“जिम्मेदारी का एहसास”-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

यह कहानी कोई मनगढ़ंत या काल्पनिक नहीं बल्कि सच्ची घटना पर आधारित है ।कहानी की संवेदनशीलता को देखते हुए ,उनके नाम  बदल दिये गये हैं । पुष्पा—! कब जाना है तुम्हें- मायका—? मैं उस और ही जा रहा हूं सोचा तुमसे पूछ लूं।  रजत मोटरसाइकिल पोछते हुए बोला । शादी के अभी दो महीने ही … Read more

बदलाव – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

मूलचंद जी शहर के बहुत ही नामी-गिरामी व्यापारी थे । इनके दो बच्चे थें बेटा संकेत और बेटी अवंतिका।  बेटा संकेत बहुत ही बुद्धिमान, गंभीर और समझदार लड़का था जबकि बेटी अवंतिका बहुत ही जिद्दी और तुनुकमिजाज थी।  दोनों बच्चे भी वक्त के साथ बड़े होते गए ।  संकेत अब अपने पिता के कारोबार में … Read more

एक समझौता – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“क्या ये दिन देखने के लिए    हमने तुझे इतना पढ़ाया-लिखाया—-?  और तेरी शादी करवाई —? कृष्णकांत जी गुस्से से लाल- पीले हुए जा रहे थे।  बेटा नितिन चुपचाप पिताजी की नाराजगी को सहन कर रहा था।  सामने मंजू देवी बुखार से कराहते हुए पति कृष्णकांत से बोलीं बस –। अब चुप भी करो जी—!  मेरी … Read more

बेटी अब से ससुराल ही तेरा घर है अब तो तू यहां की मेहमान है – मनीषा सिंह। : Moral Stories in Hindi

स्टेशन छोड़ते ही गाड़ी धीरे-धीरे तेज होती जा रही थी ज्यों -ज्यों गाड़ी तेज रफ्तार पकड़ रही थी त्यों -त्यों सरस्वती की आंखों से मां-बाप ओझल होते जा रहे थे। आशु थमने का नाम नहीं ले रही थी मन मारकर अपनी सीट पर जाकर बैठ गई।   अपनी और बच्चों की छुट्टियां खत्म होने के बाद … Read more

मेरे साथ ऐसा व्यवहार करोगे कभी सपने में भी नहीं सोचा था – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

भाभी —! क्या –आप कुछ देर चिंटू को संभालेंगी?? परू का आज वैक्सीनेशन है इसलिए उसे डॉक्टर के पास लेकर जाना है धूप ज्यादा है सो चिंटू की तबीयत ना खराब हो जाए। ‘मैं वैक्सीन दिला कर जल्द से जल्द आने की कोशिश करूंगी।’  अवनी अपनी भाभी निहारिका से बोली । हां -हां दीदी !आप … Read more

गुरुर – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

शालिनी जी एक सिंगल मदर थी तथा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका के रूप में कार्यरत थीं।  दो बेटियां अवंतिका और अनुराधा उनकी जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा थीं । अब चुकी सिंगल मदर थीं तो घर की सारी जिम्मेदारियां उनको निभानी थी।  शालिनी जी  बेटियों की शिक्षा में कोई कसर नहीं रहने देना … Read more

रिश्तो की डोरी टूटे ना – मनीषा सिंह। Moral Stories in Hindi

“शीतल—- तुम्हें मेरे जज्बात से खेलने का हक किसने दिया?  मेरे साथ ये प्यार का नाटक किस लिए ?  क्यों इतने दिनों से मुझे इस भ्रम में रखा कि मैं दुनिया का सबसे खुशनसीब हूं जिसे तुम मिली थी? कहां गए तुम्हारे कसम, जो तुमने साथ जीने- मरने के खाए थे? मुझे तो घिन आती … Read more

ऐसे शब्द सुनकर मेरा खून खौल गया-मनीषा सिंह : Moral stories in hindi

मानसी की शादी की तैयारी पूरे जोर- शोर से चल रही थी! मानसी के पिता अजीत जी बेटी के हर एक डिमांड को पूरी करने में लगे हुए थे। मानसी 22 साल की हो चुकी थी ।  तथा एम ए की पढ़ाई कर रही थी। ये शादी कुछ हटकर थी । दोनों तरफ के परिवार … Read more

बेरंग से रिश्तों में रंग भरने का समय आ गया है-मनीषा सिंह : Moral stories in hindi

झांसी से दिल्ली जा रही बस के पास एक बुजुर्ग महिला इधर-उधर नजरे दौड़ाते हुए पहुंची और कंडक्टर जो सभी यात्रियों का टिकट बना रहा था, से बोली बेटा यह बस दिल्ली तक ही जाती है ना? ” हां मां जी”! कंडक्टर में उस बूढी महिला के तरफ देखकर दूसरे यात्री से बोला अरे भैया … Read more

जिंदगी सुख कम दुख ज्यादा देती है – मनीषा सिंह: Moral stories in hindi

कड़ाके की ठंड पड़ रही थी रात के 11:00 बज चुके थे।  तेजस्विनी अपनी 2 साल की बेटी राहा को सूलाकर हाल में  ही इधर-उधर चक्कर काट रही थी । उसकी नजर बार-बार दीवाल पर लटकी  घड़ी की ओर जा रही थी। आशु 35 साल का युवक जो किसी सरकारी ऑफिस में ऊंचे पद पर … Read more

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