नाजायज फायदा भारी पड़ गया –   हेमलता गुप्ता : Moral stories in hindi

बगल वाले खाली पड़े मकान में आज कोई किराएदार आया है यह देखकर मालती बड़ी प्रसन्न हुई, क्योंकि वह बेचारी दिन भर घर में अकेली रहती थी! दोनों बड़े बच्चे कॉलेज जाते थे और पति सुबह 9:00 बजे निकले हुए शाम को 7:00 बजे से पहले घर नहीं आते थे! इतना लंबा समय….. किसी और काम में मन भी नहीं लगता था ! 

आजकल इस दुनिया में हर आदमी अपने आप में व्यस्त है बस एक मालती ही व्यस्त नहीं थी!  बगल में रहने बाला एक छोटा सा परिवार था जिसमें पति-पत्नी और उनका 2 वर्ष का बेटा निक्कू था !उम्र में तो वह मालती से बहुत छोटी थी पर उसने सोचा कोई बात नहीं थोड़ी चहल-पहल तो रहेगी!  धीरे-धीरे दोनों परिवारों में जान पहचान भी बढ़ने लगी! 

मालती को अधिकतर  निक्कू के रोने की आवाज आती रहती थी , मालती ने उनके घर जाकर जब कारण पूछा तो निक्कू की मम्मी ने बताया कि…. मैं दिन भर अकेली इसे संभालू या घर का काम करूं..? इसको कोई संभालने वाला भी तो नहीं है घर पर ..!उसके पापा भी जल्दी ऑफिस चल जाते हैं और देर रात तक आते हैं, और ऐसा कह कर उसने दुखी चेहरा बना लिया! तब मालती ने कहा अरे…. तो हम किस काम के लिए हैं,

आप निक्कू को हमारे पास छोड़ दिया करो ..मेरा भी मन लग जाएगा इससे और जब तुम फ्री हो जाओ तब निक्कू को ले जाया करो! धीरे-धीरे ऐसा ही होने लगा! अब मालती भी निक्कू के साथ खुश रहती और उधर शिखा भी खुश रहने लगी! मालती निक्कू की अच्छी तरह देखभाल करती, किंतु धीरे-धीरे शिखा ने  इसका  फायदा उठाना शुरू कर दिया!

अब वह खुद आराम से शॉपिंग पर जाती, किटी पार्टी में जाती और निक्कू को मालती के यहां छोड़ जाती! जैसे-जैसे निक्कू बड़ा होता जा रहा था उसकी शैतानी और उधम भी बर्दाश्त से बाहर होने लगी! अब मालती भी उसको नहीं संभाल पाती थी! एक दिन मालती की तबीयत खराब थी, तभी शिखा आई और कहने लगी…. दीदी आज में मेरी सहेलियों के साथ लंच पर जा रही हूं और फिर बाद में मूवी देख कर  घर आऊंगी,

आज थोड़ा ज्यादा समय के लिए आपको निक्कू को संभालना होगा.. सॉरी.! तब  मालती ने कहा… शिखा आज मेरी तबीयत सही नहीं है, आज में इसे नहीं संभाल पाऊंगी! तब शिखा ने कहा… क्या दीदी..  जिस दिन मेरा काम होता है उसी दिन आप मना कर देते हो, जब आपका मन होता है तब तो आप निक्कू  को खूब खिलाते हो, यह सुनकर तो मालती स्तब्ध ही रह गई!

उसे इस तरह के जवाब की बिल्कुल भी आशा नहीं थी! आज  मालती के दोनों बच्चे जो अपनी मम्मी की तबीयत खराब होने की वजह से छुट्टी पर थे  उनको भी गुस्सा आ गया और उन्होंने भी शिखा को सुना दिया.. आंटी… अब तो शर्मसार करना बंद करो.. आपने पहले ही मम्मी की शराफत का कुछ ज्यादा ही फायदा उठा लिया, 2 साल हो गए आपको यहां आए हुए, आपने हमेशा सिर्फ हमारा फायदा ही उठाया है, आज मम्मी की तबीयत खराब है,

तब भी आप लंच और मूवी की सोच रही है… आप चाहती तो आज मना कर देती अपनी सहेलियों को.. और और जाना इतना ही जरूरी हो तो अपने बच्चों को साथ लेकर जाओ, आज आप मम्मी की देखभाल के लिए रुक सकती थी.. किंतु नहीं.. आप जैसे मतलबी लोगों की वजह से ही इस दुनिया पर से विश्वास उठता जा रहा है! आप सिर्फ अपने भले के लिए सोचती हैं,

तो ठीक है.. आज के बाद हमारी भी  कोई जिम्मेदारी नहीं आपके प्रति..! आप अपने बेटे को चाहे जैसे संभालिए वह आपकी प्रॉब्लम है.. और आप मम्मी को शर्मसार करना बंद करो क्योंकि शर्मसार होने की जरूरत मम्मी को नहीं आपको है! और ऐसा सुनकर आज शिखा को सच में अपने ऊपर बहुत शर्म आ रही थी कि वाकई में उसने किसी शरीफ इंसान का गलत फायदा उठा लिया! आज शिखा को नाजायज फायदा उठाना भारी पड़ गया!

  हेमलता गुप्ता स्वरचित

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