रिश्ता तेरा मेरा  – बेला पुनीवाला

  तेरी मेरी बातें जो कभी ख़तम नहीं होती, 

 

 

 

            जब हम साथ थे, साथ में कॉलेज आना, जाना, वो बातें, वो मुलाकातें, कॉलेज में lecture bunk करके तेरे साथ सीढ़ियों पे बैठें रहना, इधर-उधर की बातें करना, सबको चिढ़ाना, मस्ती करते रहना, तेरे साथ रोज़-रोज़ कॉलेज की canteen में वड़ापाव और कचोरी खाने का मज़ा लेना, lecture में पिछली बेंच पे बैठ के चुप के से सो जाना,  lecture ख़तम होने के बाद मुझे सारे notes  देना, मुझ से रुठना, मुझ पे तेरा गुस्सा होना, एक दिन मुझ से रुठ कर मुझे अकेला छोड़ के चले जाना, फिर वापिस आके मुझे गले लगा के रोना, तेरे साथ long drive पे जाना और मेरे कंधो पे सिर रखकर आराम से सो जाना, आज भी मुझे अच्छे से याद है। 

        हर साल मेरी birthday पे मेरे मना करने के बावज़ूद भी मेरे लिए gift लाना, घर जाने में अगर कभी देर हो जाए  तो, माँ और पापा  को बातो बातो में समझा देना, मेरे लिए खुद पापा की खरी-खोटी सुनना और पीछे से मुस्कुराके चले जाना, घर आके फिर से तुमसे  फ़ोन पे बाते करते रहना, देर रात तक बरामदे में बैठ के चाँद सितारे गिनते जाना और हर रोज़ साथ-साथ नए सपने बुनना, मेरी पसंद की sandwich अपने हिस्से में से भी  मुझ को देना, मुझे खाते देख तेरा पेट भर जाना, आज भी मुझे याद है, 

          मेरी आँखों के आँसू तेरी पलकों से बह जाना, मेरे एक आँखों के इशारे से मेरे दिल की बात जान लेना, मेरी आँखों से अपने सपनो को देखना, हर पल मेरी कामियाबी की दुआ करना, मेरे सपने पुरे हो इस लिए अपने सपने मुझ से छुपाना, हर बूरी नज़र से मुझे आगाह करना, दोस्ताना इस हद तक निभाना की चोट मुझे लगे और दर्द तुम को हो, याद मैं करू तुम को और message या call तेरा सामने से आ जाए, बात जो मैं कहना चाहूँ तुम से, मेरे बताने से पहले तुम वही बात मुझ से पहले कह दो, कभी कभी सोचती हूँ, ज़रूर  कुछ अच्छा किया होगा मैंने पिछले जन्म में जो नसीबो से तेरे जैसा दोस्त पाया। 



          आज भी मुझे याद है, किसी लड़के से तेरा दिल्लगी करना, दूर से उसे देख तेरा वो मुस्कुराना, कभी प्यार का  इज़हार नहीं करना, एक दिन उसे सामने से आता देख मुझे लगा की वह आज इज़हारे महोब्बत करेंगा, मगर क्या किस्मत की उसने पास आके तुझ से नहीं मगर मुझ से इज़हारे इश्क़ किया, तेरा दिल टूट जाना, चुपके से अपना चेहरा दुप्पट्टे में छुपाके अपनी पलकों के आँसू छुपा देना, तेरा वह मेरे लिए एकबार फिर क़ुरबानी देना, मगर हम भी यारों के यार है, जो तेरे नसीब में नहीं, उसे हम अपना नसीब कैसे बना सकते है भला ? हम ने उस लड़के को मना कर दिया, केह कर की हमने तो दिल्लगी किसी और से कर ली, तुम ने आने में थोड़ी देर जो कर दी, वह लड़का सिर को झुकाए चला जाता है, मैं और मेरी दोस्त एक दूसरे की आँखों में देख हस पड़ते है और गले लग जाते है। दिल ये कहे  ए दोस्त,” तेरे लिए प्यार तो क्या ये जहाँ छोड़ दूँ।” तू जिस पे हाथ रख दे उसे तेरा बना दूँ, तेरे कदमो में सारे जहाँ की खुशियांँ लुटा दूँ, मेरा बस चले तो तेरे कदमो में  फूल तो क्या चाँद और तारे बिछादूँ । ” 

 

 

 

        जैसे जैसे दिन बितते गए, college की 3 साल ख़तम हुए, हमारी शादी तै कर दी गई, हमारी शादी के दिन हम उस से, गले मिल के बहोत रोए, की “अब ये दोस्ताना रहे ना रहे, अब हम फिर पहले की तरह मिले ना मिले। ” मगर क्या करते जाना तो था आख़िर  एक दिन, चाहे हमारी मर्ज़ी हो या ना हो। हम लड़कियों को माँ जन्म तो देती है, मगर  हमें उम्र भर कोई नहीं रख़ता, हमारी शादी कराके, मानो जैसे सब के सिर से एक  बोज कम हुआ हो, खैर, कि ये बातें कुछ ओर है, लेकिन शादी के बाद भी भले ही हम दोनों एक दूसरे से दूर हो गए, लेकिन हमारे दिल आज भी एक है, इसी वजह से हम दोनों अपने-अपने दिल से आज भी रोज़ बातें करते है। कभी-कभी सोचती हूँ, क्या नाम दूँ इस रिश्ते को ? माँ और पापा ने रिश्ते सँभालना सिखाया, टीचर ने पढ़ना लिखना सिखाया, पति ने प्यार करना सिखाया, तूने इन्ही सब को साथ में लेकर ज़िंदगी हस्ते-हस्ते जीना सिखाया,ये जो ” रिश्ता तेरा मेरा ” है, वह है ही कुछ ऐसा जो किसी की समझ में ना आ पाए। 

          तो दोस्तों, मानो या ना मानो, हम सभी किसी ना किसी तरीके से हर रिश्ते से किसी ना किसी स्वार्थ से जुड़े हुए है, जिसके बारे में हम कभी और बात करेंगे, पर मेरे तजुर्बे के मुताबिक, बिना स्वार्थ का अगर कोई रिश्ता हो तो वो है,   ”  दोस्ती “

 

 

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