*मेरे आदर्श मेरे पिता* – सरला मेहता

मेरे पिता पटेल दुर्गाशंकर जी नागर देवास जिले के ग्राम लसुरडिया के जागीरदार थे। दूरस्थ पत्थरों में बसा मेरा गाँव देवी अन्नपूर्णा की पावन स्थली है। वर्षों पूर्व नरसिंह मेहता के वंशज, मुगलों द्वारा प्रताड़ित मेरे पूर्वज गुजरात से इस बीहड़ में आकर बस गए थे। उनके साथ अन्य वर्ण व वर्ग के लोग भी … Read more

मीठा घट – लतिका श्रीवास्तव

 सजा हुआ मीठा जल भरा घट…..आता जाता हर व्यक्ति आज उस सजे धजे मिट्टी के घड़ेमे भरे हुए शीतल जल को उसमे लगे हुए नल से जरूर पी रहा  था…… विनय उसमे पानी भरते हुए सोच रहा था बाबूजी कितना सही कहते है , मनुष्य का जीवन भी माटी के घट जैसा ही तो है,जब … Read more

कायाकल्प – रेणु गुप्ता

“ध्यान रखिएगा जी, मेरे जाने के बाद कोविड की दवाइयां समय पर लेते रहिएगा। अभी आपको इससे उबरे पूरा एक महीना भी नहीं हुआ है, और हां ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ की दवाइयां भी वक्त पर ले लिया कीजिएगा। एक दिन भी आप ब्लड प्रेशर की दवाई नहीं लेते, तो हाई हो जाता है। आपको … Read more

अखिरी फैसला – रीमा महेंद्र ठाकुर

चित्रकथा घर आज खुशियों  से भरा था, मेहमानों के जमघट के बीच, माधुरी के पति आलोक, अपनी नन्ही सी बच्ची को बाहों में उठाए, बेतहाशा चूमे जा रहे थे!  पिता का प्रेम,  पांच साल हो गये विवाह को अब जाकर पिता का सुख मिला था!  माधुरी बडी ममता भरी निगाहों से बच्ची को देखे जा … Read more

एकलौता बेटा – डॉ उर्मिला शर्मा

“अरे ! केवल जरूरत भर का सामान रख लो। बेटे के पास जा रही हो। कोई रिश्तेदारी में नहीं। अब से हमारी सारी जिम्मेदारी बेटा लेने वाला है।” – सुरेंद्र सिंह ने गर्व से कहा। उनका बेटा पवन सिंह लगभग पन्द्रह साल पूर्व  दिल्ली में एक छोटी फैक्टरी लगा रखा रखा था। सुरेंद्र सिंह का … Read more

उसकी चीख – डॉ उर्मिला शर्मा       

चित्रकथा आज सुबह जैसे ही योगा करके उठी , किसी औरत के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई पड़ी। जल्दी से बालकनी तक गयी तो देखा तो सामने सड़क के उस पार रामबाबू के घर से फिर चीखने की आवाज़ आ रही थी। तभी उनकी पत्नी दौड़ते हुए बरामदे तक आयी और वापस चली गयी। मैं रुककर … Read more

आदत – अनुमित्तल  ‘इंदु’

“आज़  रागिनी का फोन आया था “,रात  को खाना खाने के बाद अरुण  बेड रूम में टी वी देख रहे थे , मैंने उन्हें बताया । “अच्छा ? क्या कह रही थी ? अरुण ने टी वी की वॉल्यूम कम करते हुये पूछा । “वो कह रही थी कुछ दिनों के लिये आ जाओ , … Read more

दायाँ हाथ – अनुज सारस्वत

मन_के_भाव (फादर्स डे के उपलक्ष्य में)  “ऐसा है मम्मी मैं घर छोड़कर चला जाऊंगा या कुछ खा पीके मर जाऊंगा अगर मुझे बाईक नही दिलायी पापा ने तो ,सुगंधा की शादी के लिए तो पैसे जाने कहाँ से आगये और अपने  लड़के के लिए फटेहाली का रोना ,मैं सब समझता हूँ आज पापा से बात … Read more

चीख – गरिमा जैन

चित्रकथा स्कूल के स्टाफ रूम में बात करती शिक्षिकाएं) विमला : बेटा नहीं बेटे के नाम पर कलंक है। मां को मार डाला !वह भी छह गोली एक साथ और तो और लाश भी छुपा दी! छी छी ऐसे बच्चे से तो बच्चा ना होना अच्छा। कमला : अरे अखबार में तो आया था कि … Read more

दोस्ती – सुनीता मिश्रा

हम तीन, यानी मैं, प्रमिल और सुमित। कहते है तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा। पर यहाँ उल्टा था हम तीन तिगाड़ा काम सुधारा थे। प्रमिल सबसे होशियार, पढाई में अव्वल, अच्छा एथलीट, अच्छा वक्ता , गायक, बोले तो परफेक्ट परसन। सुमित एवरेज, और मैं सबमें फिसड्डी। पर दोस्ती में कोई अंतर नहीं। 5th क्लास से एक … Read more

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