रिश्तों की स्पष्टता – लतिका श्रीवास्तव

मोबाइल उठा कर हेलो कहते ही दूसरी तरफ से राजन की झुंझलाती आवाज आई अरे यार जल्दी बोलो कुछ जरूरी बात है क्या …टाइम नहीं है मेरे पास सांस लेने का भी….बस इतना सुन कर ही शिखा ने मोबाइल ऑफ कर दिया ….पूरा मूड खराब हो गया था उसका… राजन की व्यस्तता!!! कम तो कभी … Read more

बेजोड़ अदाकारा – लतिका श्रीवास्तव

…..वो कोई अदाकारा नहीं है ना ही कहीं से उसने अभिनय की ट्रेनिंग ली है लेकिन उसका हर अभिनय बेजोड़ है कोई भी रोल दे दो बेहतरीन तरीके से निभाना आता है उसे…कभी भी किसी भूमिका को निभाने से इंकार नहीं किया उसने बल्कि अन्य किरदारों की भूमिका भी निभाने को सहर्ष निःशर्त  तैयार रहती … Read more

माफी की खुशबू – लतिका श्रीवास्तव

प्रतिदिन की भांति ही आज भी  प्रेयर हुई समाचार वाचन फिर नीति वाक्य बोले जा रहे थे…एक बच्ची ऋतु बहुत उत्साह से माइक पर बोल रही थी “……माफी तो वो खुशबू होती है जो एक फूल उन्हीं हाथों में छोड़ जाता है जिन हाथों ने उसे तोड़ा होता है….इसलिए जीवन में हमेशा माफी मांगने और … Read more

 ईमानदार कोशिश – लतिका श्रीवास्तव

आज फिर भोजन कक्ष में हंगामा बरपा था…भोजन से भरी थालियां जमीन पर औंधी पड़ीं थीं  दाल से भरे गंज में तिलचट्टे तैर रहे थे सब्जी से दीवाल पर चित्रकारी की गई थी   और रोटियां तो टेबल मैट बन गई थीं…..मृदुला जी जब तक वहां पहुंचीं खाना पकाने वाले त्रस्त होकर भाग चुके थे … Read more

 वो ईनाम कुल्फी का – लतिका श्रीवास्तव

कॉलेज की सर्वश्रेष्ठ  वक्ता की ट्रॉफी मिली थी स्वाति को आज…. इस बेमिसाल इनाम के बारे में अपने विचार व्यक्त करने के लिए उसे मंच पर आमंत्रित किया जा रहा था..,सभी ये जानने को उत्सुक थे कि आखिर इस वक्तृत्व कला की प्रेरणा क्या है..!! प्रेरणा हैं वो दो कुल्फियां स्वाति ने हंसते हुए कहा … Read more

 सम्मान की मुस्कान – लतिका श्रीवास्तव

नेहा बहुत तत्परता से अपने काउंटर के सभी कार्य निबटा रही थी,उसकी कार्यकुशलता के साथ उसका अपने कार्य के प्रति निष्ठा और रुझान भी स्पष्ट परिलक्षित हो रहा था…एकमात्र उसका ही काउंटर ऐसा था जहां प्रतीक्षा कर रहे लोगो की लंबी कतार नही थी….वो बहुत शांति से अपने कार्य कर रही थी…भाव हीन सा चेहरा … Read more

सुंदर बहू – लतिका श्रीवास्तव

देख तुषार मुझे एकदम सुंदर स्मार्ट हीरोइन जैसी बहू चाहिए…. यही लड़की मेरी बहू बनेगी कितनी सुंदर है ये मुझे बहुत पसंद है क्या नाम है इसका …..माला जी तुषार के सामने ढेर सारी फोटो रख कर उत्साहित हो रही थी …कई फोटो देखने के बाद एक यही फोटो उन्हे बहुत ज्यादा पसंद आ रही … Read more

स्नेह का जुड़ाव – लतिका श्रीवास्तव

आज ऑफिस में काम ही इतना ज्यादा था कि श्रुति थक के चूर हो गई थी ऐसा मन हो रहा था घर पहुंचते ही कोई इलायची वाली गरम गरम चाय बना कर दे दे फिर थोड़ी देर कमर सीधी कर लूं…..घर में घुसते ही ड्राइंग रूम से बातें करने हंसने की आवाजे सुनाई पड़ी श्रुति … Read more

अस्तित्व की तलाश …(भाग 2) – लतिका श्रीवास्तव 

..क्या नौकरी लग गई तुम्हाई तुम्ही बता दो मुझे नही पढ़ना तुम्हारा ये बकवास नियुक्ति पत्र… अवाक और कुछ नाराज पिता के पूछने पर मानस ने जैसे ही शिक्षक की नौकरी मिलने की बात  बताई राघव जी तो आगबबूला ही हो गए …शिक्षक की नौकरी करोगे अब  !! इतनी वर्षो की हमारी जमी जमाई इज्जत … Read more

कुछ कहते रहिए – लतिका श्रीवास्तव 

हेलो बेटा हेलो….शैलजा जी मोबाइल पर कहती जा रही थीं….पर शायद उधर से कोई उनकी बात सुनकर भी अनसुना करता जा रहा था….मनोहर जी के गुस्से का  पारा बढ़ता जा रहा था….क्या हो गया है इसे जवाब क्यों नहीं देता हम लोगों की बात ही नही सुनता …इतना व्यस्त हो गया है वहां जाकर..!!जब से … Read more

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