयर टेकर को लगा दिया जो उन्हें खाना पीना कराए और उनका सब काम करें !!

थोडे दिन तो सब ऐसे ही चलता रहा मगर एक दिन अचानक करण जिस ऑफिस में काम करता था वह ऑफिस बंद हो जाने से करण की नौकरी चली गई !!

करण बहुत चिंता में आ गया , उसने घर आकर संजना को सब बताया तो संजना भी चिंतिंत हो गई !!

थोड़े दिन बाद घर का खर्चा निकालना भी भारी पड़ने लगा !!

करण संजना से बोला – संजना मुझ पर थोड़ी सी मेहरबानी करो बस एक दो महीने के लिए थोड़ा एडजस्ट कर लो अभी मुझे नहीं पता कि मुझे नौकरी ढूंढने में कितना समय लगेगा अगर ऐसे में मैं केयर टेकर और काम वाली दोनों को रखता हूं तो हम लोग मैनेज नहीं कर पाएंगे क्योंकि मेरे पास ज्यादा सेविंग्स भी नहीं है पापा के इलाज में

पहले ही सारे पैसे खर्च हो गए इस पर संजना करण का साथ देने के बजाय भड़कती हुई बोली मैंने तो तुमसे पहले भी कहा था जब तुम अपने बूढ़े बाप पर पैसे लुटाए जा रहे थे मैंने तब भी कहा था कि इन पैसों को बचा कर रखो कुछ नहीं होगा अरे इस उम्र में इंसान का मरना तो तय ही है आज नहीं तो कल मरना तो है ही फिर भी तुमने मेरी एक ना सुनी और अपने बाप के ऑपरेशन पर इतने पैसे उड़ा दिए !! करण अब थोड़ा गुस्सा होते हुए बोला यह तुम क्या बकवास कर रही हो मैं तुम्हें अपने मजबूरी भरे हालात बता रहा हूं और तुम तुम मुझे बातें सुनाने में लगी हो और आखिर तुम मुझे सुना भी किस बात के लिए रही हो

इस बात के लिए कि मैं अपने पिता जी के इलाज के लिए पैसे क्यों दिए तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है शायद तभी तुम इतनी बेवकूफी भरी बातें कर रही हो अरे मैं उनका इकलौता बेटा हूं अगर मैं उनके लिए यह सब नहीं करूंगा तो कौन करेगा और जहां तक बात रही मौत की तो वह तो एक दिन सबको ही आनी है और यह बात मैं भी अच्छे से जानता हूं इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं तुम्हें जहर देकर मार डालूं या फिर अगर तुम्हें कोई मारने की कोशिश कर रहा हो तो मैं तुम्हें बचाने की कोशिश भी ना करूं बिल्कुल वही मैंने अपने पिताजी के लिए किया मेरा धर्म था , जिस पिता ने मुझे अब तक संभाला , तुम चाहती थी कि मैं उनके इलाज के लिए पैसे ना खर्च करूं लेकिन तुम यह सब नहीं समझोगी !! संजना बोली ठीक है मुझे फालतू में ज्ञान मत बांटो बस इतना बताओ कि क्या कहना चाहते हो साफसाफ शब्दों में कहो संजना ने भी थोड़ा तेजी में कहा तो करण -ने बोला साफसाफ सुनना चाहती हो तो ठीक है मैं चाहता हूं कि एक दो महीने के लिए तुम खुद से पापा का ध्यान रख लो या फिर घर के सारे काम संभाल लो क्योंकि हमें अगले महीने के लिए भी पैसे बचा कर रखने हैं अगर मुझे नौकरी नहीं मिल पाई तो बड़ी परेशानी हो जाएगी इसलिए थोड़ा सोच कर चलना पड़ेगा और फिर तुम्हें कुछ करने के लिए नहीं कह रहा हूं बस घर के ही तो काम है और पापा का ध्यान रखना है !! संजना मुंह नाक सिकोड़ते हुई बोली अच्छा बस घर का काम और  तुम्हारे पापा का ध्यान रखना है तुम ऐसे तो खुद हो और ऐसे ही तुमने मुझे नौकरानी बना रखा है बस पूरे दिन कामों में लगे रहो और अभी तक जो समय मिल जाता था आराम करने का अब वह भी नहीं मिलेगा !!

 

संजना की इच्छा तो नहीं थी मगर मजबूरी इंसान से सब कुछ करवा ही देती हैं !!

संजना ने बाई और केयर टेकर को थोडे दिन की छुटी दे दी !! घर का काम काज , साफ सफाई तो संजना जैसे तैसे कर लेती मगर उसे घनश्याम जी का काम करने में बहुत गुस्सा आता था !!

करण बेचारा रोज यहां वहां के ऑफिसों में इंटरव्यू देने जाता , हर जगह हांथ पांव मारता कि शायद कहीं तो वापस नौकरी लग जाए मगर हताशा के अलावा कुछ हाथ ना लगता !!

यहां घर पर बेचारे घनश्याम जी बहुत बार भूख प्यास से तडप उठते मगर संजना को उन पर बिल्कुल तरस ना आता !!

आज घनश्याम जी को बहुत जोरों की भूख लगी थी , वे अपने कमरे से बहू संजना को आवाज लगाने लगे और बोले बहू बहुत जोरो की भूख लगी हैं खाना दे दो , मुझे दवाई भी लेनी हैं !!

संजना रसोई से रोटी और सब्जी लाकर पटकते हुए बोली यह लो खा लो !! वहां बेचारा बेटा भूखा प्यासा काम के लिए यहां वहां भाग रहा हैं और इनको जब देखो खाना चाहिए , पेट हैं कि कुंआ क्या पता ??

संजना के यह शब्द घनश्याम जी को बार बार चूभ जाते मगर करण की खातिर वह सब कुछ सहन कर लेते , अपने बेटे से बहुत प्यार जो करते थे !!

संजना पहले से बदतमीज तो थी ही , अब ससुर जी की बीमारी की हालत में ओर ढीट हो गई थी , हर बात पर ससुर को झिड़क देती , ताने मारती , जब से केयर टेकर को छुट्टी दी थी तब से संजना का पारा हमेशा सांतवे आसमान पर रहता क्योंकि घनश्याम जी का सारा काम उसे जो करना पड़ता था !!

घनश्याम जी वैसे ही बेटे की नौकरी के लिए चिंतित थे और ऐसे में बहू की बड़बड़ से वे मानसिक तनाव में रहने लगे थे मगर एक दिन सब ठीक हो जाएगा , यही सोचकर वे जैसे तैसे दिन गुजार रहे थे और वार्कर से चलने का प्रयास भी करने लगे !!

थोडे दिनों में वे अपने पैरों पर चलने लगे मगर वार्कर की जरूरत अब भी पड़ती थी इसलिए धीरे धीरे वार्कर की मदद से अपने कदम बढ़ाते !!

आज संजना ने जब ससुर जी को वार्कर के साथ रसोई में खाना लेते देखा तो चिल्लाकर बोली बाबुजी इतने दिन पलंग पर रहकर परेशान किया आपने और अब चलने लग गए तो फिर रसोई में टपक पड़े , आपको कितनी बार समझाना पड़ेगा कि रसोई में कभी भी बेवक्त मत टपका करिए , जाईए यहां से बोलकर चिढ़चिढ़ाहट में संजना मार्केट के लिए निकल पड़ी !!

मार्केट में उसे उसके बचपन की सहेली गीता मिल गई !!

गीता और संजना इतने सालों बाद एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश हुए !!

गीता बोली संजना चल कहीं जूस सेंटर में चलकर बैठते हैं , यहां रास्ते में खड़े खडे बहुत बातें ना कर पाएंगे !!

संजना को भी गीता की बात सही लगी और दोनों सहेलियां पास ही के एक जूस सेंटर में जाकर बैठ गई !!

बातों का सिलसिला शुरू हुआ और दोनों ने अपनी सारी कहानी एक दूसरे के सामने खोलकर रख दी !!

संजना अपने ससुर से इतनी परेशान हैं यह सुनकर गीता बोली संजना तुझे एक धमाकेदार आईडिया देती हुं जिससे सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी !!

मैं भी मेरी सास से बहुत परेशान थी और मैंने उन्हें भी इसी तरह रास्ते से हटाया !!

गीता की सारी बात सुनकर संजना बोली गीता इसमें पकड़े जाने का बहुत डर हैं !!

गीता बोली अब तक मैं नहीं पकड़ी गई तो तू कैसे पकड़ी जाएगी ??

घर आकर संजना ने गीता की सीख पर काम करना शुरू कर दिया , दूसरे दिन वह रसोई में गैस की बटन चालू रखकर मार्केट चली गई , उसे पता था आदतन ससुर जी रसोई में आएंगे और लाईटर जैसे ही जलाएंगे ब्लास्ट हो जाएगा और ससुर जी नाम की बला हमेशा के लिए टल जाएगी लेकिन उसे याद आया कि वह कल भी इसी बात पर ससुर जी पर बहुत चिल्लाई थी इसलिए आज ससुर जी रसोई में शायद ना आए इसलिए आज मार्केट जाते हुए वह बोली बाबु जी आप खाना खाते वक्त अपनी दाल गर्म कर दीजिएगा , मुझे आने में आज देरी होगी !!

थोडी देर बाद घनश्याम जी अपनी दाल गर्म करने गए और ब्लास्ट हो गया !!

जब संजना घर आई और उसने देखा एक जली हुई लाश रसोई में पड़ी हैं और आग फैल चुकी हैं और सारे अलग बगल के लोगो ने फायर ब्रिगेड की गाडी मंगवा दी थी , जिसने आग बुझाई थी !! संजना  झूठ मूठ का रो रोकर अगल बगल के लोगों की सांत्वना लेने लगी ताकि किसी को उस पर शक ना हो !!

करण जब घर आया तो पुलिस , फायर ब्रिगेड की गाडी और अपने घर के आसपास जब लोगों का जमावाडा देखकर करण हतप्रभ रह गया !!

इतने महिनों के बाद आज कहीं जाकर उसकी नौकरी लगी थी मगर यह खुशखबरी सुनने उसके बाबुजी इस दुनिया में नहीं रहे थे यह देखकर वह जोर जोर से रोने लगा !!

संजना ने करण को हिम्मत बंधाई और करण के साथ मिलकर दुःख व्यक्त करने लगी !!

संजना मन ही मन तो बहुत खुश हो रही थी , आखिर ससुर जी के खिलाफ उसने जो षडयंत्र रचा था वह काम कर चुका था और किसी को शक भी नहीं हुआ था !!

सभी ने मिलकर बाबुजी का दाह संस्कार किया और धीरे धीरे अब करण भी नार्मल हो गया था , उसकी जिंदगी में बाबुजी की कमी तो कोई पूरी नहीं कर सकता था मगर होनी को कौन टाल सकता हैं यह सोचकर करण अपने मन को समझा देता !!

संजना करण और अपने बेटे के साथ खुशी खुशी रह रही थी कि आज उसे बाबुजी की शक्ल वाले उस इंसान का चेहरा बार बार आंखों के सामने आ रहा था !!

अगर वह बाबुजी होते तो वह घर आते यही सोचकर संजना उस रात सो पाई !!

थोडे दिनों बाद एक अखबार में करण ने अपने बाबुजी की फोटो देखी जिसमें उसके बाबुजी दो बच्चों को प्राइज दे रहे थे !!

करण ने जल्दी से संजना को आवाज लगाकर वह फोटो दिखाई तो संजना बोली हां यही वह शख्श हैं जिसे मैंने उस दिन बाजार में देखा था !!

करण बोला मुझे इस जगह अभी जाना होगा संजना , हो ना हो यह हमारे बाबुजी ही हैं !!

संजना को तो जैसे सांप सूंघ गया हो वह कुछ बोल ही नही पाई !!

करण की खुशी उसके लिए कितनी घातक हैं यह बात वहीं जानती थी !!

करण अखबार में दिए गए पते पर पहुंचा तो देखा वह एक अनाथ आश्रम था, वहां के संचालक को अपने बाबुजी की तस्वीर दिखाकर करण बोला मुझे इनसे मिलना हैं !!

संचालक बोला यह तो बगल वाले वृद्धाश्रम में रहते हैं , हमने इन्हें यहां खेल में जीते हुए बच्चों को प्राइज देने आमंत्रित किया था !!

करण जल्दी जल्दी बगल वाले वृद्धाश्रम पहुंचा और वहां जाकर वहां के संचालक को फिर तस्वीर दिखाकर बोला मुझे इनसे मिलना हैं !!

संचालक बोला यह तो उनकी बेटी के साथ कार में बाजार गए हैं !!

करण सोचने लगा बेटी …. मगर मैं तो उनका इकलौता बेटा हूं !!

करण वही बेंच पर बैठकर उनका इंतजार करने लगा !!

थोडी देर बाद वृद्धाश्रम के बाहर एक कार रुकी जिसमें से एक उन्नीस बीस साल की लड़की और वह बुर्जुग व्यक्ति बाहर निकले !!

करण उन्हें देखकर उनके गले से लग गया और बोला बाबुजी , आप जिंदा हैं !!

एक पल घनश्याम जी भी बेटे को देखकर खुश हो गए और उसे गले से चिपकाए खड़े रहे मगर दूसरे ही पल उन्होंने करण को अपने से दूर किया और बोले हो गया तुम्हारा और तुम्हारी पत्नी का नाटक या ओर भी ड्रामा बाकी हैं अभी ??

करण बोला मैं कुछ समझा नहीं बाबुजी !!

घनश्याम जी बोले – तुम लोगों ने तो मुझे उपर पहुंचाने का पुख्ता प्लान बनाया था मगर उस दिन मेरे बचपन का दोस्त घर मुझसे मिलने आया था , और वह बोला आज मैं तेरे लिए रसोई से खाना लेकर आता हूं !!

इतने सालों बाद वह मुझसे मिलने आया था घर में दूध नहीं था तो मैंने सोचा मैं बगल वाली दुकान से दूध लेकर आता हूं ताकि उसके लिए चाय बना पाऊं !!

मैं दूध लेने गया था मगर वहां दुकान मालिक ना होने के कारण मुझे बहुत देर हो गई और मैं जब दूध लेकर घर पहुंचा तो संजना को किसी से फोन पर बात करते सुना तुम्हारा प्लान काम कर गया , बुडढा टपक गया और वह हंसने लगी !!

मैं वहां से दबे पांव निकल आया !!

मुझे मेरे दोस्त के लिए बहुत अफसोस हो रहा था मगर उसके आगे पीछे कोई ना था , ना बेटा ना बेटी जिसे मैं उसके मरने की खबर देता !!

बहू के मुंह से वह शब्द सुनकर मुझे लगा कि शायद तुम भी उससे मिले हुए हो !!

यह जो लड़की मेरे साथ खड़ी हैं यह हमारे वृद्धाश्रम के मालिक की बेटी हैं जो यहां के सभी वृद्ध लोगों का बहुत ख्याल रखती हैं !! एक तरफ ऐसे लोग होते हैं जो निस्वार्थ सभी की सेवा करते हैं और एक तरफ संजना जैसे लोग होते हैं जो किसी की जान तक ले सकते हैं !!

करण बोला बाबुजी , संजना ने आपको जान से मारने की कोशिश की हैं , यह बहुत बड़ा अपराध हैं , संजना ने जो किया हैं वह माफी के काबिल नहीं हैं अब मुझसे बुरा कोई ना होगा !!

करण अपने बाबुजी को लेकर घर पहुंचा !!

बाबुजी को सामने देख संजना के पैरों तले से जमीन खिसक गई और वह जैसे तैसे खुश होने का नाटक करते हुए बोली बाबुजी , आप जिंदा हैं !!

करण बोला हां संजना , बाबुजी को जान से मारने का प्लान करने से पहले तुम यह भूल गई कि तुमसे बड़ा प्लान करने वाला उपर बैठा हुआ हैं जिसे हम भगवान कहते हैं और उसकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता !!

संजना हकलाते हुए बोली क… क्या बोल रहे हो तुम ??

करण भी संजना की हालत देख भांप गया कि संजना ने ही बाबुजी को मारने की कोशिश की थी !!

उसने पुलिस में फोन किया और संजना को पुलिस के हवाले कर दिया !!

अब संजना जेल में अपने किए की सजा भुगत रही हैं !!

घर में करण और उसके बेटे को संजना की कमी खलती तो हैं मगर उसने जो किया वह माफी के काबिल भी तो नहीं !!

दोस्तों , कभी कभी लोग जाने अनजाने में इतना नीच काम कर देते हैं कि उसकी कोई माफी नहीं होती !!

 जेल में संजना के अच्छे व्यवहार की वजह से उसकी दो साल की सजा कम कर दी गई और उसे पांच साल की सजा कटवाकर घर भेज दिया गया !!

संजना घर तो आ गई मगर घर में कोई भी उससे बात करने तैयार नहीं था !!

भगवान ने जो रिश्ते बनाकर भेजे थे बस सब उसे जैसे तैसे निभा रहे थे !!

संजना सुधर चुकी थी मगर सभी को उसे अपनाने में समय लग रहा था !!

दोस्तों ,  कभी भी कोई कुकर्म करने से पहले दस बार सोच लें कि उसका अंजाम क्या होगा ??

आपको यह कहानी कैसी लगी ??

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आपकी सहेली

स्वाती जैंन

1 thought on “समय का पहिया कब , कैसे , घूम जाए कोई नहीं जान सकता !! – स्वाती जैंन : Moral stories in hindi”

  1. Bhut hi acchi aur prernadayak kahani thi…. Pta nhi apne budhe saas ya sasur ke sath aisa bartaav krne se phle koi bhi bahu ye kyu nhi sochti ki kal ko agar uski bhabhi bhi uski maa baap ke sath aisa kre to use kaisa lgega…. Aur phir kal ko uske bacche bhi bade ho kr uske sath yhi sab krenge to usse khud kaisa mahsoos hoga…..

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