निर्णय (भाग 5) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

निर्णय

शाम को 4:00 बजे अंजली आती है  ।और नीचे से आवाज़ देती है , अंजलि की आवाज सुनकर  नेहा बाहर आती है ,और एक खूबसूरत सी मुस्कुराहट के साथ उसका वेलकम करती है , नेहाखुद भी तैयार थी ,और रोजी भी तैयार थी ,  अंजलि भी प्यारी सी मुस्कान के साथ से नेहा कहती है ,आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो, कार का दरवाजा खोलती हुई अंजलि रोज़ी को गोद में लेकर नेहा को अंदर बैठने का इशारा करती है, दोनों ही बिना बोले पूरा  सफर तय करती है, अंजलि रोज़ी को खिलाने में मस्त रहती है ,और टॉफी देकर उसको हसाती रहती है ,इसी बीच दोनों क्लीनिक पहुंच जाते हैं रोजी को ड्राइवर के पास छोड़कर दोनों अंदर जाती हैं ,नेहा को ऐसा लग रहा था या तो पहले से अपॉइंटमेंट ले रहा है ,या फिर शायद यह कोई उनकी परिचित डॉक्टर का ही क्लीनिक है ।

अंदर पहुंचने पर डॉक्टर अंजलि का गर्मजोशी से स्वागत करती है ,एक मुस्कान नेहा को देखते हुई उसे बैठने का इशारा करती है,

आपस में उनकी कोई डिटेल चर्चा नहीं होती, वहां पहले अंजलि को लेकर अंदर जाती है और करीब आधे घंटे के बाद वापस आती है ,

यह आधा घंटा नेहा का मन मस्तिष्क फिर से सही गलत के चक्कर में गोता लगाने लगता है ,उसको ऐसा लगता है कि शायद वह गलत कर रही है ,उसे यहां से भाग जाना चाहिए लेकिन हमेशा की तरह फिर वही मकान गाड़ी फ्यूचर सब कुछ उसे नजर आने लगता है ,और वह  अकेले बैठे हुए ,एक बार फिर वह अपने ससुर को फोन लगाती है , लेकिन वहां से कोई रिस्पॉन्स ही नहीं मिलता, यह बात नेहा मन से निकाल देती है कि वह गलत है ।

थोड़ी समय बाद अंजलि बाहर आ जाती है ,और नेहा अंदर जाती है बाहर श्री कृष्ण जी की फोटो के हाथ जोड़ते हुए अंजलि मन ही मन प्रार्थना करती है कि हे प्रभु अब सब कुछ ठीक हो जाए ,और उसे नेहा के द्वारा मातृत्व का सुख मिल जाए ,जिससे उसे कोई बांझ ना कहे, ससुराल जाती है तो परिवार में बच्चों के होने वाले कार्यक्रम में बड़ी हिकारत से देखा जाता है, ऐसा लगता है इस दुनिया के सारे गुनाह कर दिए बच्चा पैदा ना करके ।

वह सोचती है पैसों से दुनिया की हर चीज खरीदी जा सकती है, मंद मंद मुस्कुरा देती है काश की सारी दौलत देकर एक बच्चा अपनी कोख में ला पाती , विचारों की इन्हीं झंझावात में घिरेे हुए कितना टाइम निकल जाता है ,उसे पता ही नहीं पड़ता और नेहा को आते हुए देखती है, अंजलि खड़े होकर नेहा को अपनी चेयर पर बैठाती है, उस टाइम सच में ऐसा लगता है, करोड़ों की प्रॉपर्टी की मालकिन असहाय है, डॉक्टर नेहा और अंजलि से कहती है कुछ जरूरी टेस्ट मैंने आप दोनों की कर लिए हैं आई होप की नेहा जी आपके लिए गए इस डिसीजन से अंजलि जी की जिंदगी में एक बहुत खूबसूरत सा मोड़ आने वाला है ,शायद उनकी जिंदगी में भी ढेर सारी ईश्वर खुशियां आपके द्वारा लाना चाहता है।

इतने में ड्राइवर रोती हुई रोजी को लेकर अंदर आता है अंजलि दौड़कर उसको अपनी गोदी में लेती है , और नेहा से कहती है अरे अपनी बातों में रोजी को हम भूल ही गए । डॉक्टर रोजी को देखकर , नेहा से कहती है बड़ी प्यारी बच्ची है आपकी ,

नेहा मुस्कुरा देती है, अंजली से रोजी को ले लेती है क्योंकि अंजलि की गोद में रोजी चुप नहीं हो रही थी।

अंजलि कहती है ,हमें निकले हुए काफी टाइम हो गया , अब रोजी का भूख का टाइम हो गया ,हमें चलना चाहिए बाकी बातें मैं आपसे फोन पर कर लूंगी ।

नेहा और अंजलि बाहर आ जाती है, अंजलि नेहा से कहती है पास में ही मदर फूड रेस्टोरेंट है चलो हम वहां चलते हैं , और रोजी के लिए कुछ लेते है, नेहा कुछ नहीं कहती क्योंकि उससे भी रोजी का रोना नहीं देखा जा रहा था , और वह दोनों मदर फूड पर जाकर रोजी के लिए कुछ खाने का देखने लगती है दोनों ही ज्यादा कुछ बातें नहीं कर रही थी, शायद वह दोनों समझ नहीं पा रही थी की क्या बातें करें

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