प्रतिदिन की भांति ही आज भी प्रेयर हुई समाचार वाचन फिर नीति वाक्य बोले जा रहे थे…एक बच्ची ऋतु बहुत उत्साह से माइक पर बोल रही थी “……माफी तो वो खुशबू होती है जो एक फूल उन्हीं हाथों में छोड़ जाता है जिन हाथों ने उसे तोड़ा होता है….इसलिए जीवन में हमेशा माफी मांगने और माफ कर देने में कभी देर नहीं करनी चाहिए….!”सबने तालियां बजाईं पर अंशु ने नहीं बजाई बल्कि कल्पना ने ध्यान दिया वो प्रेयर के बाद ऋतु से बहस कर रहा था….!
अभी वो अपने कक्ष में आकर बैठी ही थी कि क्लास से जोर जोर से आवाजे आने लगी और थोड़ी ही देर में एक बच्चा दौड़ते हुए आया और बताया कि समर के पैर की हड्डी टूट गई है … क्यों कैसे पूछने पर बस इतना ही कह पाया लड़ाई हो गई थी क्लास में!!
किसके बीच क्यों पूछने का मौका उस समय तो नही मिला..!क्लास में जाते ही लड़ाई करने लग गए कैसे उद्दंड बच्चे हैं……!!सोचते सोचते कल्पना के कदम तेजी से उस क्लास की ओर बढ़ चले थे…!क्लास का माहौल बिगड़ा हुआ था लेक्चर स्टैंड समर के पैर पर गिरने से उसका घुटना ज़ख्मी हो गया था उसे उठने चलने में दिक्कत हो रही थी तुरंत उनके घर फोन किया अभिभावक से बात की तो चिंता से ज्यादा स्कूल की लापरवाही बताते हुए आगबबूला होने लग गए आप सबकी शिकायत करूंगा कहने लग गए ….कल्पना ने फोन बंद कर दिया और समर को एक टीचर के साथ तुरंत हॉस्पिटल भिजवाने की व्यवस्था करने लग गई..!
हड्डी नहीं टूटी हल्की मोच आई है …..हॉस्पिटल से राहत देने वाली खबर मिलते ही अब कल्पना ने आज की इस हरकत के कारणों का पता लगाया तो वो हैरान हो गई कि असल में अंशु ने ही लड़ाई की थी और लेक्चर स्टैंड समर के पैर पर गिरा नहीं था बल्कि अंशु ने उसके पैर पर प्रहार किया था!!
क्योंकि समर उसके साथ ना बैठ कर किसी दूसरे बच्चे के साथ बैठ गया था और अंशु की बात नहीं मान रहा था..।
तुरंत अंशु को बुलवाया था उसने ..क्यों अंशु क्या तुमने समर के साथ लड़ाई की थी…उसे गंभीर चोट आई है तुम्हें कोई दुख नहीं हो रहा है इस बात से?कल्पना ने थोड़ी संजीदगी से उससे पूछा तो उसने लापरवाही पूर्वक जवाब दिया था.. नहीं. मैडम मैंने किसी के साथ कोई लड़ाई नहीं इलQकी उसे अपने कारण चोट आई है उसकी गलती है मुझे दुख क्यों होगा..!अबकी कल्पना ने थोड़े गुस्से से पूछा था..देखो अंशु सारी गलती तुम्हारी ही है कक्षा के सारे बच्चों ने बताया है कि तुम्हीं ने लड़ाई की थी और तुम्हीं ने वो लेक्चर स्टैंड उसके ऊपर गिराकर उसे चोटिल किया है अब तुम ज्यादा झूठ नहीं बोलो …माफी मांगो समर से भी और उसके माता पिता से भी अपनी इस अक्षम्य गलती के लिए ….. तुम स्कूल पढ़ने आते हो या लड़ाई करने??
मैंने कुछ नहीं किया मैं माफी क्यों मांगू?? आप समर से पूछ लीजिएगा …सब झूठ बोल रहे हैं मुझसे चिढ़ते हैं इसलिए..!!कहकर अंशु भन्नाता हुआ वहां से चला गया था।
अंशु अंशु अंशु … हर बदमाशी में अंशु हर लड़ाई में अंशु ..!क्या हो गया है इस लड़के को अचानक ये इतना आक्रामक कैसे हो गया ….उसके विषय शिक्षकों से कारण जानना चाहा तो सारे शिक्षकों ने अंशु की बेतरह शिकायतें गिनानी शुरू कर दीं..सबसे उद्दंड छात्र है…बहुत बदतमीज है…किसी की बात ही नहीं मानता है ….ना खुद पढ़ता है ना दूसरे बच्चो को पढ़ने देता है…एक शिक्षक ने बताया कि मैं तो उसको अपनी क्लास से बाहर कर देता हूं तो एक ने बताया मेरे पीरियड में वो खुद ही बाहर चला जाता है….सबने एकमत से उसका नाम काटकर स्कूल से बाहर कर देने पर जोर दिया।
अंशु इसी वर्ष आया है शुरू में तो ये ऐसा बिलकुल नहीं था बहुत ज्यादा अनुशासित और आज्ञाकारी छात्र था सभी शिक्षक उसकी तारीफ भी करते थे …अचानक तीन महीनों में कैसे ये इतना उद्दंड हो गया!!शायद समर के कारण जो एक बेहद शांत विनम्र छात्र है और हर टेस्ट में उसके अंक अंशु से ज्यादा ही आते हैं…अनुशासित समर सभी शिक्षकों का सर्वाधिक प्रिय छात्र बन गया था सभी शिक्षक क्लास में सभी बच्चों के सामने समर का उदाहरण देते थे और बाकी बच्चों से उसका अनुसरण करने के लिए कहते रहते थे… समर की बढ़ती लोकप्रियता ने ही अंशु के दिल में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की जगह ईर्ष्या का बीजारोपण कर दिया था ।
स्वयं को महिमा मंडित करने और सबके आकर्षण का केंद्र बने रहने की स्वार्थी आकांक्षा के चक्रव्यूह में उसने अपने आपको फंसा लिया था जिसका शिकंजा नित्यप्रति मजबूत होता जा रहा था।
नाम काटना तो सबसे आसान काम है परंतु स्कूल की शिक्षा का उद्देश्य तो छात्र का सुधार करना भी होता है…नाम काटने से तो इसका भविष्य बर्बाद हो जाएगा….!कल्पना अंशु का विश्लेषण एक छात्र और एक इंसान के रूप में भी कर रही थी…!
उसने अंशु के अभिभावकों से भी चर्चा की तो उन्होंने भी बताया कि घर में भी पढ़ाई नहीं करता है किसी का कहना नही मानता डांटने या टोकने पर उग्र हो जाता है कहने लगता है ..”सब मुझसे चिढ़ते हैं स्कूल में टीचर्स डांटते हैं घर में आप लोग …!!
सच में सभी टीचर उसको डांटते हैं क्या ??पता करने पर कुछ बच्चों ने बताया हां मैडम जी जो भी टीचर आते हैं अंशु को ही खड़ा कर देते हैं कुछ प्रश्न पूछने पर ज्यादा स्मार्ट बन रहे हो या अच्छा हमारी परीक्षा ले रहे हो..!कह कर उल्टा उसी से प्रश्न करने लग जाते हैं और उसके जवाब ना देने पर ..देखा हमसे पूछे रहे थे तुमसे तो कुछ भी नहीं बनता है देखना इस साल तुम फेल हो जाओगे बोर्ड परीक्षा में….तुम्हारे जैसे बच्चे फेल ही होते हैं समझे…!!
कल्पना की समझ में आ गया था कि पूरी क्लास में जिसमे लड़कियां भी रहती हैं डांट पड़ने पर अंशु अपमानित महसूस करता होगा और सबके सामने नीचा ना देखना पड़े इस एहसास को बनाए रखने के लिए उद्दंडता करने लगता होगा…
किशोर वय होती ही ऐसी है स्वभाव में उग्रता आने ही लग जाती है …समझाइश या टोका टाकी बर्दाश्त के बाहर हो जाता है।
लेकिन आज की ये चोटिल करने वाली घटना बहुत चिंताजनक थी उसकी उग्रता हिंसक रूप ले रही थी और वो अपनी गलतियां मानने और सुधारने के बजाय खुद को सही साबित करने के नए तरीके नए बहाने बना रहा था अपने साथी के प्रति उसकी मानवीय संवेदना मृत हो गई थी जबकि उसके अभिभावक अत्यंत दुखी थे और खुद माफी मांग रहे थे पर अंशु का वही लापरवाह बेगाना सा रवैया था।
कल्पना ने स्टाफ की मीटिंग ली और सबको सलाह दी प्लीज आज से आप लोग अंशु को डांटेंगे नहीं क्लास में अगर कोई बेजा हरकत करता है तो ध्यान ही मत दीजिए उसकी शिकायत उसके अभिभावकों से करना बंद कर दीजिए आज की घटना को लेकर उसको जलील नहीं करिएगा हो सके तो छोटी मोटी तारीफ करिए…!सबने अनमने भाव से इस हजम ना होने वाली बात मानने की स्वीकृति दे दी थी।
आश्चर्य जनक रूप से अब क्लास में किसी भी टीचर से किसी भी तरह की डांट पड़नी बंद हो जाने से अंशु हैरत में तो था ही उसके सारे बदमाश पैंतरे भी मुंहबाए खड़े थे…उसकी किसी भी बेजा हरकत पर कोई भी टीचर ध्यान ही नहीं देते थे किसी प्रश्न का जवाब ना देने पर प्यार से समझा कर जवाब सीखा देते थे जानबूझ कर होमवर्क ना करके लाने पर भी कोई बात नहीं अभी कर लो कह मुस्कुरा देते थे…काफी परेशान हो गया था वो ऐसी परिस्थिति का सामना कैसे करे उहापोह में रहता था अब उसकी उद्दंडता कम हो चली थी…थोड़ा खिसियाया सा रहता था…एक दिन सभी बच्चों से स्कूल गार्डन की सफाई करने के लिए कहा गया अंशु से किसी ने नहीं कहा था लेकिन वो सबसे पहले आकर गार्डेन सफाई में लग गया ये सारी क्यारी मैं ही लगाऊंगा कोई हाथ नहीं लगाएगा कहने लगा प्रभारी टीचर फिर उसके ऊपर नाराज होने ही वाले थे तभी कल्पना ने आकर कहा हां ठीक तो कह रहा है अंशु ही सारी क्यारियां लगाएगा बाकी बच्चे दूसरी जगह सफाई करेंगे..कह कर अंशु को प्रोत्साहित किया था!शाम तक अंशु ने अकेले सारी क्यारियां इतनी कुशलता से लगा दीं कि पूरा स्कूल उसकी तारीफ कर उठा कल्पना ने प्रेयर के बाद उसे पुरस्कार देकर सम्मानित किया तालियां भी बजवायीं…आज अंशु के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कुराहट आई थी जिसे उसने जल्दी से दबा दिया था…!आज उसे पहली बार कुछ अच्छा काम करने पर तारीफ एक उपलब्धि की भांति महसूस हुई थी उसका अहम संतुष्ट हुआ था।
आखिर में वो दिन भी आ गया जब मोच ठीक हो जाने के बाद समर स्कूल आया तो अंशु डर गया अब शिकायत होगी समर मेरी असलियत बता देगा और फिर डांट पड़ेगी चलो बढ़िया है इसी बहाने डांट तो पड़ेगी वो मन ही मन सोच रहा था…तभी समर की आवाज उसके कानों में पड़ी…” नहीं नहीं मैडम जी अंशु की कोई गलती नही है मैं ही लेक्चर स्टैंड से टकरा गया था गलती मेरी थी अंशु की नहीं बल्कि इसने तो तुरंत मुझे सहारा देकर उठाया था जो बच्चे आपसे अंशु की शिकायत कर रहे थे वो झूठ बोल रहे थे असल में वो सब अंशु से चिढ़ते हैं उसे डांट खिलाना चाहते हैं….
….बस इतना सुनते सुनते अंशु की आंखों से सारी ईर्ष्या सारा आक्रोश आंसू बन कर निकल पड़े….समर सॉरी यार माफ कर दे मेरे दोस्त कितना झूठ बोलेगा सच क्यों नहीं बता देता… मैडम सच में सारी गलती मेरी ही थी मैने ही इससे लड़ाई की थी गुस्से के मारे लेक्चर स्टैंड अपने दोस्त के पैर पर दे मारा था…सच में मैं जानवर हो गया था मुझे सजा दीजिए सजा दीजिए आप जो भी सजा देंगी मुझे मंजूर होगी …पर मुझे माफ कर दीजिए समर मेरी गलती के कारण तू इतना कष्ट उठाया अपने माता पिता की डांट भी खाया फिर भी मुझे बचाने की कोशिश में लगा है क्यों यार क्यों!!
अरे यार रुला ही दिया ना तूने …दोस्त भी कहता है और सॉरी भी बोलता है दोस्ती तो वही होती है ना जहां एक दूसरे को मुश्किलों से बचाने के यत्न किये जाएं अरे …एक दोस्त क्या दूसरे दोस्त को डांट पड़वाएगा …माफ करने का सवाल तो तब पैदा होता जब मैंने तुझे दोषी माना होता बल्कि मेरी इस मोच की वजह से तुझे सबकी डांट खानी पड़ गई मुझे माफ कर दे यार….!देखना अगली बार गिरूंगा तो मोच नहीं आने दूंगा…..तब तक अंशु ने उसके मुंह पर अपना हाथ रख दिया था ऐसा क्यों बोलता है आज के बाद मैं तुझे गिरने ही नही दूंगा…!
दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर हंसते हुए क्लास की तरफ जा रहे थे….और कल्पना को माफी की खुशबू पूरे वातावरण में महसूस हो रही थी।
#लतिका श्रीवास्तव
#माफी