निर्णय (भाग 4) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

शीर्षक निर्णय

बॉस की बीवी के साथ इस वार्तालाप के बाद बड़े भारी मन के साथ नेहा अपनी बेटी को लेकर घर आ जाती है लेकिन उसका मानसिक द्वंद लगातार चलता रहता है बहुत सारी बातें उसके मन में नकारात्मक होती हैं और बहुत सारी बातें सकारात्मक,

उस अन्तर मन विचारो के साथ साथ उसे फिर से अपनी बेटी का भविष्य मकान यह सब नजर आने लगता है, उसे लगता है कि उसकी बेटी अब जब स्कूल जाने लगेगी तब उसके ऊपर जिम्मेदारियों के साथ-साथ आर्थिक भार भी बढ़ जाएगा उसे पूरी पूरी रात नींद नहीं आती और अक्सर वह यह सोचती रहती है, मैं ऐसा करके राजेश के साथ अन्याय तो नहीं करूंगी, कई बार वह राजेश की फोटो के सामने बैठकर बहुत रोती है, खूबसूरत होने के कारण लोगों की निगाहों को पढ़ना भी उसे बहुत अच्छी तरह आता था, पढ़ी-लिखी तो थी, तो वह जानती थी, कि कहीं दूसरी जगह जॉब के लिए जाएगी तो वहां उसे क्वालिफिकेशन के दम पर नहीं बल्कि खूबसूरत जिस्म के कारण आसानी से नौकरी मिल जाएगी और उसे अपने बारे में यह तो पता ही था कि मैं उसके पास कोई टेक्निकल एजुकेशन नहीं है तो कोई हाई-फाई नौकरी तो मिलने से रही, यह सोच सोच कर वह काफी परेशान होने लगी शादी जल्दी कर लेने के कारण वह मात्र 25 साल की उम्र में विधवा हो गई थी, उसे यह भी पता था कि इतनी बड़ी जिंदगी बिना सपोर्ट के नहीं निकल पाएगी,   लगने लगा कि अगर उसे फैसला करना है तो जल्दी लेना पड़ेगा, डोर बेल की आवाज से उसकी नींद खुलती है वह घड़ी में देखती है कि अभी 9:00 बज गए आज तो उठने में देर हो गई शायद दूध वाला आया होगा, वह जैसी ही गेट खोल दी है तो सामने बॉस की बीवी अंजलि को पाती है, गुड मॉर्निंग करने के बाद वह अंजलि को अंदर लेकर आती है, बिना किसी भूमिका के अंजलि अपनी बात शुरू करती है वह कहती है कि नेहा मेरी बात का तुम्हें बुरा लगा हो तो मैं माफी चाहती हूं मैं चाहती हूं कि तुम्हारा और रोजी का रिश्ता मेरे साथ पहले जैसा बना रहे, इस बात को हम दोनों यहीं खत्म करते हैं, नेहा अंजलि से कहती है दीदी मैंने भी शायद पूरी बात सुने बिना अपना रिएक्शन जल्दी दे दिया और मेरी कहने का तरीका भी गलत था, अगर हम दुबारा अपनी उसी चर्चा को एक बार और डिस्कस करें तो बेहतर होगा,

अंजलि कहती है कि नेहा सेरोगेसी मदर के लिए मैंने कहा था,  तुमसे तुम्हारी कोख किराए पर चाहती हूं, उसके बदले में तुम ही तुम्हारी पूरी कीमत दी जाएगी,   लोन पटा दिए जाएंगे, रोजी की एजुकेशन का पूरा इंतजाम कर दिया जाएगा, फ्यूचर में तुम्हें कोई कष्ट ना हो मैं इस बात का भी पूरा ध्यान रखूंगी, और कुछ देर बाद अंजलि नेहा के घर से चली जाती है और उसी कहती है, मैं शाम को 4:00 बजे आऊंगी तुम्हारा जो भी फैसला हो अगर हां मैं हूं तो मेरे साथ डॉक्टर के पास चलना, और अगर ना मे हो इस बात को यहीं खत्म करके रोटी और तुम मेरे दिल के पहले जितनी ही करीब रहोगी, राजेश की तस्वीर के सामने बैठकर नेहा बहुत रोती है और कहती है राजेश तुम क्यों चले गए, मैं इतनी बड़ी जिंदगी तुम्हारे बिना कैसे गुजार पाऊंगी अगर मैं अकेली होती तो कब की तुम्हारे पास आ जाती लेकिन मेरे पास तो तुम्हारी निशानी है जिसका मुझे खयाल रखना है मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मेरे फैसले सही या गलत होंगे, लेकिन एक तो कोरोना की मारामारी दूसरा मैं इतनी ज्यादा भी कोई शिक्षित नहीं हूं , जो मुझे एक शानदार जॉब मिल जाए मुझे पता है कि सभी मुझे दूसरी शादी करने की सलाह देंगे , मेरे पास तुम्हारे अलावा ऐसा कोई भी शख्स कभी नहीं रहा, जिससे मैं अपने मन की बात कर सकूं मेरे लिए क्या सही है क्या गलत है वह मुझे बता सके अल्प बुद्धि में जो भी मुझे आता है मैं वह कर लेती हूं और अब तो हकीकत यह है कि सिर्फ मैं तुमसे बातें कर सकती हूं तुम नहीं,

रोजी के रोने से उसे ख्याल आता है कि आज तो उसने भी सुबह से कुछ नहीं खाया और  रोजी को भी कुछ नहीं खिलाया वह उठकर अपने और रोजी के खाने का इंतजाम करने लगती है  !

बहु त सोच विचार के वह नतीजे पर पहुंचती है, और 4:00 बजने का इंतजार करने लगती है

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