सम्मान की मुस्कान – लतिका श्रीवास्तव

नेहा बहुत तत्परता से अपने काउंटर के सभी कार्य निबटा रही थी,उसकी कार्यकुशलता के साथ उसका अपने कार्य के प्रति निष्ठा और रुझान भी स्पष्ट परिलक्षित हो रहा था…एकमात्र उसका ही काउंटर ऐसा था जहां प्रतीक्षा कर रहे लोगो की लंबी कतार नही थी….वो बहुत शांति से अपने कार्य कर रही थी…भाव हीन सा चेहरा था उसका।

भावहीन..!!ऐसा नहीं है कि नेहा को हंसना मुस्कुराना नहीं आता…बहुत प्यारी हंसी है उसकी और मुस्कान तो हमेशा उसके चेहरे पर सजी रहती थी….थी..!! इसलिए कि अपनी ये सदाबहार मुस्कुराहट ने उसको अजीब से वाकए का शिकार बना दिया था…

“.देखा मैने कहा था ना इन मैडम को मुझसे इश्क हो गया है ….देखा कैसे हंसकर मुस्कुरा कर इतनी देर तक मुझसे बात करती रही….अरे वो तो बात करने का बहाना ढूंढती रहती हैं … कानों में कुछ अजीब सा स्वर पड़ते ही नेहा ने पलट के देखा तो दो लड़के थे जिन्हे थोड़ी देर पहले नेहा फार्म भरने की प्रक्रिया समझा रही थी….वो उसके सहृदय और मानवीय व्यवहार की कुत्सित परिभाषा गढ़ रहे थे….उसी दिन उसके चेहरे की मुस्कान फीकी पड़ गई थी..!

एक्सक्यूज मी मैम, आप कहां रहती है !! दूसरे दिन काउंटर में आकर अपनी सीट पर बैठते ही ये प्रश्न उसको अचकचा गया….उसने सामने देखा तो वही कल वाले दोनो लड़के कुछ रहस्यमई मुस्कान के साथ  खड़े उसका पता पूछ रहे थे…..उसने कड़ी नजरो से उनकी तरफ देखा और गार्ड को आवाज देने लगी तो सॉरी मैम कह कर  जल्दी से दफा हो गए….कैसे कैसे लोग हैं नेहा ने सोचा ..!किसी लड़की का हंसना …..मुस्कुराते हुए बात करना काम करना भी आजकल के जमाने को किसी गलत भावना के संदेश देता प्रतीत होता है.!!पर तभी से उसका मुस्कुराता चेहरा एक भाव हीन चेहरे में तब्दील हो गया था।




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जब से उसने ये जॉब ज्वॉइन किया है इस तरह के ही अजीबोगरीब पब्लिक कॉमेंट्स  कि”… मैम आज आप बहुत अच्छी लग रही हैं..” या “…आपने ये पर्स किस शॉप से लिया है..” एक लड़की तो ये भी पूछ बैठी कि आप कौनसे ब्यूटी पार्लर जाती हैं  ,उसकी सहकर्मी भी अक्सर उससे कहती रहती  हैं “…तुम्हे इतने सिंपल ड्रेस नही कुछ स्मार्ट ड्रेसेज भी ट्राई करना चाहिए …”और जब स्मार्ट ड्रेसेज में आओ तो वही लोग व्यंग्य कर बैठते है अरे क्या बात है आज कोई अपॉइंटमेंट है क्या..”या”….किसी की पार्टी में आई हो क्या ….

उसे अजीब लगता है उसके सभी सहकर्मी आते ही पहले दुनिया भर की गप्पे हांकेंगे,मजाक बाजी करेंगे ,अपने काउंटर के सामने लगी परेशान लोगो की लंबी  कतार की अवहेलना करते हुए ,उनके मूल्यवान समय की महत्ता को नज़र अंदाज़ करते हुए  ,उनके शिकायत करने पर ” कर तो रहे हैं भई थोड़ा भी सब्र नहीं है ..”

“… हम भी इंसान है मशीन तो नही है..या उनकी ढिलाई से तंग आकर किसी परेशान ग्राहक की उग्रता पर “…..अच्छा जाइए फिर मैनेजर से शिकायत करने जा रहे है तो फिर जाइए अब तो जब मैनेजर कहेंगे तभी आपका काम आगे बढ़ेगा   .”…अब तो यही सब सुनने की,देखने की वो बहुत अभ्यस्त हो चुकी है पर उसकी कार्य शैली इन सबसे अप्रभावित ही रही….!!

“बेटा ये मेरा फॉर्म देख लो जरा… मैम सुनने के अभ्यस्त कानों में अचानक धीमी अशक्त आवाज में कहा गया बेटा शब्द उसके कानो में ही नहीं दिल में भी उतर गया, तत्क्षण सामने देखा तो एक वृद्ध व्यक्ति जो ठीक से खड़े भी नही हो पा रहे थे ,कांपते हाथो से फॉर्म उसकी ओर बढ़ा रहे थे…जल्दी से नेहा काउंटर से बाहर निकल कर आई,उसने उन्हें सहारा देकर वही रखी बेंच पर बिठाया फिर एक गिलास पानी निकल कर पिलाया “…आप यहां आराम से बैठिए,अपने सभी डॉक्यूमेंट्स और फॉर्म मुझे दे दीजिए मैं देखती हूं..” उसकी बातो से वो बुजुर्ग आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता से उसकी ओर देखने लगे ,उनकी आंखों में कुछ अविश्वास सा भी था…पर वो नेहा के कहने से बेंच पर बैठ गए थे…




.नेहा ने उनके सभी कार्य निबटा कर उन्हे दिया भी और आगे क्या करना है ये भी समझा दिया कहां कहां हस्ताक्षर करने थे उनके पास बैठ कर करवा लिया…बुजुर्ग की आंखों में नेहा के प्रति एक विश्वास और अद्भुत प्रसन्नता थी उन्होंने दिल से दुआ दी”… बेटा तुम अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पित हो ,तुम्हारे जैसे कुछ कर्तव्य परायण,विनम्र और कार्य कुशल लोगो के कारण हमारे जैसे अशक्त,समाज से उपेक्षित बुजुर्गो का विश्वास आज भी व्यवस्था में बना हुआ है,सबकी प्रेरणा बनो ,सफलतम मुकाम हासिल करो …आज का दिन मेरा सफल कर दिया तुमने..”।

आज तक नेहा को  अपनी कार्य शैली की तारीफ का कॉमेंट नही मिला था , जो वो सुनना चाहती थी जानना चाहती थी….अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा पुरस्कार इस बेहतरीन कॉमेंट के रूप में मिल गया था। आज वही दिली प्यारी मुस्कान उसके चेहरे पर खिल आई थी।

#मासिक_प्रतियोगिता_अप्रैल 

लतिका श्रीवास्तव

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