निर्णय (भाग 3) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

निर्णय

नेहा और बॉस की बीबी की बहुत अच्छी पटने लगी थी, और नेहा उन्हें अपनी बड़ी बहन की तरह ही मानने लगी थी, एक दिन बॉस की बीबी ने नेहा से बातों बातों में उससे पूछा, फ्यूचर में तुम मकान और गाड़ी की किस्त कैसे चुका पाओगी, और इस बच्ची के लिए अच्छी शिक्षा एक छोटी सी नौकरी से संभव है, नेहा तुम सुन्दर हो, उमर भी कम, दूसरी शादी कर लेना चाहिए, नेहा ने हंसकर कहा कि मेरी इस बच्ची को रखने वाला कोई नहीं है, ना ही उसके नाना नानी है, और ना ही दादा दादी का परिवार, मैं अपनी इस बच्ची को जीते जी अनाथ नहीं कर सकती, और मैं अपनी सारी जिंदगी अपनी इस बेटी के साथ निकाल लूंगी मुश्किलें जरूर आएंगी मुझे, लेकिन धीरे-धीरे कोशिश करूंगी अगर मकान की किस्त नहीं चुका पाए, तो मकान और गाड़ी वापस कर देंगे कहीं किराए के मकान में अपनी जिंदगी निकाल लूंगी,

बॉस की बीवी ने 1 दिन कहा कि अगर तुम्हारा मकान गाड़ी और इसकी एजुकेशन की चिंता से तुम्हे मुक्त कर दे, तो नेहा ने कहा क्या कोई जादू की छड़ी है, जिसको घुमाने के साथ ही मेरी सारी चिंताएं दूर हो जाएंगी, और हंसकर कहने लगी कि आप जैसे लोगों को यह सब कहना आसान लगता है, क्योंकि आपके पास बहुत पैसा है, हम एक-एक पेसा को जोड़कर घर बनाते हैं, अपने बच्चों के लिए। बॉस की बीवी ने कहा मैं यह सब तुम्हें मुफ्त में नहीं दे रही हूं, मैं तुमसे इसके बदले में कुछ चाहती हूं, नेहा हैरान होकर उन्हें देखने लगी उसने कहा कि मैं आपको क्या दे सकती हूं, मेरे पास तो कुछ भी नहीं है,

उन्होंने कहा तुम मुझे बच्चा दे सकती हो।

नेहा घबराकर अपनी बेटी को अपने से चिपका लेती है, और कहती है यह आप क्या कह रही हो दीदी, मैं अपनी बेटी आपको नहीं दे सकती, और अपनी बेटी को गले से कसकर चिपका कर रोने लगती है

अगला भाग

निर्णय (भाग 4) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!