ऐतबार ज़िन्दगी पर* – सरला मेहता

यश औऱ सुबोध बचपन के दोस्त तो हैं ही, दोनों के परिवार भी अड़ोसी पड़ोसी हैं। लँगोटिया यार व दाँतकाटी रोटी जैसी कहावतें इन पर सौ टके लागू होती हैं। किंतु किस्मत का खेल भी निराला है। सुबोध, वो तो बन गया साला… साहब लंदन का। और यश रह गया बिलासपुर में प्रोफेसर बनकर। वैसे … Read more

सफल दाम्पत्य ” – सीमा वर्मा

अपने सफल दाम्पत्य की यह कहानी अनुराधा ने अपनी सखी कविता को  सुनाई थी। जब उससे मिलने कविता ने हँसते हुए उसके पति मनोहर पर सीधा कटाक्ष करते हुए कहा,  ”  तुमने भी किस औघड़दानी को चुना है अनु !  कहाँ तुम और कहाँ खिचड़ी-फरोश दुकान मालिक ? अनु तनिक भी बुरा नहीं मान कर … Read more

कमरा नम्बर दस – पायल माहेश्वरी

बच्ची जो लगभग एक घंटा पहले ही इस दुनिया में आयी थी अचानक जोर से रोने-चिल्लाने लगी थी,कमरा नम्बर दस उसकी आवाज से गूँजने लगा । ” डाॅक्टर !! कमरा नम्बर दस में आशिमा ने एक बच्ची को एक घंटे पहले जन्म दिया हैं, वह बच्ची जोर-जोर से रो रही हैं और….” इतना कहकर नर्स … Read more

कर्मफल **** – बालेश्वर गुप्ता

घटना 1997 की है, एक कोलाहल, लोगो की भीड़ का जमावड़ा, आवाजें, मेरठ के स्पोर्टस स्टेडियम के सामने की सड़क पर एक 20वर्षीय नवयुवक बेहोशी की हालत में पड़ा है, उसके बराबर मे ही पड़ा है उसका स्कूटर. उस युवक को घेरे ही भीड़ है, पर उसे उठाने वाला कोई नही. पता नही ये सामुहिक … Read more

“कहानी” – Mithu Dey

पापा के चले जाने के बाद माया बिल्कुल अकेली हो गई थी ।        पूरे परिवार में सिर्फ़ उसके पापा ही उसे समझते थे । पापा नें उसके शामले  रंग के लिए कभी कुछ नहीं बोले। माँ प्यार तो करती है पर परिवार वालों के आगे चुप रहती थी  ।माँ भी क्या करे?उनका भी कोई दोस … Read more

सड़क के जानवर – गोविन्द गुप्ता

  कुंदन अपनी पत्नी नन्दिता और दो बच्चों के साथ कश्मीर घूमने निकला खुद की गाड़ी थी  स्टीरियो तेज आवाज में बज रहा था, मनमोहक गीतों की पूरी पेन ड्राइब आज सफर में आनन्द दे रही थी, कश्मीर की सुरम्य वादियों में केसर के खेतों में ,सेब के बागों में,वीडियो ,फोटो ग्राफी खूब हुई, पहलगाम … Read more

जीवंत – कंचन श्रीवास्तव

#बैरी_पिया कहते हैं जानवर भी पालो तो कुछ दिनों बाद उससे लगाव हो जाता है, फिर इंसान तो इंसान है कितना भी विचारों में विभिन्नता हो पर एक समय के बाद उसी में मजा आने लगता है ।और कब  जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर आ जाते हैं पता ही नहीं चलता। हां आप ठीक समझ … Read more

1965 का  प्रेम – सुनीता मिश्रा

उसका पत्र मिला मुझे, बहुत अवसाद भरा  था।उसने लिखा था–“मैं  जिन्दगी से निराश हो गई हूँ । जीने की इच्छा खत्म हो गई है, पर अपनी अनुभा का मुँह  देखती हूँ तो सोचती हूँ, मेरे बाद क्या होगा इसका ? क्या तू दो चार दिन के लिये नहीं आ सकती मेरे पास, शायद इस उदासी … Read more

टीस -गुरविन्दर टूटेजा

—————    रात के पौने बारह बज रहे थे…आँखें बंद कर गरिमा लेटे लेटे सोच रही थी कि पता ही नही चला कि कैसे शादी को पच्चीस साल गुजर गये…पर शुरुआत में हुई वो बातें आज भी टीस सी मन में चुभ जाती है…..!!!!  जब समीर देखने आये थे तो वो तभी कम पसन्द आये पर … Read more

किरायेदार – गोविन्द गुप्ता

एक मकान अपना हो यह सपना सभी का होता है यही सपना पाले नरेश और मीना दिल्ली के एक किराये के छोटे से अपार्टमेंट में रहने आये , नरेश एक कम्पनी में मैनेजर था और मीना स्कूल टीचर, दोनो की जिंदगी मस्ती से कट रही थी, सुवह निकल जाना शाम को आना और बाजार में … Read more

error: Content is Copyright protected !!