छोटी छोटी बातों पर – ऋतु गुप्ता   : Moral stories in hindi

मैं जल्दी-जल्दी बाजार का काम खत्म करके बस वापिस लौट ही  रही थी कि अचानक सामने वाली दुकान पर जाना पहचाना चेहरा नजर आया । ध्यान से देखा तो स्मृति थी।आज उसके चेहरे पर एक अलग ही निखार था।

धानी रंग के सूट पर महरुम कलर का दुपट्टा उसके निखार पर और चार चांद लगा रहा था। मानव जैसे सूरज को देखकर सूरजमुखी  का फूल खिल रहा हो। उसे देखकर मुझे छह महीने  पहले वाली स्मृति आ गई, इसी तरह एक जनरल स्टोर पर मिली थी ,आंखें सूजी,चेहरा निस्तेज था, हर समय खिलखिलाने वाली

स्मृति बिल्कुल मुरझाए हुए हरसिंगार के फूलों जैसी लग रही थी।

ऐसे ही बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो मैंने उससे पूछा इतनी परेशान क्यों हो? 

इतना ही कहना था कि उसकी कमल जैसी आंखें डबडबा गई। उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसकी आंखों से आंसूओं का झरना झरने लगा । मैंने उसे पहले अपने बैग से पानी की बोतल निकाल कर दी, उसे पानी पिलाया, पहले उसे शांत कराया।फिर उसे एक पास ही के पार्क में ले जाकर उससे उसके मन की बात जानी चाही।

उसने बताया कि शेखर उसका पहला प्यार है, उसने अपनी मर्जी से ही उसके साथ शादी की आज उसकी शादी को अभी पांच वर्ष ही हुए थे, मानो आज उसकी जिंदगी में जैसे तूफान आ गया हो। स्मृति ने बताया कि दीदी, जबसे उसकी ननद तलाक  लेकर मायके आई है, उसके और शेखर (स्मृति के पति) के बीच कुछ भी पहले जैसा अच्छा नहीं रहा। छोटी छोटी बातों पर कहासुनी और तकरार अब आम बात हो गई है , जिससे  हम दोनों के बीच वो पहले वाला प्यार अब नहीं रहा दीदी।

जो शेखर उसे प्यार करते नहीं थकता था, उसकी हर इच्छा का सम्मान करता,उसे रानी बनाकर रखता था, बहन के आने के बाद कुछ बदल सा गया है। हर समय बस अपनी बहन की फिक्र में रहता है। स्वाति ने बताया ,मैं कुछ भी कहूं या करूं दीदी बस मुझे इग्नोर सा करने लगा है, मेरे साथ समय नहीं बताता, कहता है दीदी भी घर में है, उन्हें अच्छा नहीं लगेगा । अब आप ही बताइए दीदी इन सब में मेरा क्या कसूर है, मुझे कोई रास्ता दिखाइए दीदी, मुझे कुछ नहीं सूझता।

मैंने कहा स्मृति बुरा न मानना, इस समय तुम्हें बहुत धैर्य के साथ काम लेना पड़ेगा, अपनी इच्छाओं ,अपने सपने को थोड़े समय के लिए थाम कर रखना होगा।

तुम खुद सोचो स्मृति,शेखर के लिए भी यह भी ये समय कितना कठिन है, ऑफिस की टेंशन, घर की टेंशन,और अपनी बहन के घर उजड़ने की  टेंशन । आखिर शेखर अपनी बहन का बड़ा भाई है, अपनी बहन की फिक्र तो होगी ही ना।

तुम उसे थोड़ा समय दो और धैर्य से काम लो। इस समय सिर्फ और सिर्फ तुम और तुम ही संभाल सकती हो स्मृति। 

अपनी ननद तन्वी के दुख से भी खुद को जोड़ो, उसके साथ समय बिताओ,उसके सारे गम साझा करो, उसे एहसास कराओ कि तुम भी सब उसके अपने हो। देखना तुम्हारे धैर्य रखने से एक दिन यह दुख के बादल भी छंट जाएंगे, फिर सब कुछ पहले जैसा ही अच्छा हो जाएगा।

कहां खो गई दीदी , स्मृति ने मरा हाथ पकड़ कर मेरी सोच से मुझे बाहर निकाला, बस कुछ नहीं स्मृति तुझे देख कर बहुत अच्छा लगा तू खुश तो है ना।

 हां दीदी बहुत खुश हूं आपने जो मुझे धैर्य और समर्पण का मार्ग दिखाया था, उस के बल पर मैंने अपना पहला प्यार वापस पा लिया है। जब भी शेखर परेशान होते, मैंने आपके कहे अनुसार धैर्य से काम लिया,उन्हें विश्वास दिलाया ,अपने साथ होने का एहसास कराया।

 

उसी दिन जिस दिन में आप से मिली थी, शाम को जब शेखर ऑफिस से घर आए, उनके सर बेहद दर्द था, मैंने पूछा तो उन्होंने कहा, कुछ नहीं, तुम कुछ नहीं कर सकती। लेकिन जैसे ही मैंने शेखर का हाथ पकड़ते हुए पूछा सर में दर्द है ना,तो जैसे लगा जैसे हमारे बीच में सब कुछ नॉर्मल हो गया।

धीरे-धीरे अपने प्यार और धैर्य से मैंने तन्वी दीदी के दिल में भी जगह बना ली। उनका उनकी हाँबी से परिचय कराया, अब दीदी ने अपना  खुद का बुटीक खोल लिया है और वह भी व्यस्त है। पुराने गम भूल कर तन्वी दीदी भी आगे आगे बढ़ रहीं है। ईश्वर करे जल्द ही उन्हें उनका मनमाफिक जीवन साथी भी मिल जाए, जो उन्हें समझ सके।

सच कहूं दीदी उस दिन यदि आप मुझे नहीं मिलती, यूं इस तरह आपने मुझे ना समझाया होता, तो मैं कब की अपनी गृहस्थी का चैन खत्म कर चुकी होती, ना जाने मेरे घर संसार का क्या ही होता?

आपके एक शब्द धैर्य ने मेरे पहले  प्यार को और मेरे घर संसार को उजड़ने से बचा लिया दीदी।

स्मृति बोले जा रही थी और मैं बिना पलक झपकाये स्मृति के चेहरे को निहार नहीं थी, आज फिर उसके चेहरे पर अपने पहले प्यार को पाने की  खुशी की चमक दिखाई दे रही थी।

ऋतु गुप्ता

खुर्जा बुलंदशहर

उत्तर प्रदेश

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