भैया बदल गए…रश्मि झा मिश्रा   : Moral stories in hindi

“मुझे नहीं पता मां… पर यहां पर घर में सबको यही लगता है कि मेरे आने से हर्ष बदल गए हैं… मैं क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा…! कल तो निम्मी रो रही थी… मां के पास बोल रही थी सब भाभी के कारण हुआ… पता नहीं भैया को हमसे क्यों दूर करना चाहती है… भैया पहले ऐसे नहीं थे… कितना हंस-हंसकर मुझसे बातें करते थे…

हम कितना वक्त साथ बिताते थे… पर जब से भाभी आई है भैया ने तो लगता है मेरा नाम लेना ही छोड़ दिया है… इतना तनाव आ गया है वहां सबके बीच में की मेरा तो बिल्कुल मन नहीं लग रहा था… इसलिए सासू मां से पूछ कर तुम्हारे पास चली आई…!” श्रेया ने सारी बातें गहरी उदासी से भर कर मां को कह सुनाया…

 सारी बातें चुपचाप सुनने के बाद मां बोली…” देखो बेटा वैसे यह कोई बड़ी बात नहीं हुई… अमूमन ऐसा तो हर घर में होता है… शादी के बाद नए रिश्ते जुड़ते हैं तो पुराने रिश्तों को उनके साथ एडजस्ट करने में दिक्कतें आती ही हैं… पर इसके कारण घर में तनाव का माहौल बन जाए तो गलत है…

अगर मुझसे पूछ रही हो तो मैं यही कहूंगी कि घर जाओ और सबसे पहले इस बारे में हर्ष से बात करो… तुम तो नहीं जानती ना हर्ष का व्यवहार शादी से पहले किसके साथ कैसा था… इसमें सबसे ज्यादा अहम जिम्मेदारी हर्ष की बनती है…उसे संतुलन बनाना होगा अपने घर के रिश्तों में और तुझ में…!” मां ने जैसे बन पड़ा श्रेया को समझा कर घर वापस भेज दिया…! 

श्रेया घर आई तो बेल बजाने से पहले अचानक उसका हाथ बेल पर जाते जाते अटक गया… घर में शायद उसी की बातें हो रही थी… वह थोड़ी देर रुक गई और सुनने की कोशिश करने लगी… हर्ष बोल रहे थे…” और निम्मी श्रेया कैसे चल कर आती है… चाय लेकर… फिर से एक बार दिखाना तो…!” और सभी जोर से हंस पड़े… मां ने कहा…” पहली बार ज्यादा मजेदार था…!”

” फिर बोलती कैसे हैं… वह भी बोल कर दिखाओ ना…!” फिर ठहाके की गूंज में पूरा घर शराबोर हो गया…!

 बाहर खड़ी श्रेया बिना कुछ देखे ही हंस पड़ी… आज पहली बार घर से इतनी हंसी की आवाज उसे बहुत प्यारी लगी… सब कितने खुश थे… भले ही उसका मजाक बनाकर… हां वह उनके बीच में बाधा नहीं बनना चाह रही थी… पर बाहर कब तक खड़ी रहती आखिर कुछ देर बाद उसने बेल बजा दिया… दरवाजा खुलते ही घर में फिर सन्नाटा छा गया.…

मां बैठकर रिमोट चलाने लगी… निम्मी अपने कमरे में चली गई… पापा ने अखबार उठा लिया… और हर्ष मोबाइल लेकर एक तरफ बैठ गया… सब हाल समाचार पूछ कर अचानक सबका अपने कामों में लग जाना श्रेया को बहुत अखड़ गया… वह अपने कमरे में चली गई… बड़ी देर तक घर में ऐसे ही खामोशी रही… अब श्रेया को रोना आ रहा था… क्या घर में वह इतनी पराई है…!

 कुछ देर बाद हर्ष कमरे में आकर बोला…” क्या बात है… आज मां की मदद नहीं करोगी क्या… मां अकेले खाना बना रही है…!” श्रेया कुछ नहीं बोली तो हर्ष पास आया… वह सुबक रही थी… उसकी आंखों में आंसू थे… देखकर हर्ष परेशान हो गया…” क्या हुआ रो क्यों रही हो…!”

” हर्ष क्या आप मुझे इतना पराया मानते हैं… निम्मी ठीक ही कहती है… मेरे आने से आप बदल गए हैं…!” “ऐसा नहीं है श्रेया… तुम्हें ऐसा क्यों लगता है… !”

“नहीं ऐसा ही है…मैं अभी दरवाजे पर ही पिछले 10 मिनट से खड़ी थी… मैंने आप सब की हंसने खिलखिलाने की आवाजें सुनी… आप सब ने मुझे कितना पराया बना रखा है… क्या इससे ज्यादा सबूत की जरूरत है मुझे…!”

 हर्ष चुप हो गया…” देखिए हर्ष मैंने अपना पूरा परिवार छोड़कर इस परिवार को अपना माना है… और आप सब मेरे साथ इतनी दूरी क्यों रखते हैं…!”

 काफी देर हो गई श्रेया बाहर नहीं आई तो उमा जी खुद देखने गईं…” क्या हुआ बेटा बाहर क्यों नहीं आई… कुछ बात है क्या…!”

” हां मां बहुत बात है… आइए आप… आप नहीं आप सब आइए… निम्मी इधर आइए… आप भी… पापा जी…!”

” पर हुआ क्या…!” उमा जी घबराए स्वर में बोलीं… सब एक दूसरे का मुंह देख रहे थे… श्रेया बोली… “आप सब ने क्या इसीलिए मुझे अपना बनाया है… कि मेरे आने से आपका हंसना बोलना सब बंद हो जाए… कितना तनाव का माहौल बना रहता है घर में… सब इसका जिम्मेदार मुझे मानते हैं… पर सच बताइए क्या इसकी जिम्मेदार मैं हूं…!”

 उमा जी ने हंसकर श्रेया के गाल पर थपकी दी और कहा…” अरे बेवकूफ लड़की… इतना क्यों सोचती है… अभी तो आई है ना… शुरू शुरू में सबको आपस में घुलने मिलने में थोड़ी दिक्कत होती है… धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा… कल रात निम्मी भी ऐसे ही बोल रही थी… तुम दोनों मेरे लिए एक बराबर हो… तो बचपना भी क्या एक सा करोगे…

नमक और चीनी घुलते तो दोनों ही हैं पानी में… पर नमक कितनी जल्दी घुल जाता है और चीनी को थोड़ा समय लगता है… लगता है कि नहीं… इसी तरह ये रिश्ते होते हैं… कुछ तो बड़ी आसानी से घुल जाते हैं पर कुछ को समय लगता है… समझदार वही है जो समय का इंतजार करे… क्योंकि देर से मिलने वाले रिश्ते लंबे समय तक मिले रहते हैं… और मिठास भी अधिक रहती है… अब समझ में आया…!”

 दोनों ननद भाभी मां के गले लग गईं… गले लगे लगे श्रेया ने निम्मी की हाथ पर थपकी देते हुए कहा… “निम्मो मुझे भी बताइए ना… मैं कैसे चाय लेकर आती हूं… और कैसे बोलती हूं यह भी…!”

 निम्मी ने आंखें फाड़ कर कहा…” भाभी आप हमारी बातें सुन रही थीं…!”

” तो क्या करूं… सामने में तो आप सब बड़े सीरियस हुए घूमते हो… तो हंसने की आवाज सुन मैंने बातें भी सुन ली… अब दिखाइए ना…!”

 निम्मी शरमा गई… सभी हंस पड़े…!

 पापा जी भी आगे बढ़कर बोले…” बेटा कभी ऐसा मत सोचना कि तुम्हारे कारण घर में तनाव है… यह तनाव नहीं है… यह थोड़ी झिझक है… जो आज एक हद तक तो तुमने खुद खत्म कर दी… और अगर फिर भी थोड़ी बहुत रह गई होगी तो तुम्हारे अपनेपन और प्यार से सब कुछ दिन में ठीक हो जाएगा…!”

 धीरे-धीरे सब आपस में घुल मिल गए… निम्मी की शिकायत भी भाभी के प्यार के बोनस के साथ खत्म हो गई…!

 दो-तीन सालों बाद निम्मी का ब्याह हुआ… ब्याह के बाद जब पहली बार मायके आई तो भाभी का हाथ पकड़ हंसते हुए बोली…” भाभी पता है… जैसे मुझे लगता था कि आपने मेरे भैया को बदल दिया है… वैसे ही वहां भी सब यही कहते हैं… मैंने भी किसी के भैया को बदल डाला…!” और दोनों ननंद भाभी एक दूसरे का हाथ पकड़ खिलखिला कर हंस पड़ी…!

स्वलिखित

रश्मि झा मिश्रा

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