अपनी अपनी नजर!! – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

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शामली के शॉपिंग स्टोर में प्रवेश करते ही  वे दो जोड़ी आंखें फिर उसकी उठ गईं और जब तक वह वहां सामान लेती रही जैसे वे उसका पीछा ही करती रहीं उन आंखों में गहरी उत्सुकता और बेकली में कुछ कहने का भाव था। जल्दी से आधा अधूरा सामान ही ले कर वह तुरत फुरत … Read more

वाह री साहित्यसेवा !! – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अरे यह तो मेरी कहानी है यहां कैसे छप गई इस पर तो किसी और ही लेखक का नाम लिखा है !! मतलब चुरा लिया कोई!!ऐसा भी होता है क्या..!!. आश्चर्य और गुस्से से उफनते हुए मैंने तुरंत मेरी रचना  खुद के नाम से प्रकाशित करने वाले चोर प्रकाशक से संपर्क किया। आपको शर्म नही … Read more

अनुमति तिरस्कार की!! – लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

कमली अभी तक यहीं खड़ी है कब से कह रही हूं जा तैयार हो जा …. विशाखा जी की तेज आवाज से बेअसर थी कमली ।जाने किस दुनिया में विचरण कर रही थी।चेहरा ऐसा लटका हुआ था मानो किसी ने सौ बुरी बाते सुनाई हों।सामने मां की निकाल कर रखी लाल ड्रेस रखी थी जिसे … Read more

डिमांड मेरी भी!! – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मैं मध्यम वर्ग का व्यक्ति हूं कुछ मेरी भी ख्वाहिश है अगर आप पूरी कर सकें तो कहूं …विवाह की पूर्व तैयारियों की वर और वधू पक्ष की समवेतचर्चा के दौरान अचानक  वर के पिता राजेंद्र ने जो बहुत देर से शांत भाव से बैठे थे धीमे किंतु दृढ़ स्वर में कहा तो वधू शेफाली … Read more

बेवजह का तनाव – लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

रवि आज भूख नहीं लगी तुझे  क्या कर रहा है चित्रा जी ने आवाज लगाई तो हंसते हुए रवि आ गया क्योंकि आज ठंडा वाला नाश्ता करना है मां ये लो स्पेशल आइसक्रीम लेकर आया हूं लार्ज कोन एक आपके लिए आपकी फेवरेट एक मेरे लिए ..!! अरे वाह मैं तो सोचती ही रह गई … Read more

सबकी खबर रखता हूं!! – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

श्रीमती जी की दोपहर की नींद के बाद मैं दोनो के लिए मसालेदार चाय बनाने की तैयारी में था ।चाय चढ़ाई ही थी कि … आप रहने दीजिए ये चाय वाय ।आप भी दिन भर घर में ही घुसे रहते हैं ।शाम का समय होता है बाहर घूमने का चार लोगो से मिलने जुलने का … Read more

टेसू के रंग – लतिका श्रीवास्तव  : Moral stories in hindi

विशाल दालान सूना पड़ा खिलखिलाहटों की बाट जोह रहा था आम्र वृक्षों के नवोदित बौर से सुवासित इस दालान को उन दिनों की मधुर स्मृतियां गुदगुदा रहीं थीं जब फागुन आते ही यह दालान गुंजासुमान हो जाता था नीले पीले लाल हरे बैंगनी ना जाने कितने ही रंगो से किनारे बनवाए गए सीमेंट के टैंक … Read more

धिक्कारिए नही …स्वीकारिए !!- लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

एक डर था जो धीरे धीरे आकार ले रहा था मेरे अंदर जो अचानक  नहीं हुआ था नवागंतुक नहीं था यह शायद यह तभी मेरे अंदर प्रस्फुटित हो गया था जब मेरी मां मुझे एक पुत्री को जन्म देने वाली थी वो भी उस समय जबकि पूरा खानदान घर के चिराग की एक अदद पुत्र … Read more

तलवार की धार – लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

..हल्के पीले रंग उड़े सा कुर्ता सलवार … करीने से पूरी तरह फैला कर ओढ़ा हुआ दुपट्टा कमर तक लटकती गुथी हुई एक चोटी पैरों में एकदम साधारण चप्पलें पहनी हुई वह सामान्य लेकिन आकर्षक सी लड़की बस का इंतजार कर रही थी…शायद परीक्षा देकर आ रही थी और उसका पेपर भी शायद बहुत बढ़िया … Read more

परिवार का साथ जरूरी है – लतिका श्रीवास्तव  : Moral stories in hindi

पीहू की पीर कौन समझेगा!! जान से ज्यादा प्यारा था उसे अपना कैरियर।हो भी क्यों ना बचपन से एक स्वप्न जो उसके दिल में दिमाग ने बुन लिया था वह आकार लेने को छटपटाता रहता था। और इतने बरसों की अथक मेहनत संघर्ष के बाद आज जब वह मौका आया कि वह विदेश में अपने … Read more

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