ब्लैकमेल – नीलिमा सिंघल

“अरे रे,,,ये कांता की बहू को क्या हो गया, कैसा हुलस हुलस कर नाच रही थी,,,,सास ससुर सामने बैठे थे,,और वो नाचने मे मग्न थी,,,,चलो,,,,नाची तो नाची पर गाना भी कौन सा था,,,,,,सास गारी देवे,,,देवर जी समझा देवे,,ससुराल गेंदा फूल,,,,,,,” अभी अभी किसी रिश्तेदार की शादी से वापस आयी मंजुला जी तिलमिला रही थी,,आगे अपनी बहू गौरी से बोली, ” अब तू ना नाचने बैठ जाना,,मुझे पता है कितने अरमान हैं तेरे अपनी बेटी कंचन की शादी मे नाचने का”

गौरी ने उन्हें चाय दी और कहा, “माँ,,मैं आपकी बात हमेशा मानती हूँ,,तो अब भी मानूंगी,,”

80 साल की मंजुला के तीन बच्चे थे दो लड़कियां और एक लड़का,,उनके पति राजेश जी की अकस्मात मृत्यु तब हो गयी थी जब तीनों ही बच्चे बहुत छोटे थे,,

उन्होंने खेती बाड़ी, घर -बाहर सब संभालते हुए तीनों बच्चों की परवरिश बहुत प्यार और अनुशासन से की थी,,,इसीलिए तीनों बच्चे अपनी माँ के खिलाफ कभी नहीं जाते थे,,

दोनों लड़कियों का विवाह मंजुला जी ने बराबर के परिवार मे किया था क्यूंकि उनका मानना था कि एक जैसे परिवार मे पले बच्चे जल्दी ही आपस मे सामंजस्य बिठा लेते हैं और उनकी गृहस्थी आराम से चलती है। 

गौरी को बहुत अच्छे से देखभाल कर उन्होंने अपने बेटे मनोज के लिए पसन्द किया था। 

मंजुला जी को पोते की बहुत चाह थी,,पर विवाह के 10 साल बाद उनकी पोती कंचन का जन्म हुआ तो उन्होंने कंचन का दोनों हाथों से और खुले दिल से स्वागत किया था,,बहुत लाडली बन गयी थी कंचन अपनी दादी की। 

फोन की रिंग बजी तो गौरी अंदर चली गयी जब बाहर आयी तो मंजुला जी ने पूछा, ” बहु,,किसका फोन था,?”

“भाभी का फोन आया था माँ, ” गौरी ने कहा तो मंजुला ने फिर कहा कि, ” जब से तुम्हारे भाई का स्वर्गवास हुआ है,,तुम्हारी भाभी का फोन ज्यादा ही आने लगा है “

” वो,,,वो,, मां वो अकेला महसूस करती हैं इसीलिए फोन कर लेती है ” आंखे चुराते हुए गौरी ने कहा। 




अगले दिन फिर उसकी भाभी का फोन आ गया,,गौरी को बुरा लग रहा था फिर भी उसने फोन उठा लिया, ” नमस्कार भाभी,,कैसी हो,,सब ठीक तो है ना,,अभी कल ही तो बात हुई थी,,”

“हमारा क्या सही क्या बुरा गौरी,,,इतनी परेशानी हो रही है घर चलाने मे,,,तुम्हें तो पता ही है ना,,आकाश की इतनी कम सैलरी है उससे भी घर नहीं चल पाता,,,30 साल का हो रहा है उसकी शादी भी करनी है,,,,और सागर,,वो भी नौकरी ढूंढ़ रहा है,,,,,तुम ऐसा करो 50000 रुपये भेज दो,,जिससे हमारा काम हो जाए ” गौरी की भाभी बिंदास बोली। 

“पर भाभी,,,भाई के जाने के एक साल के अंदर आप 2 लाख रुपये ले चुकी हो,,,और मैंने कभी मना नहीं किया,,,,पर अब फिर,,,” गौरी भाभी की बातों पर आश्चर्य करते हुए बोली। 

“गौरी,,तुम भूल गयी हो,,,हमने तुम्हारे बुरे वक्त तुम्हारा कितना साथ दिया,,,,पूरे एक साल हमने तुम्हें अपने साथ रखकर तुम्हारा साथ दिया जिससे तुम्हारा ससुराल बचा रहा “गौरी की भाभी मुहँ बनाते हुए बोली। 

“भाभी,,आप कहो तो मैं दोनों की नौकरी लगाने की बात करके देखूँ ” आहत स्वर मे गौरी बोली। 

“क्यूँ,,नौकरी क्यूँ,,मनोज जी का मसालों का,,फलो का इतना बड़ा व्यापार है,,,कंचन शादी के बाद चली जाएगी,,और मनोज जी के शरीर मे कौन सा सारी उम्र ताकत बनी रहेगी,,तुम मनोज जी से उन्हें अपने व्यापार मे शामिल करवाने की बात करो,,,,वर्नामैंखुदमनोजजीसेबातकरूंगी”बेहिस लहजे मे भाभी बोली। 

गौरी से आगे सुना नहीं गया,,और उसने फोन रख दिया,,

सारा दिन अनमनी रही गौरी चिंता की लकीरें उसके माथे पर दिख रही थी,,,रात हुई तो जब सोने के लिए लेती तो अपने पति मनोज से कहा, “सुनो,,हमे कंचन और माँ को सारी बातें बता देनी चाहिए “गौरी हिचकते हुए बोली। 




“पर,,गौरी,,कोई समझेगा नहीं,,”मनोज समझाते हुए बोला। 

“नहीं जी,,,अब हमे सब बताना ही होगा “बोलकर गौरी सो गयी। 

सुबह सब उठे तो मंजुला जी की चहकती हुई आवाज आ रही थी। 

गौरी अपनी सास के पास आयी और बोली, “माँ,,हमे आपसे बात करनी है,,,”

“अरे,,बहु,,बात तो होती रहेगी,,जल्दी से मुँह मीठा करो,,,अपनी कंचन के लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता आया है,,मेरी बहन शकुंतला का सब देखा भाला है ” उत्साहित होते हुए मंजुला जी बोली। 

तभी दरवाजे की घाटी बजी,,,गौरी ने दरवाजा खोला तो उसका बड़ा भतीजा आकाश खड़ा था,,,,जिसे देखकर गौरी को जरा भी अच्छा नहीं लगा,,उसने पूछा, “आकाश तुम यहां कैसे,,? कल ही तो भाभी से बात हुई थी “

“बुआ,,,माँ ने ही भेजा है फूफाजी से व्यापार सीखने को,,,,,अगर नहीं सिखाया तो आपका 24 साल पुराना राज आज बाहर आ जाएगा ” आकाश ने निर्लज्जता से अंदर आते हुए कहा। 

गौरी के लिए सब संभालना मुश्किल हो रहा था पर उसने हिम्मत की ओर अपनी सास से कहा,” माँ,,मुझे आपसे और कंचन से कुछ कहना है ” आकाश की मुस्कराहट ये सुनकर और चौड़ी हो गयी। 

“हाँ,,हाँ बहु,,,बोल तूने कहा था बहुत जरूरी बात करनी है,मंजुला जी ने चारपाई पर बैठते हुए कहा और कंचन को अपने पास बुला लिया। 

“माँ,,,माँ,कंचन को हमने अनाथाश्रम से गोद लिया था 24 साल पहले “कांपते हुए गौरी ने कहा 

“ये कैसा मज़ाक है बहु,,,कंचन को तुमने अपने मायके मे जन्म दिया था,,” मंजुला जी ने गौरी की बात काटते हुए बोला। 




“नहीं माँ,,,जब 10 साल तक हमारे घर सन्तान नहीं हुई तो तुमने गौरी को कितना प्रताड़ित किया था,,मुझ पर दूसरे विवाह का कितना दबाव डाला था,,,माँ मैं आपकी बात टाल नहीं सकता था और ना ही गौरी के साथ नाइंसाफी करना चाहता था।,,इसीलिए मैंने ही ये उपाय सुझाया था,,क्यूंकि तुम बच्चा गोद भी नहीं लेने दे रही थी,,,,,,,,,,हॉस्पिटल जा कर आपको ये खुशखबरी देने का नाटक हमने किया कि आप दादी बनने वालीं हो,,,पर उसकी प्रेग्नेंसी और डिलीवरी मे बहुत दिक्कत आ सकती हैं इसीलिए इसको सारा समय आराम करना होगा तब आपने इसको मायके भेजने को कहकर हमारी मनचाही मुराद पूरी कर दी थी,,,इसके मायके मे इसके माता-पिता भाई भाभी और दोनों बच्चों को ये राज पता था,,,

मायके मे भी गौरी बिल्कुल प्रेगनेंट महिला बनकर रही जिससे पड़ोसियों को भी कोई शक नहीं हुआ,,,,जैसे ही 9 महिने पूरे हुए हमे अनाथाश्रम से फोन आ गया कि कोई 1 दिन की बच्ची छोड़कर गया है,,,उस बच्ची को हम घर ले आए और वही हमारी ओर आपकी आँखों का तारा बनी,,कंचन “

पूरी बात बनाकर शांत हो गया मनोज। 

अब गौरी और मनोज कंचन को देख रहे थे,,,गौरी बोली, ” बेटा तुमने हमारी सूनी जिंदगी खुशियो से भर दी,,अगर कहीं कोई कमी रह गयी हो तो हमे माफ़ कर देना,,पर तुम्हें कभी भी लगा हो कि हमारी ममता कम थी,,या किसी और बात मे,, ,,,”

कंचन की आँखों मे नमी थी,,,उसने आगे बढ़कर अपने मम्मी पापा को गले लगा लिया,,,,और बोली, ” आपने मुझे नयी जिंदगी दी है मम्मी पापा ,,,, आपने मेरी सारी इच्छायें पूरी की है,,,मुझे एक अच्छा परिवार दिया है,,और अब आप दोनों के लिए मेरे मन मे प्यार और सम्मान और ज्यादा बढ़ गया है “

अब दोनों की नजरें मंजुला जी की और उठी,,,अपनी ओर देखता पाकर मंजुला जी ने कहा, ” जो कुछ अतीत मे मैने किया,,,वो सही नहीं था,,कंचन भले ही गोद ली गयी है पर अब वो मुझे मेरी जान से भी प्यारी है,,,,,,मेरी अपनी पोती है “

गौरी ने कुछ दूर खड़े आकाश को देखा,,,तो वो झेंपता हुआ बाहर निकल गया,,,,

माँ पापा और भाई के जाने के बाद से उसके इसी राज को लेकर भाभी 1 साल से लगातार उसको ब्लैकमेल कर रही थी,,,पर अब जब उनकी निगाहें पति की मेहनत से बनाए व्यापार पर लगी तो उसने सच खुद बताने का फैसला कर लिया था,,सच तो वो पहले भी बताना चाहती थी पर मनोज उसको हमेशा रोक लेते थे , आज भाभी और आकाश की गंदी नजर उसके घर के प्यार की दीवार को भेद नहीं पायीं,,,इसका आभार वो बार बार ईश्वर को दे रही थी। 

#मासिक_कहानी_प्रतियोगिता 

इतिश्री 

नीलिमा सिंघल

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