सारा हिसाब यहीं बराबर होता है… – अनिला द्विवेदी तिवारी : Moral stories in hindi

वैसे तो सास बहू के किस्से हमारे भारत में अत्यंत मशहूर हैं और हमेशा सास को ही दोषी बताया जाता है लेकिन इस मामले में बिल्कुल विपरीत स्थिति थी।  कृतिका हर छोटी-छोटी बात पर मुँह फुला लेती थी और घर वालों से झगड़ने लगती थी। मुँह फुलाना और रूठना तक तो ठीक था लेकिन अकारण … Read more

तुम पर सिर्फ मेरा अधिकार है! – अनिला द्विवेदी तिवारी : Moral stories in hindi

रीता और रोहन बचपन से बहुत अच्छे दोस्त थे। स्कूल से लेकर कॉलेज तक दोनों ने साथ-साथ पढ़ाई की। साथ ही साथ दोनों को एक ही ऑफिस में नौकरी भी मिल गई। स्कूल टाइम से ही एक अन्य लड़का  कमल था जो इनका अच्छा दोस्त था और एक लड़की माधवी। चारों को एक साथ कैंपस … Read more

दायित्व का अर्थ अति नहीं! – अनिला द्विवेदी तिवारी: Moral stories in hindi

रजनीश एक शान्त  स्वभाव का सीधा-सादा सा लड़का था। उसके माता-पिता, गाँव में खेती-किसानी करते थे और चाचा शहर में डॉक्टर थे। अतः रजनीश हायर सेकेंडरी की पढ़ाई गाँव की स्कूल से उत्तीर्ण करने के बाद, आगे की पढ़ाई के लिए, अपने चाचा के साथ शहर आ गया था। शहर में उसके चाचा ने उसे … Read more

अहमियत – अनिला द्विवेदी तिवारी : Moral stories in hindi

वैशाली दिन रात भाग-भाग कर सबकी मदद में लगी रहती थी लेकिन घरवालों को ना उसके काम की कोई कदर थी ना ही उसकी कोई अहमियत। घर के लोगों को ऐसा लगता था एक गृहिणी होने के नाते ये सारे कामकाज करना तो वैशाली का फर्ज है। वह किसी पर कोई अहसान नहीं कर रही … Read more

ना जाने कैसा जमाना आ गया है! – अनिला द्विवेदी तिवारी  : Moral stories in hindi

 घर पर शादी की धूम थी। चारों ओर चहल-पहल वाला माहौल था। अम्मा जी, ओसारे में, अपनी खाट पर बैठी हुई चिल्ला रहीं थी,,, “ना जाने कौन सो जमानो आ गयो है! हमारे जमाने में तो सब मर्यादा में रहत रहे। ये छोरियां मटक-मटक कर का दिखावे हैं? मुझे तो कछू समझ ना आवे है? … Read more

पता नहीं किस जमाने में जी रही हैं आप! – अनिला द्विवेदी तिवारी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : मधुरिमा जी को उनकी बेटी त्रिशा और बहू मेघा घूमने जाने के लिए तैयारी कर रहीं थी।  दोनों ननद, भाभी मधुरिमा के कपड़े एक सूटकेश में भर रहीं थी। बेटी और बहू आपस में बातें भी करती  जा रहीं थी कि माँ-पापा ने हम भाई-बहन के लालन-पालन, पढ़ाई-लिखाई, शादी-ब्याह आदि … Read more

पहचान – अनिला द्विवेदी तिवारी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : रत्नप्रभा एक सामान्य सी शक्ल सूरत की लड़की थी। उसके पिता ने बहुत सारा दान-दहेज देकर एक अच्छा सा घर-परिवार और लड़का देखकर उसका विवाह करवा दिया। उसके बाद उसने अपना पूरा वक्त घर सम्हालने में लगा दिया।  देखते ही देखते छः-सात वर्षों के भीतर उसको तीन बेटियाँ  पैदा हो … Read more

अपनों का अहसान कैसा… ये तो मेरा फर्ज था… – अनिला द्विवेदी तिवारी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : विराट अपने चाचा के साथ शहर में रहकर पढ़ाई कर रहा था। उसके पिता गाँव में साझी गृहस्थी में खेती वाड़ी का काम सम्हाल रहे थे, इसलिए गाँव में पढ़ाई की असुविधा के चलते विराट अपने चाचा के साथ शहर आ गया। कुछ दिन तो सब कुछ ठीक चलता रहा। … Read more

खानदान – अनिला द्विवेदी तिवारी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : मिताली जब विवाह पश्चात विदा होकर अपनी ससुराल गई, तब उसकी सास हर बात पर बोलती थीं,,, “हम खानदानी लोग हैं, हमारे खानदान में ऐसा होता है या  कभी कहतीं ऐसा नहीं होता!” यह सुन-सुन कर तो, मिताली के जैसे कान ही पक गए थे।  मिताली की शादी के पाँच … Read more

तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? – अनिला द्विवेदी तिवारी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : दुष्यंत जी भारतीय सेना से छत्तीस वर्षों की सेवा पूरी कर, सेवानिवृत हो चुके थे। उन्हें सेवानिवृत्ति के दौरान काफी रकम  प्राप्त हुई थी। उन्होंने सोचा था सेवानिवृत्ति के पश्चात जो पैसा मिलेगा उससे वे और उनकी पत्नी मोहिनी जी बुढ़ापे में आराम से गुजर-बसर करेंगे। लेकिन उन्हें भी कहाँ … Read more

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