बेमेल (भाग 15) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

अब रहने दे भी दे बेटा! मुझे नहीं भाते, ये चापाकल के चोंचले! एक तो इतनी दूर तक आओ और ऊपर से चापाकल चलाओ! इतनी मेहनत कौन करता है भला?” – विजेंद्र की बात को सिरे से नकारती हुई विमला काकी ने कहा। “पर काकी, तालाब का गंदा पानी पीना जानलेवा भी हो सकता है।” … Read more

बेमेल (भाग 14) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

.“तू निफिक़्र होकर जा मां! मैं सब देख लुंगी।” – अभिलाषा ने आश्वस्त किया और श्यामा दरवाजे पर खड़े बच्चे संग घर से बाहर निकल गयी। घर के भीतर कमरे में लेटा मनोहर खुद में ही बड़बड़ा रहा था। आवाज सुन विजेंद्र उसके कमरे में दाखिल हुआ। “यूं अकेले में क्या बड़बड़ा रहे हैं, बाबूजी?”- … Read more

बेमेल (भाग 13) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

रसोई से आज स्वादिष्ट पकवान की खुशबू आ रही थी। बड़े चाव से अभिलाषा ने खुद अपने हाथों से भांति-भांति के पकवान बनाए थे। मनोहर और विजेंद्र खाने के लिए बैठे तो थाली में परोसे व्यंजन देख मुंह में पानी भर आया। दोनों ने फिर छककर उनका लुत्फ उठाया। “मां, आपके हाथ में तो जादू … Read more

बेमेल (भाग 12) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

…“अब तुम यूं बातें न बनाओ! चलो, जल्दी से मुझे ये साड़ी पहनकर दिखाओ!”- विनयधर ने बड़े प्यार से कहा तो सुलोचना उसकी बातो को टाल न सकी। “ठीक है, दिखाती हूँ! पर पहले आप कमरे से बाहर जाओ!”- पलंग पर रखी साड़ी को उठाकर हाथ में लेते हुए सुलोचना ने कहा। “क्यूं?? पति हूँ … Read more

बेमेल (भाग 11) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

विजेंद्र के सुडौल व गठीले बदन तथा उसके गौरवर्ण पर स्त्रियां मोहित हो जाया करती थी। फिर वह उसके घर के इर्द-गिर्द तबतक चक्कर लगाता जबतक उसकी कामवासना की पूर्ति न हो जाती। विवाहपूर्व एकबार गांव के चौराहे पर अपने आवारा दोस्तों संग बैठा विजेंद्र जब चौपड़ खेल रहा था तब उसकी बलिष्ठ काया ने … Read more

बेमेल (भाग 10) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

दूसरी तरफ हैजा गांव में पांव पसारने लगा था और कुछ गांव वालों को अपनी चपेट में भी ले चुका था। हैजे की प्रकृति से अनभिज्ञ और अपनी जान की परवाह किए बगैर श्यामा ब्रह्मबेला में ही जागकर घर के काम निपटाती और जीविकोपार्जन के लिए निकलती तो सुरज ढलने पर ही घर का मुंह … Read more

बेमेल (भाग 9) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

बगीचे से भांति-भांति के पुष्प लेकर सुलोचना पूजनकक्ष में आयी तो देखा कि ईश्वर के आगे नतमस्तक होकर सासू मां ध्यान मग्न होकर बैठी थी। थोड़े से पुष्प इश्वर के चरणों में अर्पित कर बाकी सास की तरफ बढ़ाया तो आज उसे बड़ी हैरत हुई। आंखे तरेरने के बजाय आज सास ने बड़ी सहजता से … Read more

बेमेल (भाग 8) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

.सुलोचना एक कुशल गृहिणी थी। पिछले कुछ वर्षों में पति ने घर चलाने के लिए जो पैसे दिए थे, उन्ही में से कुछ बचाकर इन्ही बूरे दिनों के लिए तो संचित किया था। संदूक निकालकर उसने विनयधर के आगे कर दिया। पत्नी की असली पहचान पति के विपत्ति के दिनों में होती है और सुलोचना … Read more

बेमेल (भाग 7) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

…सुलोचना के ब्याहकर ससुराल चले जाने के पश्चात उसके मायके की स्थिति दयनीय हो गई। जहाँ अकेले दम पर वह पूरे घर का बागडोर सम्भाले रहती थी और बेफिक़्र होकर उसकी दोनों बहनें अपनी सहेलियों संग खेत-खलिहानों में घुमती फिरती। वहीं उसके ससुराल जाने के पश्चात अब दोनों बहनों के पांव में मानो बेड़ियां सी … Read more

बेमेल (भाग 6) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

….सुलोचना अपनी माँ के कोख से मनहूस पैदा हुई थी या नहीं- इसका कोई प्रमाण तो नहीं मौजुद। पर इस बात से भी कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि हर तरफ फैले उसकी मनहूसियत के चर्चे ने उसकी ज़िंदगी पर मनहूस होने का ठप्पा जरूर लगा दिया था। यही वजह थी कि श्यामा के … Read more

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