खानदान का नाम – विभा गुप्ता : moral stories in hindi

moral stories in hindi : ” मम्…मी…कहाँ हैं आप!…।इस बार मेरा ट्रांसफर आपके प्रिय शहर बरेली में हुआ है।” चहकते हुए नित्या आई और अपनी माँ के गले में बाँहें डालते हुए बोली तो कपड़ों को तह लगाते हुए रजनी के हाथ एकाएक रुक गये।    ‘ बरेली….।’ वह धीरे-से बुदबुदाई। ” हाँ मम्मी…ज़्यादा सोचिये मत … Read more

मेरी माँ है – विभा गुप्ता: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ” तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इसे हाथ लगाने की…टूट जाता तो……।” सावित्री ने ज़ोर-से चीखते हुए काँच का फूलदान दीपक के हाथ से छीन लिया।आठ वर्षीय दीपक सहम गया।नहीं कह पाया कि माँ आपके पैर से लगकर गिरने वाला था,आपको चोट लग जाती तो.., इसीलिए मैं उसे हटा रहा था…। … Read more

ताउम्र ग्लानि रही : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :  ” साहब…आज गरीबों में कपड़े और खाना-दवाइयाँ बँटवानी है।” बहादुर ने अपने मालिक से कहा।   ” हाँ बहादुर, याद है…हाॅल में रखे सभी सामानों को तुम गाड़ी में भरो..मैं अभी आता हूँ।” कहकर अविनाश ने बीस-पचास के नोटों का बंडल अपने पर्स में रखे, गर्म शाॅल अपने कंधे पर डाली … Read more

आपका साथ चाहिए – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :  ” आप समझते क्यों नहीं विवेक…मनु को आप चाहिये…मँहगे खिलौने या कीमती कपड़े नहीं…आप थोड़ा समय…।”     ” आखिर ये सब मैं किसके लिये कर रहा हूँ ऋचा…तुम्हारे लिये ही ना…।” ” लेकिन ना मुझे आपके पैसे चाहिए ना आपकी संपत्ति।मुझे तो आपका साथ चाहिये।हमारे पास बैठकर दो बातें कीजिए…बेटे के … Read more

बिना सास के – विभा गुप्ता   : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi:   ” बाप रे देविका….आजकल की लड़कियों के तो नखरे भी गज़ब के हैं।कहतीं हैं कि हमें पति बिना माँ वाला चाहिये।अरे वाह! माँ अपने बेटे के साथ नहीं रहेगी तो और कहाँ रहेगी…।” सुमित्रा जी पानी पीती हुई अपनी सहेली को बता रही थी।      सुमित्रा जी को ईश्वर की कृपा … Read more

सुख-दुख अपने हाथ में – विभा गुप्ता   : Moral stories in hindi

 ” दीदी…दीजिये ना..पराँठे मैं बेल देती हूँ।” कहते हुए गरिमा अपनी जेठानी सुषमा के हाथ से बेलन लेने लगी।   ” अरे नहीं गरिमा..मैं कर लूँगी।तुम अपना नाॅवेल पूरा कर लो..इस समय तो तुम पढ़ती हो।” कहते हुए सुषमा ने गरिमा के हाथ से बेलन ले लिया और पराँठे बेलकर सेंकने लगी।       गरिमा को अच्छा नहीं … Read more

देवी का रूप है – विभा गुप्ता : hindi stories with moral

hindi stories with moral :  ‘ अक्षरा धाम ‘ का लाॅन लाल-पीली बत्तियों से जगमग कर रहा था।हवा के झोंकें के साथ ताज़े फूलों की खुशबू नलिनी के नाक तो आई तो उसका तन-मन महक उठा।लोगों की भीड़ में उसकी नज़रें किसी अपने को तलाशने लगी कि तभी घर की वरिष्ठ महिला ने आकर उसका … Read more

बड़ों का आशीर्वाद –   विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” सुन…अब कोई बहाना नहीं…तुझे आना ही है।सुमित आर्मी ऑफ़िसर बन गया है, उसे आशीर्वाद नहीं देगी…।”    ” दूँगी…क्यों नहीं दूँगी…मेरे सामने ही तो वह चलना-बोलना सीखा है लेकिन रंजू….।” मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी कि उधर से आवाज़ आई,” लेकिन- वेकिन छोड़ और…।”   ” ठीक है बाबा…मैं आ रही हूँ…अब … Read more

आँखें खुल गई – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  प्राची काॅलोनी में नई थी।किसी से खास उसका परिचय नहीं था।ऐसे में उसकी पड़ोसिन देविका जी ने उसकी तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाया।उसे बहुत अच्छा लगा।देविका जी उसे शहर और काॅलोनी की पूरी रिपोर्ट समय-समय पर बताती रहती थीं, साथ ही अपने परिवार की प्रशंसा करना भी कभी नहीं भूलती थीं।        एक दिन प्राची किसी … Read more

पिछले जनम का नाता –  विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

” आरती…तुझसे कितनी बार कहा है कि मेरे कमरे न आया करो…जब देखो..लंगड़ाती हुई चली आती है..।” आकाश ज़ोर-से चीखा तो आरती सहम गई। “भ..ई..या…वो…मैं..” वो हकलाने लगी, तभी बेटे की आवाज़ सुनकर सुनंदा बेटे के कमरे में आई।     ” क्या बात है आकाश…तू आरती पर क्यों चिल्ला रहा है?”     ” माँ…मैंने इससे कितनी बार … Read more

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