ख्वाब – अनामिका मिश्रा

 

मीनू और राज की तीन बेटियां हो गई थी। लड़के की चाह में तीन बेटियां हो गई थी। राज की कोई खास नौकरी भी नहीं थी।इधर उधर छोटे-मोटे काम किया करता था। 

बेटियों की जिम्मेदारी मीनू के ससुर उठा रहे थे। 

वो सहायता किया करते थे। धीरे धीरे बेटियां बड़ी होने लगीं। मीनू की बड़ी बेटी खुशबू पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती थी। 

वो विमान उड़ाना चाहती थी, पायलट बनना चाहती थी। उसका ये ख्वाब था कि,वो पायलट बने और अपने बाबा और माता पिता को विमान पर बैठाए। उसके बातें सुनकर सब हंसते थे। मीनू चिढ़ जाया करती थी, और कहती,” यहांँ तो पहले,पढ़ने -लिखने ,खाने-पीने के लाले पड़े हैं और तू इतने ऊंचे ख्वाब देख रही है, किसी तरह पढ़ लिख जा, हाथ पीले हो जाए,…वही बहुत है!”

अपनी मां के मुंह से यह बातें सुन खुशबू की आंखों में आंसू भर आ जाते थे। तब उसके बाबा उसे समझाते, कहते, ” मीनू क्या कह रही हो,..बच्ची को रुला रही हो…खुशबू मैं हूं ना तेरा बाबा…तेरा ख्वाब पूरा जरूर करेगा! “

मीनू कहती, “पिताजी, क्यों झूठे ख्वाब इसे आप दिखा रहे हैं,आप तो जानते हैं ना, कितना मुश्किल है,…इसकी दो बहने और हैं! “

उसके ससुर ने कहा, “मीनू माना कि मुश्किल है, पर इसका हौसला क्यों तोड़े? फिर आगे ईश्वर की मर्जी!”

धीरे-धीरे खुशबू बड़ी होने लगी। उसके दादाजी का पूरा सहयोग था। 

इधर मीनू चाहती थी कि,खुशबू की शादी हो जाए। 

वो बोली, “पिताजी, अब आगे की पढ़ाई बंद करवा कर इसकी शादी की सोचिए, अभी और दो लड़कियां हैं, आपके सहयोग से ही सब हो पाएगा, इनसे उम्मीद करना तो बेकार है,बेकार पढ़ाई में पैसे खर्च मत करिए!”

खुशबू ने सुन लिया और वह उदास हो गई और रोने लगी। पर उसके बाबा ने उसके सिर पर हाथ रख कर कहा, “मैं इस दुनिया से खुशबू के ख्वाब पूरे करके ही जाऊंगा!”


फिर मीनू से कहा,”तू चुप कर,मुझे जो करना है, वो मैं करूंगा!”

खुशबू को आगे की पढ़ाई के लिए उसे उसके बाबा ने बाहर भेज दिया….और मेरा खुशबू भी खूब मेहनत कर रही थी। पर उसे अपने बाबा की भी चिंता थी। 

पेंशन के पैसे और इधर-उधर से जुगाड़ कर उसकी सहायता कर रहे थे।  उसका संघर्ष व्यर्थ नहीं गया! 

वो अपनी मेहनत और लगन से पायलट बनने के कगार में थी।

ट्रेनिंग पूरी  कर प्रमाण पत्र लेकर आई…और खुशबू आज बदल गई थी…मीनू तो देखती ही रह गई।

आज खुशबू के का पूरे हो गए थे। 

“कहते हैं ना खुदी को कर बुलंद इतना,खुदा खुद तुझ से पूछे तेरी रज़ा क्या है!”

खुशबू ने कहा,”बाबा …मां …अगले सप्ताह मैं पहली बार विमान उड़ाऊंगी, और मैं आप लोगों को उसमें, जरूर बताऊंगी,….यहां तक तो ख्वाब पूरे हो गये, बस इतना सा बाकी रह गया है!”

उसके बाबा बोले,”अरे बेटा, तू पायलट बन गई, अब बाबा क्या बैठेंगे, बस समझो तेरे बाबा को आज, सुकून मिल गया! ” 

मीनू के आंखों से आंसू निकल पड़े। 

 

स्वरचित अनामिका मिश्रा 

झारखंड जमशेदपुर

 

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