छलावा – लतिका श्रीवास्तव | best hindi story

हताश निराश अदिति तेजी से अपना सामान पैक कर रही थी..हड़बड़ी में जितनी तेजी से वो अपना सूटकेस ठूंस रही थी उतनी ही तेजी से वो बड़बड़ाती भी जा रही थी। अरे मैडम कहां की तैयारी कर ली आपने सुबह सुबह ही और अपनी इस खासम खास दिलो जान से प्यारी सहेली भावना उर्फ भूनु … Read more

मेरी माँ और यादें – family drama story

बचपन से ही मैं अपनी माँ के बहुत करीब रही हूँ । हम दोनों माँ बेटी होने के साथ ही एक अच्छी दोस्त भी हैं। जब भी हमें फुर्सत होती माँ अपने जीवन की हर छोटी बड़ी घटनाओं को मुझे बताती । आज माँ के द्वारा बतलायी वे सभी बातें मैं अपने पाठकों तक उन्हीं … Read more

मलाल – स्नेह ज्योति | best hindi kahani

रीना मुंबई की एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करती हैं । कहने को वो एक संस्थान से जुड़ी हैं ,जो गरीब ,लाचार बच्चों की हर तरह से मदद करती हैं । रीना हर महीने अपनी सैलरी का कुछ भाग इन बच्चों के लिए दे, पुण्य का काम रही थी । ऑफ़िस में सब रीना … Read more

आखिरी रक्षाबंधन – माधुरी राठौड़ | family story in hindi

बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी! एक दिन कॉलेज से घर लौटी तो देखा सभी लोगों के चेहरे उतरे पड़े हैं! मेरी लाख पूछने पर भी मेरी मां ने मुझे कुछ नहीं कहा..इसकी भी एक वजह थी क्योंकि बचपन से ही मुझे हृदय की बीमारी थी मेरी हर छोटी मोटी … Read more

क्या तुम बर्दाश्त कर लेते – बीना शर्मा

“मेरी मम्मी भी तो आपकी मम्मी जैसी  है यदि मैं भी तुमसे तुम्हारी मम्मी के बारे में ऐसा ही कह देती तो जब वे बीमार हुई थी यदि उस वक्त में आपकी बात मानने से इंकार कर दे देती तब क्या तुम बर्दाश्त कर लेते? सोच लो आज आपकी ना सुनकर मुझे बेहद दुख हो … Read more

अभिमान कुछ क्षण का – निकिता अग्रवाल

निष्ठा तुम कल खाना बना देना छोटू खा लेगा, घर से निकलते -निकलते निष्ठा की सास ने उसे बोला। आवाज़ में कुछ संकोच भी था और संकोच के साथ साथ निष्ठा को उनकी आवाज़ में उनका अभिमान टूटता सुनाई दे रहा था। बात छह महीने पुरानी थी। दिवाली को बस दो हफ़्ते बाक़ी थे । … Read more

“अभिमान” – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

“सलोनी , हम सुबह की गाड़ी से गांव निकल जायेंगे। सोचा तुम देर तक जगती हो। कहीं हमें घर पर नहीं देख कर परेशान हो जाओ इसलिए बता दिया है।” बड़ी बहन की बात सुनकर सलोनी थोड़ी देर के लिए चुप हो गई। फिर बोली-”  क्या दीदी तुम तो पंद्रह दिन के लिए आई थी। … Read more

अभिमान क्यूं – आरती झा आद्या

पापा आज तो देर हो रहा हूं, कल पक्का शर्मा अंकल के यहां छोड़ता हुआ जाऊंगा..उत्सव अपने पापा दीनदयाल जी को कहता हुआ सभी को बाय बाय करता ऑफिस के लिए निकल गया। पापा कल चलते हैं रूटीन चेकअप के लिए, आज एक मीटिंग में अर्जेंटली पहुंचना है। मां समझाना पापा को, समझते नहीं हैं … Read more

भला उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफ़ेद कैसे – सारिका चौरसिया

कामिनी जी बड़ी बेबाक महिला थी उन्हें न तो किसी से डर लगता और न ही वे किसी का अदब करना ही जानती थीं। उन्हें हर हमेशा अपनी ही बात सही लगती। और अक्सर बिना किसी भी बात की तह तक पहुँचे वे प्रथम दृष्टया धारणा बना लिया करती थीं। यहां तक कि ज्यादातर उन्हें … Read more

मुझे तो मक्खन जैसी बहू चाहिए – सुषमा यादव

सपना के पति और उनके एक बहुत घनिष्ठ मित्र दीपक एक ही यूनीवर्सिटी में पढ़ रहे थे। दोनों की शादी हो चुकी थी,पर बच्चे अभी नहीं थे। पूरी यूनिवर्सिटी में उन दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाती थी। एक दिन दीपक ने सपना के पति राजेश से कहा,यार,चलो हम अपनी इस दोस्ती को एक … Read more

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