इच्छा – ऋतु गुप्ता : Moral stories in hindi

क्यूंँ रे गोलू तू आज फिर स्कूल गया था ,तुझे कितनी बार समझाया है कि ये  स्कूल  और किताबे बिताबे हमारे लाने नहीं है ।हमें भगवान ने जिस काम के लिए भेजा है वही सीख जा बस इतना ही काफी है,

वही काम आएगा तेरे ,हम दलित हैं और यह हरिजन नाम भी हमें उदारता के कारण मिला है बछुवा हम बस साफ सफाई कर सकत हैं और कछु नाहीं।

पीढ़ियों से तेरे बाप दादा वही करते आए हैं तो तू क्यों इस सबके खिलाफ है, बता तो जरा मोहे तेरी इच्छा का होई, अरे बछुआ हम तोहे यही समझाइत  रहे कि जिसका काम उसी को साजे…

लल्ला समझ जा यह बड़े जात वाले बाबू लोगन के बच्चा लोग ही स्कूल जात रहि, हम लोगों को तो बस दो जून की रोटी मुहस्सर हो जाइ, याही मैं भगवान की कृपा मानत रहे।

 देख बछुआ जितनी जल्दी इस बात को तू समझ ले उतना ही अच्छा होई, रोज-रोज पाठशाला से तेरी शिकायत आई रही कि तू बड़ा बाबू के बच्चों की पढ़ाई खिड़की पर खड़े खड़े ही होकर सिखत रहि। देखा बिटुवा जिस दिन यह बात बड़े लोगन तक पहुंच गई बहुत बुरा होइ लल्ला,अपनी महतारी पर बस यह उपकार कर देइ लल्ला, वहां मति जाइ, देख तुझे देखत देखत तेरी छोटी बहन भी यही सब सीखन लागी है।

ना जाने का का बड़बड़ाती रहि,दो तीन पांच, और ग से गणेश….

और भी न जाने क्या-क्या। ऐसा भी क्या कर लेगा तू लल्ला पढ़ लिख कर जरा मोह भी तो समझा ,गोलू (भीमा) की मां दमयंती ने अपने बेटे से बहुत प्यार से कहा।

गोलू बोला तू कछु नहीं जानत माई, पढ़ लिखकर हम बहुत कुछ कर सकत हैं अफसर,डॉक्टर, पुलिस ,कुछ भी बन सकत है, और तो और रेल चला सकत है ,हवाई जहाज उड़ा सकत हैं,और जब हम कछु बन जाइ तो यही लोग एक दिन हमें सलाम करेंगें तू देख लेना माई।

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गोलू की बात पर हंसते हुए दमयंती उसे गले लगा लेती है और कहती है बिटुआ काहे सपना देखत रही, यह बड़ा जात का लोग हमें सलाम काहे करत रही, तू बड़ा भोला है बिटुआ।

चल चल ,अब हाथ मुंह  फेर लेइ,दाल भात बनाया कब से कछु खाई नाही है, बस कब से चबड़ चबड़  बोलत रहा, तेरी जबान ना दुखत रही,ये कह कर हंसकर दमयंती अपने बेटे गोलू को प्यार से गाल पर हल्की  सी चपत लगाती है।फिर दमयंती  ने लाड़ से गोलू को समझाया,और कहा देख गोलू कल से अपने बापू का हाथ बटाना ,उनके साथ साफ सफाई पर जाना। 

इस पर गोलू कहता है नहीं माई मुझे यह काम अच्छा नहीं लगत, बास आती है ,मुझे तो बस पढ़ना है, चांद तारों को जानना है ,टाई लगानी है ,बड़े बाबून के जैसे सूट बूट पहनना है माई।

तभी गोलू का बापू बिरजू काम से घर लौटता हैं,इन सब बातों को सुनकर पहले तो मुस्कुराता है, फिर फक्र से अपनी पत्नी दमयंती से कहता है अरी काहे नहीं पढ़ सकत अपना गोलू?

कहां लिखा है कि शिक्षा पर सिर्फ ऊंची जात वालों का अधिकार है? देखना एक दिन अपना भीमा (गोलू) भी पढ़ लिखकर बड़ा अफसर बनेगा, हमारा नाम रोशन करेगा।

लेकिन यह बात इतनी भी आसान कहां थी….

ना जाने कितनी अड़चनें ,कितनी कठिनाइयों आई गोलू के जीवन में। पर कहते हैं ना कि जहां चाह वहां राह …..भीमा ने हार नहीं मानी,हर कदम साहस,हिम्मत और लगन के साथ आगे बढ़ाता गया,हर मुश्किल को अवसर बना दिया और एक दिन वही गोलू (भीमा) पढ लिखकर भीमराव अंबेडकर के नाम से जाना गया जिन्होंने हमारे देश का संविधान लिखा ।

जय हिन्द ,जय भारत

ऋतु गुप्ता

खुर्जा बुलन्दशहर

उत्तर प्रदेश

2 thoughts on “इच्छा – ऋतु गुप्ता : Moral stories in hindi”

  1. बिना कुछ जाने समझे बस मनमाना सोच कर कुछ भी लिख दिया और बड़े कहानीकार बन गए, हर तथाकथित दलित गरीब नहीं होता था और ना है, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के दादा और पिता दोनों फौज में अफसर थे और अमीर तबके से थे, कम से कम अपनी कम समझ के चलते इतिहास का मजाक मत उडाइये और समाज में जातिगत वैमनस्य मत फैलाइये ।

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